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- पड़ोसन एयर होस्टेस को देखते ही दिल दे बैठा था ये सिंगर, शादी के खिलाफ थी फैमिली फिर 1 वजह से हुई राजी
पड़ोसन एयर होस्टेस को देखते ही दिल दे बैठा था ये सिंगर, शादी के खिलाफ थी फैमिली फिर 1 वजह से हुई राजी
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पंकज की फैमिली का रिएक्शन उनके और फरीदा के रिलेशन को लेकर पॉजिटिव था। लेकिन फरीदा चूंकि पारसी कम्युनिटी से थी, इसलिए उनके पेरेंट्स को ऑब्जेक्शन था। इसकी वजह ये थी कि उनकी कम्युनिटी में जाति से बाहर शादी करने पर पांबदी थी। इस वजह से पंकज और फरीदा ने तय किया कि शादी तभी करेंगे, जब दोनों के पेरेंट्स का आशीर्वाद मिलेगा।
पंकज, फरीदा के फादर से मिले, जो रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे। काफी मनाने के बाद पंकज से मिलकर उन्होंने कहा यदि आप दोनों को ऐसा लगता है कि आप एक-साथ खुश रहेंगे तो आगे बढ़ें और शादी करें। अब दोनों की दो बेटियां हैं नायाब (1986) और रेवा (1995)।
तीन भाइयों में पंकज सबसे छोटे हैं। उनके दोनों भाई मनहर उधास और निर्मल उधास म्यूजिक की फील्ड में थे। इसलिए पंकज का रुझान भी म्यूजिक में था।
पंकज उधास के बड़े भाई मनहर उधास गायक थे और वे बचपन में ही अपने छोटे भाई की आवाज पहचान गए थे। महज 7 साल की उम्र से ही पंकज गाना गाने लगे थे। उनके बड़े भाई अक्सर संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लिया करते थे। वे पंकज को भी साथ ले जाया करते थे।
पंकज उधास ने अपना पहला गाना भारत-चीन युद्ध के दौरान गाया था, जो 'ऐ मेरे वतन के लोगों' था। इस गाने के लिए उन्हें एक दर्शक ने प्राइज के तौर पर 51 रुपए का इनाम दिया था। यह गाना लोगों को इतना पसंद आया कि इसे सुनते- सुनते लोग रोने लगे थे।
उन्होंने गजल गायिकी की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने 1980 में अपना पहला एल्बम आहट नाम से निकाला। पहला एल्बम लॉन्च होते ही उन्हें बॉलीवुड से सिंगिंग के ऑफर मिलने लगे। उन्होंने 1981 में एल्बम तरन्नुम और 1982 में महफिल लॉन्च किया। उन्होंने लगभग 40 एल्बम बनाएं।
पंकज को बॉलीवुड में पहला मौका 1972 में आई फिल्म कामना से मिला था। संगीतकार ऊषा खन्ना की सलाह पर उनको इस फिल्म में गाने का मौका दिया गया था। यह फिल्म तो फ्लॉप रही लेकिन उनके गाने की काफी तारीफ हुई थी। लेकिन उन्हें असली पहचान 1986 में आई संजय दत्त की फिल्म नाम के गाने चिठ्ठी आई है.. से मिली थी। उसके बाद से उन्होंने कई फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी है।
पंकज उधास को उनके बेहतर काम के लिए 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पंकज को जब यह सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई थी तो उन्हें इसके बारे में पता नहीं थी। उनके एक दोस्त ने उन्हें इसकी जानकारी दी थी।
बता दें कि 1976 में पंकज को कनाडा जाने का मौका मिला था और वे अपने एक दोस्त के यहां टोरंटो में रहने लगे। एक बार वे वहीं पर अपने दोस्त के जन्मदिन पर गाना गा रहे थे। उसी दौरान पार्टी में टोरंटो रेडियो में हिंदी कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले एक शख्स भी मौजूद थे। उन्हें पंकज की आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने उनको टोरंटो रेडियो और दूरदर्शन में गाने का मौका दे दिया। लेकिन किस्मत तो कुछ और ही चाहती थी। लगभग 10 महीने में ही वे इस काम से बोर हो गए और वापस देश लौट आए।