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24 भाई-बहनों में गुजरा बॉलीवुड के इस विलेन का बचपन, जेब में 26 रुपए लेकर इसलिए भागा था घर से
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जीवन को बचपन से एक्टिंग करने का जोश था। वे ऐसी फैमिली से थे जहां एक्टिंग करने के लिए उन्हें इजाजत नहीं थी। इसलिए वे घर से भागकर मुंबई आ गए। जब वो मुंबई आए तो उनकी जेब में सिर्फ 26 रुपए थे। करियर के शुरुआती दिनों में उनको काफी स्ट्रगल करना पड़ा।
जीवन जब मुंबई एक्टर बनने आए थे तब एक्टिंग को अच्छा पेशा नहीं माना जाता था। मुंबई आकर उन्होंने नौकरी की तलाश की और उनको मोहन सिन्हा के स्टूडियो में रिफ्लेक्टर पर सिल्वर पेपर चिपकाने का काम मिला। मोहन लाल उस समय के फेमस डायरेक्टर थे। जब उनको पता चला कि जीवन एक्टिंग करना चाहते हैं तो उन्होंने अपनी फिल्म फैशनेबल इंडिया में उन्हें रोल दिया।
जीवन की किस्मत चमकी और उनको एक के बाद एक कई फिल्मों में काम मिला। उन्होंने अलग-अलग भाषाओं की करीब 60 फिल्मों में नारद मुनि का किरदार निभाया। 50 के दशक में बनी हर धार्मिक फिल्म में उन्होंने नारद का रोल किया। जीवन को पहचान मिली 1935 में फिल्म रोमांटिक इंडिया से।
खबरों की मानें तो जीवन लीड एक्टर के रूप में करियर बनाना चाहते थे लेकिन वे जल्दी ही समझ गए कि उनका चेहरा हीरो के लायक नहीं है, इसलिए उन्होंने विलेन का रोल करने की सोची और इसमें उनको सफलता भी मिली।
उनकी डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें इंडस्ट्री में एक अलग पहचान दी। विजय भट्ट ने उन्हें जीवन नाम दिया था। 1942 में स्टेशन मास्टर और 1946 में अफसाना जैसे फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बता दें कि बतौर विलेन के रूप में उन्हें दिलीप कुमार की फिल्म कोहिनूर से मिली थी। वे देव आनंद की कई फिल्मों में विलेन के रोल में नजर आए। जीवन को मनमोहन देसाई की फिल्म अमर अकबर एंथोनी और धरमवीर में विलेन का रोल निभाने के लिए भी जाना जाता है।
उन्होंने नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम, कानून, सुरक्षा, दो फूल, फूल और पत्थर, वक्त, हमराज, रोटी, धर्मात्मा, धरमवीर, गोपी किशन, सुहाग, नसीब, लावारिस, याराना, तीसरी आंख, देश प्रेमी, हथकड़ी, गिरफ्तार जैसी कई फिल्मों में काम किया।
एक इंटरव्यू में जीवन के बेटे किरण कुमार ने बताया था- मेरे पिताजी के नाम फिल्मों में नारद मुनि का रोल सबसे ज्यादा बार करने का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने 60 फिल्मों में नारद मुनि का किरदार निभाया था। उनका नाम से लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है।
किरण कुमार ने बताया था- नारद मुनि का रोल करने के दौरान पिताजी शाकाहरी हो जाते थे। इस दौरान वे ना नॉनवेज खाते थे और ना शराब पीते थे। मैं उनसे अक्सर इस बात को लेकर सवाल पूछता था कि आप ऐसा क्यों करते हो? वो कहते थे मैं इस रोल को श्रद्धा के साथ निभाना चाहता था।