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जीवन बीमा को लेकर हो जाते हैं कन्फ्यूज, इन 8 में खरीदें अपनी जरूरत के हिसाब से पॉलिसी
बिजनेस डेस्क। निवेश और सुरक्षा के लिहाज से जीवन बीमा निगम (LIC) की पॉलिसीज सबसे बेहतर मानी जाती है। इसमें सेविंग्स के साथ रिटर्न भी बढ़िया मिलता है और दुर्घटना या असामयिक मृत्यु पर परिवार को आर्थिक मदद भी मिल जाती है। एलआईसी भारत सरकार की संस्था है, इसलिए इसमें लगाया गया पैसा डूब नहीं सकता। जमा धन की सुरक्षा की पूरी गांरटी होती है। लाइफ इन्श्योरेंस की कई योजनाएं हैं। इस वजह से अक्सर लोग इस बात को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं कि किसी पॉलिसी में निवेश करना बेहतर होगा। एलआईसी की पॉलिसी लोगों की जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। जरूरी नहीं कि एक पॉलिसी सबके लिए बेहतर हो। यहां हम आपको एलाईसी की पॉलिसीज के बारे में बताने जा रहे हैं। इससे आपको अपने लिए सही पॉलिसी और प्लान के चुनाव में मदद मिल सकती है। एलआईसी की कुल 8 तरह की पॉलिसी है।
| Published : Jul 19 2020, 12:58 PM IST
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टर्म इन्श्योरेंस प्लान
टर्म इन्श्योरेंस प्लान एक तय समय के लिए लिया जा सकता है। इसकी अवधि 10, 20 और 30 साल भी हो सकती है। इस प्लान एक खास टेन्योर के लिए कवरेज मिलता है, पर इस तरह की पॉलिसी में मेच्योरिटी बेनिफिट नहीं मिलता। इस पॉलिसी में बिना किसी प्रॉफिट के लाइफ कवर उपलब्ध कराई जाती है। यही कारण है कि यह एलआईसी की दूसरी पॉलिसी की तुलना में सस्ती होती है। इस पॉलिसी में टर्म के दौरान अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है, तो एक तय रकम बेनिफिशियरी को दी जाती है।
मनीबैक इन्श्योरेंस पॉलिसी
यह एक तरह की एंडोमेंट पॉलिसी होती है। इसमें निवेश के साथ बीमा होता है। लाइफ इन्श्योरेंस की इस पॉलिसी में बोनस के साथ एश्योर्ड सम पॉलिसी टर्म के दौरान ही किस्तों में वापस किया जाता है। अंतिम किस्त पॉलिसी खत्म होने पर मिलती है। अगर पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो पूरा एश्योर्ड सम बेनिफिशियरी को मिलता है। इस पॉलिसी का प्रीमियम सबसे ज्यादा होता है।
एंडोमेंट पॉलिसी
लाइफ इन्श्योरेंस की इस पॉलिसी में बीमा और निवेश दोनों होते हैं। इस पॉलिसी में एक निश्चित अवधि के लिए रिस्क कवर होता है। इस अवधि के खत्म होने के बाद बोनस के साथ एश्योर्ड सम पॉलिसी धारक को मिल जाता है। पॉलिसी धारक की मौत होने या निश्चित समय के बाद पॉलिसी अमाउंट की फेस वैल्यू का भुगतान किया जाता है।
सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट प्लान
इस तरह के लाइफ इन्श्योरेंस प्लान में बीमा लेने वाले और उसकी फैमिली को भविष्य के खर्चों के लिए एकमुश्त फंड का भरोसा मिलता है। ऐसे प्लान शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म सेविंग लिए बेहतरीन हैं। इनमें इन्श्योरेंस कवर के रूप में परिवार को एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है।
आजीवन लाइफ इन्श्योरेंस
आजीवन लाइफ इन्श्योरेंस प्लान में जीवन भर सुरक्षा मिलती है। पॉलिसी का कोई टर्म नहीं होता। पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर नॉमिनी को बीमा का क्लेम मिलता है। दूसरी लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी में उम्र की एक अधिकतम सीमा होती है। यह आमतौर पर 65-70 साल होती है। इसके बाद मौत होने पर नॉमिनी डेथ क्लेम नहीं ले सकता, लेकिन आजीवन लाइफ इन्श्योरेंस के तहत पॉलिसी धारक की मौत कितनी भी उम्र में ही क्यों न हुई हो, नॉमिनी क्लेम कर सकता है। इस पॉलिसी का प्रीमियम ज्यादा रहता है। इस पॉलिसी के तहत पॉलिसी धारक के पास इन्श्योर्ड सम को आंशिक रूप से विदड्रॉ करने का ऑप्शन होता है। वह पॉलिसी के एवज में पैसा लोन के तौर पर भी ले सकता है।
यूलिप
इस प्लान में भी इन्श्योरेंस और निवेश दोनों होता है। एंडोमेंट इन्श्योरेंस पॉलिसी और मनीबैक पॉलिसी में मिलने वाला रिटर्न एक हद तक निश्चित होता है, लेकिन यूलिप में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है। इसकी वजह है यह है कि यूलिप में निवेश वाले हिस्से को बॉन्ड और शेयर में लगाया जाता है। इसमें म्यूचुअल फंड की तरह आपको यूनिट मिल जाती है। ऐसे में, रिटर्न मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। हालांकि, आप तय कर सकते हैं कि आपका कितना पैसा शेयर में लगे और कितना बॉन्ड में।
चाइल्ड इन्श्योरेंस पॉलिसी
यह प्लान बच्चों की शिक्षा के खर्च और दूसरी जरूरतों को देखते हुए बनाए गए हैं। चाइल्ड प्लान में पॉलिसी धारक की मृत्यु के बाद एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता है, लेकिन पॉलिसी खत्म नहीं होती है। साथ ही, आगे के सारे प्रीमियम माफ कर दिए जाते हैं और इन्श्योरेंस कंपनी पॉलिसी धारक की ओर से निवेश जारी रखती है। बच्चे को एक निश्चित अवधि तक पैसा मिलता है।
रिटायरमेंट प्लान
इस प्लान में लाइफ इन्श्योरेंस कवर नहीं मिलता है। इसके तहत आप अपने रिस्क का आकलन कर एक रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं। तय की गई एक अवधि के बाद पॉलिसी धारक औऱ उसकी मृत्यु के बाद बेनिफिशियरी को पेंशन के तौर पर एक निश्चित रकम का भुगतान किया जाता है। यह भुगतान मासिक, छमाही या सालाना आधार पर हो किया जा सकता है।