सार
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से सीएम उम्मीदवार की रेस में पिछडे़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के तेवर अब ढीले पड़ते नजर आ रहे हैं।
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) से सीएम उम्मीदवार की रेस में पिछडे़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के तेवर अब ढीले पड़ते नजर आ रहे हैं। सोमवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में सिद्धू के न तो पहले वाला मिजाज, न ही पहले वाली अखड़ नजर जा रही थी।
थोड़े मायूस से नजर आ रहे सिद्धू से जब उनके पंजाब मॉडल पर बातचीत की गई तो वह बोले- फेसबुक कर डाल दूंगा, जिसे लेना है ले लेगा। क्योंकि इस मॉडल को लागू करने की पावर अब चरणजीत सिंह चन्नी के पास है। मैं तो बस पंजाब में बदलाव चाहता था। मेरे मन में यह तमन्ना है कि बदलाव आना चाहिए। यह कोशिश मैं लगातार करता रहूंगा।
मैं हाईकमान के साथ हूं
उनसे जब सवाल किया गया कि क्या वह चन्नी के साथ हैं या फिर हाईकमान के साथ। इस पर उनका जवाब था, मैं हाईकमान के साथ हूं। चन्नी का सहयोग करूंगा। चन्नी से उम्मीद करूंगा कि वह पंजाब की बेहतरी के लिए काम करें।
विरोधियों पर किया वार
इस बार भी उन्होंने विपक्ष खास तौर पर अकाली दल पर जमकर हमला किया। दावा किया कि अकाली दल पंजाब में कुछ नहीं कर पाएगा। पंजाब में मुकाबला आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच है।
बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर भी साधा निशाना
सिद्धू ने एक बार फिर बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर निशाना साधा। आरोप लगाया कि वह नशे की तस्करी में शामिल हैं। माइनिंग माफिया के साथ मिले हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने मजीठिया के खिलाफ अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया।
बड़ा सवाल क्या सिद्धू ने हथियार डाल दिए?
सिद्धू को जानने वालों का कहना है कि शायद नहीं। सिद्धू अब थोड़ा वक्त लेंगे। वह इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाले हैं। क्योंकि यह उनकी नेचर में नहीं है। उन्हें पहली बार बड़ा झटका मिला है। इसलिए उनका आत्मविश्वास थोड़ा कम हुआ है, लेकिन वह ज्यादा देर तक बैकफुट पर नहीं रहेंगे। वह इतनी जल्दी हार मानने वालो में नहीं है। इस वक्त परिस्थितियां और हालात उनके विपरीत हैं। इसलिए उन्होंने हालात से थोड़ा समझौता किया है।
सक्रियता भी कम कर सकते हैं सिद्धू
सिद्धू के जानने वालों का कहना है कि अब वह पंजाब में अपनी गतिविधियां कम कर सकते हैं। उनके लिए अब अपने विधानसभा पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी हो गया है। क्योंकि उनका मुकाबला अब बिक्रमजीत सिंह मजीठिया से हैं। इस वजह से उनकी सीट कड़े मुकाबले में फंसी हुई है। वह पंजाब की बजाय अब अपनी सीट पर ज्यादा ध्यान दे सकते हैं।
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