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World Poetry Day: देशभक्ति से भरी हैं ये 5 कविताएं, सुनकर आप भी नहीं रोक पाएंगे अपने इमोशन
करियर डेस्क. 21 मार्च को विश्व कविता दिवस (world poetry day) के रूप में भी मनाया जाता है। साल 1999 में यूनेस्को द्वारा इस दिन को मनाने की घोषणा की गई थी। ऐसा कहा जाता है कि जहां सूर्य (SUN) की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं वहां एक कवि (Poet) की कल्पना पहुंच जाती है। अपने इमोशन (emotion) और फीलिंग को कतिवा के सहारे शेयर करना एक आर्ट होती है। कविताएं इमोशनल से भी भरी होती हैं तो कभी ज्ञान से भी। हमारे देश में कई कवि और शायर हुए हैं जिनकी कविताएं और शायरी लोगों के जुबान पर चढ़ी रहती हैं। कुछ कविताएं ऐसी हैं जो देशभक्ति से डूबी हुई हैं। विश्व कविता दिवस पर हम आपको कुछ ऐसी ही कविताओं के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप अपने दोस्तों और फैमली मेंबर को शेयर कर सकते हैं। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो कविताएं।
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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि और निबन्धकार थे। वो वीर रस के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। उनकी एक कविता है जो लोगों को पसंद आती है।
सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है। इस कविता को आजादी के लिए गया गया था। ये कविता शैलेन्द्र ने लिखी थी।
श्यामलाल गुप्त की लिखी ये कविता आज भी बच्चों की जुबान पर रहती है।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला, वीरों को हरषाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा।।
देश की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी शहीद अशफ़ाक़ उल्ला ख़ां ने आजादी के जो कविता लिखी थी लोग आज भी उसे गुनगुनाते हैं। आह्वान शीर्षक की उनकी कविता आज भी पसंद की जाती है। कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,आजाद ही हो लेंगे या सिर ही कटा देंगे।
इस कविता को मैथलीशरण गुप्त ने लिखा था।
प्यारे भारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा