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मामा को भांजे तेजप्रताप ने कहा था 'कंस', मुलायम के घर में बेटी की शादी हुई फिर भी नहीं आए थे लालू-राबड़ी
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वैसे ये पहला मौका नहीं है जब लालू पर राजनीति में परिवार और रिश्तेदारों को आगे बढ़ाने के आरोप लगे हैं। पार्टी में सीनियर नेताओं की मौजूदगी के बावजूद जब उन्होंने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की गद्दी पर बिताया था तब भी वंशवाद के आरोप लगे थे। पार्टी और बिहार में उनके साले साधु यादव (Sadhu Yadav) की दबंगई को लेकर भी गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
साधु, राबड़ी देवी के भाई हैं। एक जमाने में लालू के नाम पर उनकी न सिर्फ पार्टी बल्कि पूरे बिहार में धाक थी। उन्हें दबंग भी माना जाता था। साधु कि गणना बाहुबली के रूप में ही होने लगी थी। लालू की वजह से ही साधु विधानपरिषद और विधानसभा में आरजेडी विधायक के रूप में पहुंचे। 2004 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पार्टी उम्मीदवार के रूप में गोपालगंज से लोकसभा (Gopalganj constituency) का चुनाव जीता था।
लेकिन साधु की हरकतें लगातार बढ़ती गईं। साधु के बहाने लालू हर तरफ से घिरने लगे। पार्टी और गठबंधन में भी साधु को लेकर नाराजगी खुलकर सामने आने लगी। पार्टी के अंदर मनमानी पर भी उतर आए थे। आखिरकार हाथ से सियासत खिसकते देख लालू ने साले को पार्टी से बाहर निकाल दिया। लेकिन पावर पॉलिटिक्स का नशा साधु पर इस कदर चढ़ चुका था कि उन्होंने कांग्रेस (Congress) जैसी दूसरी पार्टियों की शरण लेकर राजनीतिक धाक बनाए रखने की कोशिश की। ये दूसरी बात है कि चुनाव लड़ने के बावजूद उन्हें जीत नसीब नहीं हुई।
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में साधु ने सारण लोकसभा सीट से बहन राबड़ी देवी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था। उनकी उम्मीदवारी से लालू परिवार की खूब किरकिरी हुई। हुआ वही जिसकी उम्मीद व्यक्त की जा रही थी। बीजेपी उम्मीदवार राजीवप्रताप रूड़ी (Rajiv Pratap Rudy) के आगे बहन और भाई दोनों को हार का सामना करना पड़ा। 2015 में साधु ने विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बनना चाहा। एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2019 के लोकसभा चुनाव में फिर साधु यादव ने बीएसपी (BSP) उम्मीदवार के रूप में संसद जाने की कोशिश की, मगर इस बार भी बुरी तरह से हार गए। लालू परिवार का दामन छूटने के बाद साधु के राजनीतिक सितारे गर्दिश में हैं। ये वही साधु यादव हैं जो कभी बिहार में लालू के बाद सबसे ताकतवर थे।
साधु यादव पर दबंगई, व्यापारियों को परेशान करने आदि आरोप लालू-राबड़ी राज में लगते रहे हैं। यह भी कहा गया कि वो बिहार में बाहुबलियों को राजनीतिक प्रश्रय भी देते हैं। साधु के एक साले पर तो हत्या तक के आरोप लगे हैं। आज भी साधु यादव की दबंगई के किस्से लोग भूले नहीं है। 2003 में प्रकाश झा (Prakash jha) ने अजय देवगन (Ajay Devgn) की मुख्य भूमिका से सजी और सच्ची घटना पर आधारित "गंगाजल" (Gangaajal) का निर्माण किया था। फिल्म का बैकड्रॉप बिहार और वहां के राजनीतिक किरदार थे। फिल्म में खलनायक का नाम साधु यादव था।
कथित तौर पर फिल्म के जरिए छवि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए साधु यादव के समर्थकों ने उन सिनेमा घरों पर खूब बवाल काटा जहां गंगाजल दिखाने की तैयारी थी। विरोध और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुईं। कोर्ट में भी मामला पहुंचा। लेकिन निर्देशक प्रकाश झा ने साफ कहा कि साधु यादव सिर्फ एक चरित्र भर है इसका आरजेडी के साधु यादव से कोई लेनदेना नहीं। (फोटो : प्रकाश झा)
वक्त के साथ साधु यादव और लालू परिवार के रिश्ते बेहद खराब होते गए। रिश्ते इतने खराब हो चुके हैं कि जब साधु ने 2016 में बेटी की शादी की तो उसमें लालू परिवार से कोई शामिल नहीं हुआ। जबकि साधु ने बेटी का रिश्ता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के परिवार में किया था। जश्न में कई राजनीतिक हस्तियां शामिल हुई थीं। दिसंबर 2018 में तेजप्रताप यादव ने तो अपने मामा को 'कंस' तक की उपाधि दे डाली थी। हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि लालू परिवार में तेजप्रताप ही एकमात्र शख्स हैं जिनसे आज भी साधु के रिश्ते ठीक-ठाक हैं।