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No Cost EMI: ऑनलाइन शॉपिंग से जुड़ी जान लें ये बातें, नहीं तो हो सकता भारी नुकसान
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क्या है नो कॉस्ट ईएमआई
नो-कॉस्ट ईएमआई ज्यादा से ज्यादा सामान बेचने के लिए अपनाया जाने वाला एक तरीका है। नो कॉस्ट ईएमआई पर कस्टमर को प्रोडक्ट बिना किसी छूट के पूरी कीमत पर खरीदना होता है। इसमें कंपनियां कस्टमर को दी जानी वाली छूट बैंकों को ब्याज के तौर पर देती हैं। एक दूसरा तरीका यह होता है कि कंपनियां ब्याज की रकम को पहले ही प्रोडक्ट्स की कीमत में शामिल कर लेती हैं।
(फाइल फोटो)
कैसे काम करती है स्कीम
नो कोस्ट ईएमआई को आम तौर पर 3 हिस्सों में बांटा जाता है। इसमें रिटेलर, बैंक और उपभोक्ता शामिल होते हैं। कुछ बैंक प्रोडक्ट्स पर नो कोस्ट ईएमआई का ऑप्शन देते हैं। हालांकि, इस ऑप्शन को चुनने के लिए कस्टमर के पास उस बैंक का क्रेडिट कार्ड होना चाहिए। इसके अलावा, कस्टमर नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) से भी ईएमआई कार्ड (EMI Card) ले सकते हैं। रिटेलर्स सिर्फ उन प्रोडक्ट्स पर ही नो कोस्ट ईएमआई का ऑप्शन देते हैं, जो उन्हें जल्दी से जल्दी बेचने होते हैं। कुछ ईएमआई कार्ड के लिए फीस भी चुकानी पड़ती है। नो कॉस्ट ईएमआई की स्थिति में रिटेलर्स उपभोक्तआों को ब्याज जितनी राशि की छूट देते हैं।
(फाइल फोटो)
कौन-से बैंक देते हैं यह सुविधा
एचडीएफसी (HDFC), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), आरबीएल (RBL), यस बैंक (YES BANK), एक्सिस बैंक (AXIS BANK), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI) स्टैंडर्ड चार्टड बैंक (SCB) और कोटक महिंद्रा बैंक (KMB) अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उत्पादों को खरीदने के लिए नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) का ऑप्शन देते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में कैश पर छूट ईएमआई से ज्यादा नहीं होती है।
(फाइल फोटो)
कमाई का है जरिया
इसे एक तरह से कमाई का जरिया कहा जा सकते है। साथ ही, इसके जरिए पुराना स्टॉक जल्दी से जल्दी बेचने की कोशिश की जाती है। बाजार के जानकारों का मानना है कि एसी, मोबाइल फोन, फ्रिज और वॉशिंग मशीन के लिए इस ऑप्शन को नहीं चुनना ही बेहतर होता है।
(फाइल फोटो)
क्या एक्स्ट्रा खर्च भी है इसमें
जब कस्टमर नो-कॉस्ट ईएमआई स्कीम चुनते हैं और रिटेलर्स से प्रोडक्ट्स खरीदते हैं, तो हो सकता है उनके साथ जुड़े कुछ कैश डिस्काउंट नहीं मिलें। इसके अलावा, आप हर किस्त पर माल और सेवा कर (GST) साथ ही प्रसंस्करण शुल्क जैसे एक्स्ट्रा खर्च का भी भुगतान करना पड़ सकता है। एचडीएफसी और कोटक महिंद्रा बैंक नो कॉस्ट ईएमआई पर 199 रुपए प्रॉसेसिंग फीस लेते हैं। यह कस्टमर द्वारा लिए गए उत्पाद की पहली महीने की किस्त में जुड़कर आती है। इससे कस्टमर के क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में हर महीने खरीददारी पर उत्पाद मूल्य से ज्यादा जीएसटी लगता रहेगा।
(फाइल फोटो)
समय पर किस्त जमा करना जरूरी
यह स्कीम में कई बार खरीददार कर्ज के जाल में फंस सकते हैं। अगर कस्टमर समय पर किस्त जमा नहीं कर पाते हैं तो बैंक पेनल्टी के साथ किस्त पर एक्स्ट्रा चार्ज वसूल करते हैं, जो महीने में 2 से 3.5 प्रतिशत होता है। बता दें कि कुछ ईएमआई योजनाओं को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने उनकी छुपी शर्तों और शुल्क के कारण बंद कर दिया था। ऐसे में, किसी भी एक्स्ट्रा चार्ज से बचने के लिए कस्टमर को समय पर किस्त अदा करना चाहिए।
(फाइल फोटो)