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Bappi Lahiri: 8 साल पुरानी बात है, जब बप्पी दा को चढ़ा था पॉलिटिक्स का खुमार, लेकिन हुआ कुछ यूं
बॉलीवुड डेस्क. भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीज के एक महान संगीतकार और गायक बप्पी लाहिड़ी (Bappi Lahari) का देर रात करीब 11 बजे निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। इसी नवंबर को उन्होंने अपना 69वां जन्मदिन मनाया था। हिंदी सिनेमा के 70 के दशक में डिस्को और रॉक म्यूजिक लाकर संगीत प्रेमियों को झूमने के लिए उत्साहित करने वाले बप्पी दा का जन्म 27 नवम्बर 1952 कोलकत्ता में हुआ था। बप्पी दा अपने संगीत की अलग स्टाइल और आवाजों के लिए पहचाने जाते थे। उन्हें सोना पहनने का बड़ा शौक रहा था। उनकी देखादेखी कई लोगों ने यह ट्रेंड अपनाया। दरअसल, बप्पी दा सोने को अपना लक मानते थे। उन्हें लगता था कि इसी सोने की वजह से उन्हें इतना ऊंचा नाम और मुकाम मिला। अपने करियर में बेशुमार हिट गीत और संगीत देने वाले बप्पी दा कई रियलिटी शोज में भी दिखे। हमेशा हंसते-मुस्कराते रहने वाले बप्पी दा के जाने से संगीत की दुनिया एक नया सूनापन आया है। आइए जानते हैं बप्पी दा से जुड़ी कुछ दिलचस्प यादें...
| Published : Feb 16 2022, 08:31 AM IST / Updated: Feb 16 2022, 08:41 AM IST
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बप्पी दा को गोल्ड ज्वेलरी पहनने की प्रेरणा अमेरिकन रॉकस्टार एल्विस प्रेस्ली से मिली थी। एक इंटरव्यू बप्पी दा ने इसका खुलासा किया था। बप्पी ने दा ने बताया था कि हॉलीवुड गायक एल्विस प्रेस्ली सोने की चेन पहनते थे और मुझे वह काफी पसंद थे। तब बप्पी दा अकसर सोचते थे कि अगर वे भी फेमस हो गए, तो इसी तरह से सोना पहनेंगे। अपनी एक अलग छवि बनाएंगे। ऐसा आगे चलकर हुआ भी।
बप्पी लाहिड़ी ही नहीं बल्कि उनकी हमसफर चित्रानी भी गोल्ड की शौकीन रही हैं। उनके पास 967 ग्राम सोना, 8.9 किलो चांदी, चार लाख के हीरे हैं। ये 2014 में चुनावी हलफनामें के मुताबिक है। जब बप्पी लाहिड़ी चुनाव लड़े थे। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली थी।
बप्पी दा 2014 में सिंगर बीजेपी के टिकट पर चुनाव में खड़े हुए थे। लेकिन वो हार गए थे। इस दौरान बप्पी लाहिड़ी ने अपनी संपत्ति के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी दी थी। चुनावी हलफनामें के अनुसार साल 2014 में बप्पी लाहिड़ी के पास 754 ग्राम सोना है और 4.62 किलो चांदी थी। हालांकि तब से अब तक इसमें और बढ़ोत्तरी हो गई होगी।
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बप्पी लाहिड़ी को संगीत की शिक्षा जन्म से ही मिली थी। उनके पिता अपरेश लाहिड़ी एक बंगाली गायक थे। उनकी मां बंसरी लाहिड़ी भी संगीतकार थीं। उन्हें संगीत विरासत में मिला। पॉप म्यूजिक को भारत लाने का श्रेय भी बप्पी दा को ही जाता है।
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बप्पी लाहिड़ी ने 70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और 80 के दशक में वे छाए रहे। हर फिल्म में गाने के लिए वे निर्माताओं की पहली पसंद रहे। उन्हें पहचान साल 1975 में आई फिल्म 'ज़ख्मी' से मिली।
बप्पी दा के गाए गीत 'बंबई से आया मेरा दोस्त, आई एम ए डिस्को डांसर, जूबी-जूबी, याद आ रहा है तेरा प्यार, यार बिना चैन कहां रे, तम्मा तम्मा लोगे, आज भी लोगों की जुबां पर चढ़े रहते हैं।
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