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कभी नहीं होगा गाड़ी का टायर पंक्चर, बस इन बातों का रखें ध्यान, ऐसे बढ़ाएं वाहन के पहियों की उम्र
ऑटो डेस्क । वाहनों का प्रकार उसके पहियों से निर्धारित होता है। वाहन कोई भी हो उसे चलाने का दारोमदार पहियों पर ही होता है। ट्रेन से लेकर डंपर तक, बस से लेकर ट्रेक्टर तक, कार से लेकर मोटर साइकिल तक, मोपेड से लेकर साइकिल तक सारे वाहन पहियों पर ही दौड़ते हैं। वाहन की सुरक्षा काफी हद तक टायर पर भी होती है, टायर की छोटी सी गुस्ताखी से बैलेंस बिगड़ जाता है। दरअसल टायर पर ही पूरे वाहन का लोड होता है। एक बात और ज्यादातर एक्सीडेंट का कारण गाड़ी के टायर होते हैं। टायर की अहमियत तो अब तक आप समझ ही गए होंगे, टायर को कैसे टेंशन फ्री खा जाए, इस पर कुछ टिप्स नोट कर लीजिए...
| Published : Oct 30 2021, 05:05 PM IST / Updated: Oct 30 2021, 05:21 PM IST
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टायर तीन पार्ट में डिवाइड होता है। रिंग, ट्यूब और टायर इसके साथ इसमें कई छोटी-छोटी एसेसरीज लगी होती हैं। टायर और ट्यूब का चोली-दामन का साथ है। इसके साथ ही इसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है एयर, ये हवा ही इसको गति देने में अहम रोल अदा करती है। हवा का प्रेशर कम- ज्यादा होने से वाहन की गति प्रभावित होती है। इसके साथ ही टायर को क्षति भी हवा के प्रेशर की वजह से होती है। इस समय रेडियल के अलाव ट्यूब लैस टायर का इस्तेमाल गाड़ियों में होता है। इसमें होने वाला हवा का प्रेशर भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
गाड़ी के टायरों को सुरक्षित रखने के लिए आपको ज्यादा कवायद तो नहीं करनी पड़ती लेकिन समय- समय पर उसे टटोलने की जरुरत होती है। टायर में हवा का प्रेशर जरूर चेक करें। कार या अन्य कोई वाहन घर से बाहर निकालने से पहले उसके पहियों में हवा जरूर चेक कर लें। हवा कम होने पर सबसे पहले उसमें हवा भरवाएं। हवा भरवाते समय अपने टायर के प्रेशर पॉइंट का हमेशा ध्यान रखें।
कार की ड्राइविंग सीट के इर्गगिर्द कंपनी द्वारा टायर में प्रेशर पॉइंट के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है। उसके मुताबिक ही हवा का प्रेशर टायर में भरवाना चाहिए। टायर के प्रेशर को हमेशा उसके ठंडा होने पर ही चेक करें। कभी भी लंबी यात्रा के दौरान बीच सफर में टायर में हवा न भरवायें। इसका मतलब है कि जब टायर गरम हो तो हवा ना डलवाएं।
महीने में कम से कम दो बार हवा का प्रेशर जरुर चेक करवाएं। नियत तारीख पर टायरों को पूरी तरह से चेक करें। कार को जब भी घर से बाहर निकाले उस समय टायर के वाल्व पर लगे कैप को जरूर देंख लें। क्योंकि वाल्व पर कैप न लगे होने के कारण सड़क पर दबाव के चलते पहिए से हवा निकलती रहती है।
गाड़ी पर कभी भी ओवरलोडिंग न करें, इसका सीधा असर टायर पर पड़ता है। ओवर लोडिंग वाहन के पहिए जल्द ही खराब हो जाते हैं। कंपनी ने जितना वजन ढ़ोने के लिए टायर को बनाया है, उस पर उतना ही वजन लादें। अतिरिक्त बार ना सह पाने की वजह से टायर का शेप बिगड़ सकता है, ये किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बना जाता है।
मौजूदा दौर की गाड़ियों में डिस्क ब्रेक आ गए हैं, ये तत्काल गाड़ियों को रोकने में सक्षम हैं, लेकिन गाड़ी को हमेंशा अचानक तेज ब्रेक ना लगाएं। इससे टायर में घर्षण होता है। इससे उसकी लाइफ कम होती है, इसके अलावा उस की ग्रिप भी खराब होती है। जहां तक संभव हो गाड़ी का ब्रेक धीरे लगाएं।
हवा के दबाव की जांच करवाते रहें
ऑटोमोबाइल की ट्यूब में हवा के दबाव की जांच करवाते हैं, उन्हें बार-बार ट्यूब के पंचर का सामना नहीं तकरना पड़ता है। हवा के दबाव के सही होने पर कभी भी छोटी तेज वस्तुओं को टायर और ट्यूब से छेदने का मौका नहीं मिलता है। लेकिन अक्सर लोग इस सलाह पर ध्यान नहीं देते हैं और नियमित रूप से हवा के दबाव की जांच करना भूल जाते हैं जिससे उनकी गाड़ी पंक्चर हो जाती है।
ट्यूबलेस टायर की खासियत
ट्यूबलेस टायर को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि टायर खुद एक ट्यूब की तरह काम करता है। टायर के तलवे समान होते हैं चाहे वह एक रेडियल टायर हो या ट्यूबलेस टायर, लेकिन जो ट्यूबलेस टायर को अलग बनाता है वह एक आंतरिक अस्तर परत की उपस्थिति है जो हैलोजन ब्यूटाइल रबर से बना होता है जैसे कि क्लोरोब्यूटिल या ब्रोमोब्यूटिल रबर। इस रबर में किसी भी छोटे पंचर को सील करने का एक विशेष गुण होता है। ( फाइल फोटो)
इसका मतलब यह है कि अगर किसी कील के साथ कोई दुर्घटना होती है और उसके कारण एक छोटा पंचर होता है, तो टायर रिसाव को बंद करके खुद ही रिसाव को रोक देता है और वाहन बिना रुके या उसकी सहायता प्राप्त किए बिना 200 किमी तक की दूरी तय कर सकता है।