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मुकेश अंबानी की Jio को चीनी कंपनियों के खिलाफ हथियार मानने लगी दुनिया, 2 साल में होंगे 50 करोड़ यूजर
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अलीबाबा के बाद जियो
कई बिजनेस एक्सपर्ट यह मान कर चल रहे हैं कि जियो अलीबाबा के बाद दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन सकती है। वहीं, कुछ इसे भारत का टेनसेंट मान रहे हैं। 16 जुलाई को बैंक ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अलीबाबा और टेनसेंट की तरह ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बेहतरीन इकोसिस्टम डेवलप किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 2 से 3 साल के भीतर रिलायंस जियो के भारत में 50 करोड़ (500 मिलियन) से भी ज्यादा यूजर्स हो सकते हैं।
जियो प्लेटफॉर्म्स सबसे आगे
फोरेस्टर (Forrester) के सीनियर फोरकास्ट एनालिस्ट सतीश मीणा का कहना है कि मुकेश अंबानी का लक्ष्य जियो को भारत के घर-घर तक पहुंचाना है। जियो एक टेक कंपनी के रूप में आगे बढ़ रही है और इसके साथ ही यह अलीबाबा की तरह रिटेल और ई-कॉर्मस के क्षेत्र में दुनिया की एक बड़ी कंपनी बनने की राह पर है।
गूगल जैसी कंपनी बनाना चाहते जियो को
कुछ एनालिस्ट का मानना है कि जियो प्लेटफॉर्म्स को लेकर मुकेश अंबानी की महत्वाकांक्षा बहुत बड़ी है। पिचबुक (PitchBook) के वायली फनॉफ ( Wylie Fernyhough) ने CNN से कहा कि मुकेश अंबानी जियो को गूगल जैसी कंपनी बनाना चाहते हैं। जियो भारत की टेनसेंट भी हो सकती है। टेनसेंट चीन की मल्टीनेशनल कंपनी है, जिसका कारोबार इंटरनेट प्रोडक्ट्स, एंटरटेनमेंट और दूसरे कई क्षेत्रों में फैला है।
स्टार्टअप्स में कर रही निवेश
15 जुलाई को हुई रिलायंस की एजीएम में मुकेश अंबानी ने कंपनी के विकास में जिसे रिलायंस का गोल्डन डिकेड ग्रोथ कहा गया, स्टार्टअप्स के महत्व पर काफी जोर दिया। चीन में टेनसेंट ने भी स्टार्टअप्स में काफी निवेश किया है।
रिलायंस ने की स्टार्टअप्स से जुड़ने की घोषणा
एजीएम में मुकेश अंबानी ने इंडियन स्टार्ट्अप्स से जुड़ने, उन्हें डिस्ट्रिब्यूशन और मार्केटिंग में मदद पहुंचाने और पूंजीगत सहयोग देने की बात भी कही। उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि रिलायंस इंडियन स्टार्टअप्स में हिस्सेदारी खरीद सकती है और वॉट्सऐप का इस्तेमाल रिटेल कारोबार के लिए कमीशन मॉडल पर कर सकती है। टेनसेंट ने चीन में यही तरीका अपनाया और WeChat का इसके लिए इस्तेमाल किया। टेनसेंट ने चीन में JD, PDD, Meituan में हिस्सेदारियां खरीदीं। यह बात 16 जुलाई को Golman Sachs की रिपोर्ट में कही गई है।
20 स्टार्टअप्स में जियो ने किया है निवेश
जियो ने जून 2017 से 20 से ज्यादा स्टार्टअप्स में निवेश किया है। मुकेश अंबानी ने शेयरहोल्डर्स की मीटिंग में इस बात का संकेत दिया कि कंपनी आगे स्टार्टअप्स में और भी ज्यादा निवेश कर सकती है। मुकेश अंबानी ने कहा कि मेरा मानना है कि इंडियन स्टार्टअप्स के लिए जियो से बेहतर पार्टनर दूसरा कोई नहीं हो सकता है। मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के एजीएम में कहा कि हम कई तरह से इंडियन स्टार्टअप्स का सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कोई स्टार्टअप टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के काम में लगा हो या प्रोडक्ट डेवलपमेंट, डिस्ट्रिब्यूशन या मार्केटिंग में, वे उनकी मदद करेंगे।
सुपर ऐप डेवलपमेंट में आ सकती है जियो
फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों से जुड़ने के बाद जियो सुपर ऐप डेवलपमेंट के क्षेत्र में भी आ सकती है। रिसर्च एनालिटिक्स फर्म Counterpoint के एसोसिएट डायरेक्टर तरुण पाठक का कहना है कि जिस तरह का इकोसिस्टम कंट्रोल जियो ने डेवलप किया है, वैसा दुनिया की ज्यादातर टेलिकॉम कंपनियों के पास नहीं है। जियो के इकोसिस्टम में म्यूजिक से लेकर मूवीज तक है।
अपनी तरह की अलग ही कंपनी है जियो
वहीं, कुछ ऐसे भी एक्सपर्ट हैं जो अलीबाबा और टेनसेंट से जियो की तुलना को सही नहीं मानते। उनका कहना है कि यह तुलना काफी बढ़ा-चढ़ा कर की जा रही है। Technopak के मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद सिंघल का मानना है कि कई सालों से लोग कह रहे हैं कि रिलायंस भारत की वाॉलमार्ट और अमेजन जैसी कंपनी बन सकती है, लेकिन यह सही नहीं है। रिलायंस तो बस रिलायंस है। इसकी अपनी अलग पहचान है। टेनसेंट गेमिंग के क्षेत्र में बड़ी कंपनी है, लेकिन जियो अभी इसे शुरू करने के बारे में सोच ही रही है। रिलायंस की 2019 में हुई एजीएम ने आकाश अंबानी ने जियो कन्सोल (Jio Console) के बारे में घोषणा की थी। अंबानी रिटेल के क्षेत्र में जा रहे है, जबकि टेनसेंट इस फील्ड में नहीं है।
पेट्रोकेमिकल अभी भी है रिलायंस का मुख्य बिजनेस
जियो में भारी निवेश और इसका कारोबार बढ़ने के बावजूद पेट्रोकेमिकल रिलायंस का मुख्य बिजनेस बना हुआ है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के कुल रेवेन्यू में इसका योगदान 60 फीसदी से भी ज्यादा है। बहरहाल, मुकेश अंबानी जियो के विस्तार में पूरी तरह लगे हुए हैं और उनकी योजना इसे एक अलग कंपनी के तौर पर लिस्ट कराने की है। अलीबाबा और टेनसेंट को चीन के बड़े बाजार का फायदा मिल रहा है। भारत का बाजार चीन की तुलना में छोटा है। बावजूद इसके जियो के विस्तार की संभावनाएं कम नहीं हैं।