सार

 चुनाव आयोग देश के पांच राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव शामिल हैं। पांचों स्टेट के इलेक्शन 7 चरणों में होंगे और सभी राज्यों के नतीजे 10 मार्च को आएंगे। मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान हो गया है। मणिपुर में दो चरणों में वोटिंग होगी। पहला चरण 27 फरवरी और दूसरा चरण 3 मार्च को होगा। यहां पिछली बार 2017 में भी एक ही चरण में चुनाव हुए थे।

नई दिल्ली : मणिपुर में विधासभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। राज्य की कुल 60 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में विधानसभा चुनाव होगें। पहला चरण 27 फरवरी और दूसरा चरण 3 मार्च को होगा। वहीं मतगणना 10 मार्च को होगी. 2017 के चुनावों में राज्य एक ऐसे राजनीतिक करिश्मे से गुजरा है, जब विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस सत्ता हासिल नहीं पाई। फेरबदल और दलबदल वाले इस राज्य ने सत्ता की सीढ़ियों तक पहुंचते कई मुख्यमंत्रियों को देखा है। ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि 2022 के चुनावों में भी उलटफेर देखने को मिल सकता है। हालांकि, मणिपुर में सरकार बनाने के लिए सत्तारूढ़ दल भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. आइए जानते हैं मणिपुर चुनाव में प्रमुख चेहरे और प्रमुख मुद्दे क्या हैं....

प्रमुख चुनावी मुद्दा
1. AFSPA 

मणिपुर राज्य में अफस्पा (AFSPA) कानून राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। यह कानून सेना को विशेष ताकत देता है।  बीते दिनों नगालैंड में सुरक्षाबलों ने 14 आम नागरिकों को मार दिया था, जिसके बाद पूर्वोत्तर के राज्यों में सेना के खिलाफ नाराजगी फैली और अफस्पा कानून को वापस लेने की मांग हो रही है। इस बड़े मुद्दे के असर से मणिपुर भी अछूता नहीं बचा है।   

2.  शिक्षा और बेरोजगारी 
मणिपुर में शिक्षा और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दों में से एक है. आए दिन विपक्ष की पार्टियां सत्तारूढ़ दल भाजपा को इस मुद्दे को लेकर घेरती रहती  है. ऐसे में इस चुनाव में शिक्षा और बेरोजगारी चुनावी प्रचार का प्रमुख मुद्दा रहेगा. 

3. धार्मिक और भाषाई समीकरण
राज्य में हिंदुओं की आबादी सबसे अधिक है। इसके बाद ईसाई, इस्लाम, बौद्ध और सनामाही पंथ के लोग यहां निवास करते हैं। राज्य में कुल मिलाकर 30 लाख की आबादी है। यहां एक विधानसभा क्षेत्र में औसतन करीब 30 हजार मतदाता होते हैं। यहां की चुनावी रणनीति अन्य राज्यों से अलग है। यहां कई भाषाएं बोली जाती हैं। वैसे राज्य में मैतेई समुदाय का सबसे ज्यादा असर है, वह चुनावों में काफी असर डालते हैं। ऐसे में सभी पार्टियों  के लिए अहम है.

प्रमुख चेहरे
कांग्रेस में ओकरम इबोबी सिंह

इबोसी सिहं कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता हैं। वे लगातार 15 साल तक (2002 से 2017) राज्य के मुख्यमंत्री रहे। राज्य में तीन बार कांग्रेस की सरकार बनाई। 2017 में भी कांग्रेस की सबसे ज्यादा सीटें आईं। मगर, राजनीतिक जोड़-तोड़ में सत्ता हाथ से फिसल गई। लेकिन वह इस चुनाव प्रचार में अहम रोल निभा सकते हैं.

बीरेन सिंह
सीएम एन बीरेन सिंह विधानसभा चुनाव से एक साल पहले 2016 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके बाद गठबंधन की सरकार में 12वें मुख्यमंत्री बने। यानी 15 साल बाद गैर कांग्रेसी सरकार बनाई और भाजपा के पहले सीएम बने। बीरेन ने बीजेपी और उसके सहयोगियों के 33 विधायकों के समर्थन से असेंबली का फ्लोर टेस्ट जीतकर दमखम दिखाया। इस चुनाव में भी वो अहम रोल में नजर आ सकते है. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनावी मैदान में उतरेगी.

ए शारदा 
भाजपा की प्रमुख ए शारदा देवी भी सीएम पद के लिए पार्टी की पसंद बन सकती है। शारदा देवी को एक तेज तर्रा छवि वाली नेता माना जाता है। हालांकि मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। 

प्रमुख विधानसभा सीट

  •  हेनगांग सीट :  यह मणिपुर के मुख्यमंत्री कैप्टन बीरेन सिंह का निर्वाचन क्षेत्र है.
  •  खंगाबोक सीट यह पूर्व मुख्यमंत्री के: इबोबी सिंह   का निर्वाचन क्षेत्र है.

राजनीतिक दल और मौजूदा समीकरण
भाजपा, कांग्रेस, मणिपुर नेशनल पीपुल्स पार्टी, नागा पीपुल्स फ्रंट, लोक जनशक्ति पार्टी और सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस मणिपुर राज्य में सक्रिय प्रमुख राजनीतिक दल हैं।  15 मार्च 2017 को एन बीरेन सिंह ने नेशनल पीपुल्स पार्टी, नागा पीपुल्स फ्रंट, लोक जनशक्ति पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार बनाई और मुख्यमंत्री का पद संभाला।  मौजूदा सियासी समीकरणों बात करें तो राज्य में भाजपा के लिए टिकटों की दौड़ ज्यादा है।वहीं दूसरी तरफ नेशनल पीपुल्स पार्टी का भी जनाधार राज्य में इन दिनों बढ़ रहा है।  पहाड़ी इलाकों की बात करें तो वहा नगा पीपुल्स पार्टी का प्रतिनिधित्व ज्यादा है। कांग्रेस राज्य में कमजोर पड़ रही है, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि राज्य में फिर वह उठ कर नहीं खड़ी हो सकती। पार्टी नए चेहरों के दम पर चुनाव मैदान में होगी। मणिपुर में इस बार टीएमसी भी दांव आजमा रही है। साल 2012 में उसे 7 सीटें मिल चुकी हैं और 2017 में एक सीट पर उसका कब्जा रहा। ऐसे में मुकाबला राज्य में त्रिकोणीय भी हो सकता है।  

2017 विधानसभा चुनाव में पार्टियों की स्थिति 
2017 के चुनावों की बात करें तो कांग्रेस ने 60 सीटों में से 28 सीटों पर 35 फीसदी वोटों  के साथ कब्जा किया था, हालांकि कांग्रेस सरकार बनाने में असफल हुई थी, जबकि भाजपा ने 36. 1 फीसदी वोटों के साथ 20 सीटें पर कब्जा किया था।  इसके अलावा नागा पीपुल्स फ्रंट को 4 सीटें, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 1 सीट, लोक जनशक्ति पार्टी को 1 सीट, सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस को 1 और निर्दलीय 1 सीटे मिली थीं। हालांकि, भाजपा यहां सरकार बनाने में सफल हुई थी।  

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