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ग्रंथों में अहिल्या, मंदोदरी सहित इन 5 महिलाओं को कहा गया है पंचकन्या, जानिए इनसे जुड़ी खास बातें

शास्त्रों में 5 ऐसी महिलाएं बताई गई हैं, जिनका विवाह हुआ था, लेकिन वे कन्याएं मानी गई हैं। इन पांच कन्याओं में 3 त्रेतायुग में और 2 द्वापर युग की महिलाएं शामिल हैं। त्रेतायुग यानी रामायण में अहिल्या, मंदोदरी, तारा और द्वापर युग यानी महाभारत में द्रौपदी, कुंती को माना गया है कन्या। जानिए पंचकन्याओं से जुड़ी खास बातें...(आर्ट बाय: राजा रवि वर्मा)

3 Min read
Manish Meharele
Published : Sep 27 2020, 02:24 PM IST
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अहिल्या को मिला चीर यौवन का वरदान
अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं। उन्हें चीर यौवन रहने का वरदान ब्रह्माजी ने दिया था। देवराज इंद्र अहिल्या की सुंदरता पर मोहित हो गए थे। इंद्र ने छल करके गौतम ऋषि का रूप धारण किया और अहिल्या की सतीत्व भंग कर दिया था। देवराज इंद्र को अहिल्या की कुटिया से निकलते हुए गौतम ऋषि ने देख लिया था। क्रोधित होकर गौतम ऋषि ने अहिल्या को पत्थर हो जाने का शाप दिया। श्रीराम के चरण लगते ही पत्थर बनी अहिल्या फिर से इंसान रूप में आ गई थीं।
 

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पांचों पांडवों की पत्नी और श्रीकृष्ण की सखी थी द्रौपदी
महाभारत में स्वयंवर में द्रौपदी का विवाह अर्जुन से हुआ था, लेकिन कुंती की एक बात की वजह से वह पांचों पांडवों की पत्नी बन गई। इसके बाद द्रौपदी एक-एक साल एक-एक पांडव के साथ रहती थीं। कौरवों की भरी सभा में दुर्योधन और दुशासन ने द्रौपदी का चीरहरण किया था। इस अधर्म की वजह से पूरे कौरव वंश का नाश हो गया।

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कुंती को मालूम था देवताओं को बुलाने का मंत्र
महाभारत में कुंती महाराज पांडु की पत्नी और युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता थीं। पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के पुत्र नकुल और सहदेव थे। कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था, जिससे वह देवताओं को आमंत्रित कर सकती थीं। इस मंत्र की वजह से कुंती ने विवाह से पहले सूर्यदेव को बुला लिया था। सूर्यदेव ने कुंती को बालक कर्ण सौंपा। कुंती ने मान-सम्मान के डर की वजह से कर्ण को नदी में बहा दिया था। पांडु और माद्री की मृत्यु के बाद कुंती ने पांचों पुत्रों का पालन-पोषण किया, अच्छे संस्कार दिए। धर्म-अधर्म समझाया। इसी परवरिश की वजह से सभी पांडवों को श्रीकृष्ण की विशेष कृपा मिली।
 

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मंदोदरी ने रावण की पत्नी थीं, लेकिन धर्म जानती थीं
मंदोदरी रावण की सभी बुराइयां जानती थीं। लेकिन, फिर रावण के लिए उसका प्रेम अटूट था। वह रावण को बार-बार समझाती थीं कि सीता को पुन: श्रीराम को ससम्मान लौटा दे, इसी में सभी का कल्याण है। रावण अहंकार की वजह से मंदोदरी की बातें नहीं मानता था। मंदोदरी धर्म जानती थी, इसीलिए वह रावण को बचाने की कोशिश करती रहीं। लेकिन, रावण नहीं माना और श्रीराम के हाथों उसका वध हो गया। रावण की मृत्यु के बाद राक्षस कुल की परंपरा के अनुसार मंदोदरी ने विभीषण से विवाह किया था।
 

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तारा ने सुग्रीव को समझाया था सीता की खोज करने के लिए
रामायण में तारा भी महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थीं। तारा सुग्रीव की पत्नी थीं। बाली ने सुग्रीव को मारकर अपने राज्य से भगा दिया था और उसकी पत्नी तारा को अपने पास रख लिया था। इसके बाद जब सुग्रीव ने बाली को युद्ध के लिए ललकारा तब तारा ने बाली को समझाने की कोशिश की थी। लेकिन, बाली ने उसकी बात नहीं मानी। श्रीराम के हाथों बाली मारा गया तो तारा दुखी हो गई थी। तब श्रीराम ने उसे समझाया।
बाली वध के बाद तारा सुग्रीव के साथ रहने लगी। सुग्रीव ने श्रीराम को सीता की खोज में मदद करने का वचन दिया था। बाली वध के बाद उसे तारा फिर से मिल गई तो वह अपना वचन भूल गया था। तब लक्ष्मण ने सुग्रीव पर क्रोध किया। उस समय तारा ने ही सुग्रीव को समझाया कि वह सीता की खोज में श्रीराम की मदद करके अपना वचन पूरा करे। इसके बाद सुग्रीव और पूरी वानर सेना सीता की खोज करने लग गई।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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