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Budget 2021: जानें आपकी सैलरी पर कैसे कटता है टैक्स, क्या होती है टैक्सेबल इनकम
| Published : Jan 30 2021, 01:57 PM IST / Updated: Jan 30 2021, 01:58 PM IST
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इस बार के बजट में इनकम टैक्स से जुड़ी कुछ खास घोषणाएं हो सकती हैं। फिलहाल, इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत निवेश पर टैक्स में जो छूट मिल रही है, उसकी सीमा बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ ही सैलरी में मिलने वाले डिडक्शन में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। ऐसे में, यह जानना जरूरी है कि टैक्सेबल सैलरी और ग्रॉस सैलरी क्या होती है और उसके किस हिस्से पर टैक्स लगता है। (फाइल फोटो)
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ग्रॉस सैलरी (Gross Salary) वह अमाउंट है, जो कंपनी की तरफ से सैलरी के रूप में मिलता है। ग्रॉस सैलरी में बेसिक सैलरी, एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस), ट्रैवल अलाउंस, महंगाई भत्ता, स्पेशल अलाउंस, लीव इनकैशमेंट वगैरह शामिल होते हैं। ग्रॉस सैलरी को टेक होम सैलरी (Take Home Salary) भी कहा जाता है। टैक्सेबल इनकम की जानकारी के लिए ग्रॉस इनकम का पता होना जरूरी है। ग्रॉस इनकम की जानकारी कंपनी की तरफ से दिए गए फॉर्म-16 में होती है। (फाइल फोटो)
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आईटीआर (Income Tax Return) फॉर्म में नेट सैलरी (Net Salary) का एक कॉलम होता है। इसे भरना नहीं पड़ता है। यह टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से भर दिया जाता है। सवाल है कि यह क्या होता है। दरअसल, ग्रॉस सैलरी में से जब लीव इनकैशमेंट, ट्रैवल अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, अर्न्ड लीव इनकैशमेंट जैसे सभी अलाउंस को घटा दिया जाता है, तो यह नेट सैलरी होती है। (फाइल फोटो)
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जब नेट सैलरी निकल आती है, तो उसमें से सेविंग्स और डिडक्शन को घटाया जाता है। इसमें से स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार रुपए को कम किया जाता है। इसके साथ ही टैक्स बचाने के लिए इनकम टैक्स 80C के तहत किए गए इन्वेस्टमेंट अमाउंट को घटाया जाता है। फिर हेल्थ इन्श्योरेंस और लाइफ इन्श्योरेंस के प्रीमियम को घटाया जाता है। अगर किसी तरह का मेडिकल खर्च दिखाया गया हो, तो उसे भी घटाया जाता है। साथ ही, इसमें किसी प्रॉपर्टी से हुई कमाई या फिर किसी दूसरे जरिए से हुई आमदनी को जोड़ा भी जाता है। यह सब होने के बाद इनकम टैक्स में मिलने वाली छूट की रकम को घटाया जाता है। इन सब के बाद जो इनकम बचती है, वही टैक्सेबल इनकम होती है। (फाइल फोटो
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अगर टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से कम होती है तो इस पर टैक्स नहीं देना होता है। कानून के मुताबिक, 2.5 लाख रुपए पर टैक्स से छूट मिलती है और बाकी बचे 2.5 लाख रुपए पर टैक्स रिबेट मिल जाती है। (फाइल फोटो)
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जो लोग पहले से नौकरी में हैं, वे जानते हैं कि उनकी सैलरी पर टैक्स कैसे कटता है, लेकिन जिनकी नौकरी हाल ही में लगी हो, उनके मन में यह सवाल होता है कि आखिर सैलरी से टैक्स कैसे कटता है। बता दें कि सैलरी से टैक्स सीधे इम्प्लॉयर की ओर से ही काट लिया जाता है और इम्प्लॉई की तरफ से उसे टैक्स डिपार्टमेंट में जमा कर दिया जाता है। (फाइल फोटो)
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सैलरी पर टैक्स काटने से पहले इम्प्लॉयर अपने कर्मचारियों से टैक्स बचाने के लिए की जाने वाली सेविंग्स के प्रूफ मांग लेता है। इनमें हेल्थ इन्श्योरेंस का प्रीमियम, लाइफ इन्श्योरेंस का प्रीमियम, बैंक या पोस्ट ऑफिस की फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम (FD) में निवेश, हाउस रेंट और भी कुछ चीजें आती हैं। इनके आधार पर यह तय होता है कि सैलरी टैक्सेबल है या नहीं। अगर सैलरी टैक्सेबल होती है तो टीडीएस (TDS) काट कर इम्प्लॉई को सैलरी दी जाती है। अगर इम्प्लॉई को लगता है कि उसका ज्यादा टैक्स कटा है, तो इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त वह रिफंड ले सकता है। (फाइल फोटो)