सार

आज इंटरनेशनल टी डे यानी अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस है। यह दिवस हर साल 15 दिसंबर को मनाया जाता है। साल 2005 में प्रमुख रूप से चाय का उत्पादन करने वाले देशों ने इंटरनेशनल टी डे मनाने की शुरुआत की। पहला इंटरनेशनल टी डे 2005 में नयी दिल्ली में मनाया गया। इसके बाद 2006 में श्रीलंका में भी यह दिवस मनाया गया।   

फूड डेस्क। आज इंटरनेशनल टी डे यानी अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस है। यह दिवस हर साल 15 दिसंबर को मनाया जाता है। साल 2005 में प्रमुख रूप से चाय का उत्पादन करने वाले देशों ने इंटरनेशनल टी डे मनाने की शुरुआत की। पहला इंटरनेशनल टी डे 2005 में नयी दिल्ली में मनाया गया। इसके बाद श्रीलंका में भी यह दिवस मनाया गया। आज बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम, इंडोनेशिया, केन्या, उगांडा और तंजानिया के अलावा कई दूसरे देशों में भी यह दिवस मनाया जाता है। चाय पूरी दुनिया में बहुत ही लोकप्रिय है। इसे लोग बहुत पसंद करते हैं। चाय में मुख्य रूप से कैफीन पायी जाताी है। इसकी ताजी पत्तियों में टैनिन की मात्रा 25.1% होती है, वहीं प्रोसेस्ड पत्तियों में टैनिन की मात्रा 13.3% तक होती है। सबसे अच्छी चाय कलियों से बनायी जाती है। दुनिया में चाय के उत्पादन में भारत का पहला स्थान है। दुनिया में चाय के कुल उत्पादन का 27 प्रतिशत सिर्फ भारत में होता है। चाय के एक्सपोर्ट में भारत का हिस्सा 12 प्रतिशत से भी ज्यादा है।

भारत में कैसे मिली चाय
चाय के पौधे का उत्पादन भारत में पहली बार साल 1834 में अंग्रेज सरकार द्वारा व्यापारिक पैमाने पर किया गया था। चाय असम में पहले से ही पैदा होती थी। वैसे तब इसके गुणों के बारे में लोगों को पता नहीं था। बाद में असम में चाय का उत्पादन प्रमुख रूप से शुरू हुआ। असम की चाय कंपनी से इंग्लैंड को इसका निर्यात किया जाने लगा। साल 1815 में ही कुछ अंग्रेजों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया, जिससे स्थानीय लोग पानी में उबाल कर पीते थे।

ऐसे हुई चाय पीने की परपंरा की शुरुआत
भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने साल 1834 में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद 1835 में असम में चाय के बगान लगाए गए। 

3 हजार ई.पू. में चीन में हुई थी चाय की शुरुआत
कहते हैं कि एक दिन चीन के सम्राट शैन नुंग के सामने रखे गर्म पानी के प्याले में कुछ सूखी पत्तियां आकर गिरीं, जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया। यह बात ईसा से 2737 साल पहले की है। साल 350 में चाय पीने की परंपरा का पहला उल्लेख मिलता है। साल 1610 में डच व्यापारी चीन से चाय यूरोप लेकर गए और धीरे-धीरे चाय समूची दुनिया में लोकप्रिय हो गई।

क्या होता है चाय में
- चाय में कैफीन और टैनिन नाम के तत्व होते हैं। इनसे शरीर में फुर्ती का एहसास होता है।
- चाय में मौजूद एल-थियेनाइन नामक अमीनो एसिड दिमाग को सक्रिय और शांत रखता है।
- चाय में एंटीजन होते हैं जिससे इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण आ जाते हैं।
- इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटल तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और कई बीमारियों से बचाव करते हैं।
- चाय में फ्लोराइड होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है और दांतों में कीड़ा लगने से रोकता है।

कितने तरह की होती है चाय 
चाय आम तौर पर दो तरह की होती है। प्रोसेस्ड या सीटीसी (कट, टीयर और कर्ल) या आम चाय। दूसरी हरी चाय (प्राकतिक चाय)। सीटीसी प्रोसेस्ड चाय होती है, जो कंपनियां पैकेटबंद कर बेचती हैं। यह आमतौर पर घरों, रेस्तरां और होटलों में इस्तेमाल की जाती है। प्रॉसेस्ड होने के चलते इस चाय में स्वाद और महक बढ़ जाती है। लेकिन यह हरी चाय जितनी अच्छी नहीं होती और न ही उतनी फायदेमंद। 

हरी चाय
यह चाय के पौधे के ऊपर के कच्चे पत्ते से बनती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। हरी चाय काफी फायदेमंद होती है। इसे बिना दूध और चीनी के पीना चाहिए। इसमें कैलोरी भी नहीं होतीं। इसी हरी चाय से हर्बल और ऑर्गेनिक चाय तैयार की जाती है। हरी चाय में कुछ जड़ी-बूटियां जैसे तुलसी, अश्वगंधा, इलायची, दालचीनी मिला कर आयुर्वेदिक चाय तैयार की जाती है। यह बाजार में तैयार भी मिलती है। यह सर्दी-खांसी में काफी फायदेमंद होती है। 

ऑर्गेनिक टी 
ऑर्गेनिक टी के पौधों में पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर नहीं डाले जाते। यह स्वास्थ्य के लिए ज्यादा फायदेमंद है।

सफेद चाय (वाइट टी)
कुछ दिनों की कोमल पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है। इसका हल्का मीठा स्वाद काफी अच्छा होता है। इसमें कैफीन सबसे कम और एंटीऑक्सीडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। इसके एक कप में सिर्फ 15 मि.ग्रा. कैफीन होता है, जबकि काली चाय (ब्लैक टी) के एक कप में 40 और हरी चाय में 20 मि.ग्रा. कैफीन होता है।

काली चाय (ब्लैक टी)
कोई भी चाय दूध व चीनी मिलाए बिना पी जाए तो उसे काली चाय कहते हैं। हरी चाय या आयुर्वेदिक चाय को तो आमतौर पर दूध मिलाए बिना ही पिया जाता है। लेकिन किसी भी तरह की चाय को काली चाय के रूप में पीना ही सबसे सेहतमंद है। 

इंस्टेंट टी
इसमें चाय के छोटे-छोटे बैग आते हैं जिन्हें गर्म पानी में डालते ही तुरंत चाय तैयार हो जाती है। चाय के बैग में टैनिक एसिड होता है। इसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से चाय के बैग को कॉस्मेटिक्स आदि में भी प्रयोग किया जाता है।

नींबू की चाय (लेमन चाय)
नींबू की चाय सेहत के लिए अच्छी होती है, क्योंकि चाय के जिन एंटीऑक्सीडेंट्स को शरीर अवशोषित नहीं कर पाता, नींबू डालने से वे भी अवशोषित हो जाते हैं।

मशीन वाली चाय
रेस्तरां, दफ्तरों, रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट आदि पर आमतौर पर मशीन वाली चाय मिलती है। इस चाय का कोई खास फायदा नहीं होता, क्योंकि इसमें कुछ भी प्राकृतिक अवस्था में नहीं होता।

अन्य चाय
आजकल स्ट्रेस रीलिविंग, रिजूविनेटिंग, स्लिमिंग टी व आइस टी भी खूब चलन में हैं। इनमें कई तरह की जड़ी-बूटी मिलाई जाती हैं। भ्रमी रिलैक्स करता है तो दालचीनी ताजगी प्रदान करती है और तुलसी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है। इसी तरह स्लिमिंग टी में भी ऐसे तत्त्व होते हैं, जो वजन कम करने में मददगार होते हैं। इनसे मेटाबॉलिज्म थोड़ा बढ़ जाता है, लेकिन सिर्फ इसके सहारे वजन कम नहीं हो सकता। आइस टी में चीनी काफी होती है, इसलिए इसे पीने का कोई फायदा नहीं है।