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इंटरव्यू में गांव के लड़के से पूछा भारत में काले-गोरे में भेदभाव क्यों ? एक सटीक जवाब देकर बना IAS
बाड़मेर. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा ( UPSC Civil Services Exam ) के इंटरव्यू में आपके डीएएफ ( UPSC DAF ) और करंट अफेयर से जुड़े तमाम पहलुओं को लेकर आपकी तैयारी ही आपकी सफलता तय करती है। इंटरव्यू में उम्मीदवार की नॉलेज का नहीं बल्कि उसकी अवेयरनेस का टेस्ट होता है। अगर इंटरव्यू बोर्ड में से कोई सदस्य आपके जवाब पर काउंटर कर दें तो आप क्या कहेंगे? डीएएफ और कंरट अफेयर्स के हर पहलू के बारे में सोचना चाहिए। अगर आपने परीक्षा पास कर ली लेकिन आप इंटरव्यू में फेल हो गए तो सारी मेहनत बेकार है। इसलिए आईएएस बनने के लिए इंटरव्यू भी उतना ही जरूरी होता है। ऐसे ही एक गांव से आने वाले एक गरीब लड़के से जब रंगभेद को लेकर सवाल पूछा गया तो उसके होश उड़ गए। इसने सोचा भी नहीं था रोजमर्रा जिंदगी में जो हम अपने आपस-पास देखते हैं वो मेरे इंटरव्यू का सवाल भी हो सकता है? हालांकि वो इसका सही जवाब देकर अधिकारियों का दिल जीत ले गया।
आईएएस सक्सेज स्टोरी (IAS Success Story) में हम आपको आज हिन्दी मीडियम से 33वीं रैंक हासिल करने वाले आईएएस गंगा सिंह की सफलता की कहानी सुना रहे हैं।
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गंगा सिंह राजस्थान के छोटे से जिले बाड़मेर के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने गांव से ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और 10 वीं कक्षा में स्कूल में टॉप किया था। 12वीं में भी टॉप करके पूरे जिले में 6th स्थान पाया। इसके बाद गंगा B.SC. के लिए जोधपुर चले गए। स्नातक करने के समय उनके माता-पिता (विशेष रूप से दादा) ने उन्हें करियर विकल्प के रूप में सिविल सेवा को चुनने के लिए प्रेरित किया। सलाह पर अमल करते हुए गंगा ने बीएससी फाइनल इयर के दौरान NCERT Books पढ़ना शुरू कर दिया था। B.SC. के अंतिम वर्ष तक उन्होंने सिविल सेवा करने की ठान ली थीं। गंगा ने आईएएस बनने की अपनी पूरी स्ट्रेटजी भी लोगों को बताई।
ग्रुप स्टडी बहुत जरूरी
गंगा ने बताया कि, मैंने विशेष रूप से अपने वरिष्ठ साथी और सहपाठियों के साथ जेएनयू में ग्रुप स्टडी का पालन किया। देश में चल रहे वर्तमान मामलों पर मेरी नज़र थी। मैंने विभिन्न कोचिंग संस्थानों द्वारा आयोजित कुछ mock interviews में भाग लिया, जिनमें से कुछ बहुत अच्छे थे। हालांकि, यूपीएससी और कोचिंग संस्थान द्वारा आयोजित साक्षात्कार पूरी तरह से अलग थे, लेकिन किसी परीक्षार्थी को कम से कम एक या दो मॉक इंटरव्यूजरूर देना चाहिए, इससे confidence बढ़ता है।
मेरा वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य था। मैं इस विषय में जेएनयू से एम.ए.ए. किया था, इसलिए इसे संभालना मेरे लिए बहुत आसान था। हालांकि, सभी वैकल्पिक विषय अच्छे हैं –सामग्री की उपलब्धता और उस विषय में आपकी रुचि किसी भी वैकल्पिक विषय को चुनने के लिए आधार होना चाहिए।
नोटस् बनाए-
मैंने अपने वैकल्पिक विषय के छोटे नोट्स बनाए जो सिर्फ सारांश-प्रकार (summary kind of) के थे। मेरे अनुसार, हमें केवल जटिल विषयों के लिए नोट्स बनाने की कोशिश करनी चाहिए। मैंने अधिक से अधिक revision किया ताकि मैं चीजों को याद कर सकूं. परीक्षा के दौरान सामग्री को रिवाइज करने के कई फायदे हैं, यह गति और लिखावट में सुधार करने में मदद करता है। इसी कारण से मैंने अपने नोट्स को छोटे रूप में तैयार किया।
मेन्स की तैयारी कैसे की?
मैंने पहले अटेंप्ट में बहुत ज्यादा पढ़ा था और दूसरे अटेंप्ट में बहुत ज्यादा लिखा था। पेपर में बहुत लिमिटेड टाइम और स्पेस होता है। सिलेबस पूरा करना चाहिए। जितना आपने पढ़ा है उसे बार बार रिवाइज जरूर करना चाहिए। पहली अटेंप्ट में मेरा आठ मिनट में उत्तर नहीं सिमट पा रहा था। प्रश्न के उत्तर 25-300 से ऊपर जा रहे थे। टाइम मैनेजमेंट खराब होने के चलते आगे के प्रश्न सोल्व नहीं हो पा रहे थे। दूसरे अटेंप्ट में मैंने शॉर्ट नोट बना लिए थे। इससे तय सीमा में उत्तर लिखने में काफी आसानी हुई।
प्रैक्टिस से लिखावट और स्पीड दोनों सुधरे। गंगा सिंह ने एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि इंटरव्यू में मुझसे रंगभेद की समस्या से जुड़ा एक दिलचस्प सवाल पूछा गया था। उस वक्त दुनिया में रंगभेद से जुड़ी कुछ खबरें आ रही थीं। काले और गोरे के भेद से जुड़ा प्रश्न मेरे इंटरव्यू का टर्निंग प्वॉइंट था।
मुझसे पूछा गया कि क्या भारतीय समाज में काले और गोरे का भेदभाव होता है?
मैंने कहा कि हां, ये भेदभाव होता है। हम रोजमर्रा की जिंदगी में भी काफी उदाहरण देखते हैं। उन्होंने (इंटरव्यू बोर्ड के एक सदस्य) कहा कि कैसे, भारत में तो लोकतंत्र है। मैंने कहा कि उदाहरण देता हूं - ट्रैक्टर और ट्रक के पीछे लिखा रहता है बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला! इसका मतलब है कि काले रंग के लोग बुरी नजर के हैं और गोरी चमड़ी वाले अच्छी बुद्धि व नजर वाले हैं। बॉलीवुड फिल्मों के गाने भी गोरे रंग पर हैं। अखबार के पेज में भी आता है- वर चाहिए, वधू चाहिए गोरे रंग के। इससे पता चलता है कि काले और गोरे के बीच भेद की विकृत मानसिकता व भावना हमारे समाज में घर कर गई है।
गंगा अपने सभी चरणों में सफल रहे और साल 2016 में महज 23 साल की उम्र में दूसरी अटेंप्ट में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करके इतिहास रच दिया। फिर गंगा साल 2017 बैच गुजरात कैडर के अधिकारी चुने गए थे।
गांव से आने वाले इस लड़के ने लोगों के दिलों में अपने अच्छे विचारों से भी जगह बनाई। समाज सेवा करने के लिए ही उसने सिविल सेवा में जाना चुना था।