- Home
- Auto
- Automobile News
- क्या है मेट्रो लाइट-मेट्रो नियो, जानें वित्त मंत्री ने की मेट्रो के लिए कितना बजट दिया
क्या है मेट्रो लाइट-मेट्रो नियो, जानें वित्त मंत्री ने की मेट्रो के लिए कितना बजट दिया
- FB
- TW
- Linkdin
लाइट मेट्रो
इस मेट्रो का कॉरिडोर सड़क के समानांतर जमीन पर होता है और स्टेशन बस स्टैंड की तरह होता है। दिल्ली में रिठाला से नरेला के बीच 21.7 किलोमीटर का मेट्रो लाइट कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसमें तीन से चार कोच होंगे। तीन कोच की मेट्रो में 300 यात्री सफर कर सकते हैं। मेट्रो के पहियों में रबड़ लगा होता है।
नियो मेट्रो
नियो मेट्रो को देश के उन शहरों के लिए लाया गया है जहां पर 20 लाख तक की आबादी है। रबड़ टायर पर चलने वाली तीन कोच वाली नियो मेट्रो की लागत परंपरागत मेट्रो के निर्माण लागत से 40 फीसदी तक कम है। इसमें स्टेशन परिसर के लिए बड़े जगह की जरूरत नहीं होती है। यह सड़क के सरफेस या एलिवेटेड कॉरीडोर पर चल सकती है। इस कारिडोर की लंबाई 19 किलोमीटर होगी।
हर कोच में 200 से 300 लोग सफर कर सकते हैं। इसे चलाने की लागत भी परंपरागत मेट्रो से कम है। यह मेट्रो लाइट से भी हल्की और ट्राम की तरह होगी इसलिए इसे मेट्रो बस भी कहा जा सकता है।
दिल्ली में कीर्ति नगर से द्वारका सेक्टर 25 तक नियो मेट्रो का कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव है। पहले लाइट मेट्रो की ही परियोजना थी, बाद में शहरी विकास मंत्रलय ने इसे बदलकर नियो मेट्रो का निर्माण करने का प्रस्ताव किया है।
वाटर मेट्रो
वाटर मेट्रो पानी पर चलती है, जो देखने में बोट की तरह होती है। कोच्चि में वाटर मेट्रो की शुरुआत होने पर एक बार में 50 से 100 यात्री सफर कर पाएंगे।
साल 2020 में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजेंटा लाइन पर देश की पहली ड्राइवरलेस ट्रेन का उद्घाटन किया था। महाराष्ट्र के पुणे और नासिक सहित देश कई शहरों में नियो मेट्रो चलाने की तैयारी है।
चालक रहित मेट्रो की खूबियां।
इस मौके पर पीएम ने कहा था कि आने वाले समय में हर छोटा-बड़ा शहर देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा केंद्र बनने वाला है। दिल्ली 130 करोड़ की आबादी वाले दुनिया की बड़ी आर्थिक व सामरिक ताकत की राजधानी है। इसलिए यहां की आधुनिकता से उसकी भव्यता दिखनी चाहिए। सरकार सबके साथ मिलकर इसे आधुनिक व भव्य बनाएगी। 21वीं सदी का भारत दुनिया में नई पहचान बना रहा है तो दिल्ली में उसकी भव्यता दिखे, यह बेहद जरूरी है।
600 मेगावाट सौर ऊर्जा का होगा इस्तेमाल
मोदी ने कहा कि मेट्रो में ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे 50 फीसद ऊर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। मेट्रो में अभी 130 मेगावाट सौर ऊर्जा का इस्तेमाल हो रहा है। इसे बढ़ाकर 600 मेगावाट किया जाएगा।