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लोन मोरेटोरियम पर ब्याज में मिल सकती है जल्द ही राहत, जानें क्या होने जा रहा है फैसला
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क्या विचार करेगी कमेटी
राजीव महर्षि की अध्यक्षता में बनी कमेटी इस बात पर विचार करेगी कि किसी तरह की राहत का बोझ बैंकों की बैलेंसशीट या जमाकर्ताओं पर नहीं पड़े। इसकी वजह यह है कि उन्हें भी कोरोना महामारी से नुकसान उठाना पड़ा है। कमेटी चुनिंदा कर्जदारों को चक्रवृद्धि ब्याज पर रोक लगाने संबंधी राहत दे सकती है। इनमें छोटे कर्जदार भी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा राहत की रकम तय की जा सकती है।
(फाइल फोटो)
पिछले हफ्ते हुआ कमेटी का गठन
तीन सदस्यों वाली इस कमेटी का गठन पिछले हफ्ते हुआ है। इसे मोरेटोरियम के दौरान ब्याज माफी के विभिन्न पहलुओं को देखकर सुझाव देने के लिए कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस मसले पर अपना रुख साफ करने का निर्देश दिया था। इसके बाद सरकार ने इस कमेटी का गठन किया।
(फाइल फोटो)
ब्याज माफी के पक्ष में नहीं है रिजर्व बैंक
रिजर्व बैंक ब्याज माफी के पक्ष में नहीं है। बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पहले से ही संकट से जूझ रहे फाइनेंशियल सेक्टर को इससे काफी नुकसान होगा। वहीं, इसका खामियाजा जमाकर्ताओं को भी भुगतना होगा।
(फाइल फोटो)
सरकार ने किया रिजर्व बैंक का समर्थन
सरकार ने रिजर्न बैंक के रुख का समर्थन किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय से अलग से अपना रुख रखने को कहा। इसी को देखते हुए 10 सितंबर को महर्षि कमेटी का गठन किया गया। कमेटी को एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।
(फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट में होगी दोबारा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर से मोरेटोरियम से जुड़ी याचिकाओं की दोबारा सुनवाई शुरू करेगा। हो सकता है कि सरकार को राहत का कुछ या पूरा बोझ अपने ऊपर लेना पड़े। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ज्यादातर सरकारी बैंकों में उसकी मालिकाना हिस्सेदारी है। ऐसी स्थिति में सरकार को प्राइवेट बैंकों और को-ऑपरेटिव बैंकों की ओर से ग्राहकों को दी गई राहत का भार भी उठाना पड़ेगा। इनके मामले में भी कर्जदारों ने ईएमआई के भुगतान को रोका था। वहीं, अपनी आजीविका के लिए ब्याज की आय पर निर्भर जमाकर्ता पेंशनर्स के हितों को भी देखना होगा।
(फाइल फोटो
पड़ सकता है 2.1 लाख करोड़ रुपए का बोझ
अनुमान जताया जा रहा है कि ब्याज माफी से बैंकिंग सिस्टम पर 2.1 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ सकता है। वहीं, चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने से यह करीब 15,000 करोड़ रुपए होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को किसी भी लोन को अगले नोटिस तक एनपीए के तौर पर घोषित नहीं करने का आदेश दिया है।
(फाइल फोटो)