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Fact Check: 100 साल पहले फैली थी कोरोना जैसी स्पेनिश फ्लू महामारी? जानें वायरल डरावनी मास्क की फोटोज का सच
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इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। अकेले भारत में 2 लाख से ज्यादा केस हो चुके हैं। ये लगातर बढ़ रहे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर सामने आई इन तस्वीरों ने लोगों की नींदें उड़ा दी हैं।
वायरल पोस्ट क्या है?
फेसबुक पेज “The Weird Tales ” और The talk trend ने इन तस्वीरों के साथ लिखा, “100 साल पहले अंतिम महामारी स्पेनिश फ्लू (1918-1920) की झलकियां। जीवन एक पूर्ण हुआ और हम अब भी उसी जगह पर खड़े हैं। इतिहास अपने आप को दोहराता है।” हालांकि, बाद में यह पोस्ट डिलीट कर दी गई जिसका आर्काइव यहां देखा जा सकता है, यह पोस्ट फेसबुक और ट्विटर पर भी वायरल है।
क्या दावा किया जा रहा है?
दावा किया जा रहा है आज से 200 साल पहले भी कोरोना जैसी फ्लू बीमारी फैली थी, इसके सबूत भी मौजूद हैं और मास्क वाली कुछ तस्वीरें शेयर की जा रही हैं। हालांकि फैक्ट चेक में दावा फर्जी निकला है।
फैक्ट चेक
फैक्ट चेकिंग में हमने पाया कि, वायरल तस्वीरों में से कोई भी तस्वीर स्पेनिश फ्लू महामारी से संबंधित नहीं है, जिससे दुनिया भर में लगभग 50 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमने तस्वीरों के मूल स्रोत का पता लगाया। गैस मास्क में बच्चे की गाड़ी (pram) धकेलते हुए दो महिलाओं की यह तस्वीर 1941 में ली गई थी। यह समय स्पेनिश फ्लू के 23 साल बाद का है।
हमें यह तस्वीर “Getty Images ” फोटो स्टॉक में मिली। यहां इस तस्वीर के साथ हेडर में लिखा है, “गैस टेस्ट” और कैप्शन में लिखा गया है, “9 जून, 1941: किंग्स्टन में एक सरप्राइज गैस टेस्ट के दौरान अपने बच्चे के प्रैम के साथ, गैस मास्क लगाए हुए एक मां। ”
कोन यानी शंकु के आकार का पारदर्शी फेस मास्क पहने दो महिलाओं की यह तस्वीर 1939 में मॉन्ट्रियल, कनाडा में क्लिक की गई थी। हमें यह तस्वीर “flickr” (https://www.flickr.com/photos/nationaalarchief/4193509756) पर मिली। यहां फोटो के विवरण में डच भाषा में लिखा गया है कि बर्फीले तूफान और ठंड से बचने के लिए महिलाएं प्लास्टिक फेस प्रोटेक्टर पहन रही थीं।
चेहरे पर स्कार्फ जैसा मास्क पहने और हाथ में हाथ डाले पैदल चलती इन दो महिलाओं की तस्वीर 1913 में क्लिक की गई थी। हमें यह तस्वीर “alamy ” के स्टॉक में मिली। इस फोटो का विवरण कहता है, “यह तस्वीर ऐतिहासिक या रिपोर्ट्स के तौर पर अधूरी हो सकती है। 1913 में महिलाओं का फैशन। तुर्की में नोज वेल पर आधारित घूंघट का फैशन।” इस तस्वीर का क्रेडिट Sueddeutsche Zeitung को दिया गया है।
इस फोटो का कैप्शन जर्मन में है, जिसका अनुवाद होगा, “बाल्कन (यूरोप का एक क्षेत्र) में युद्ध के दौरान एक नया और अजीब सा फैशन सामने आया है। महिलाएं नोज वेल पहन रही हैं, तुर्की में सदियों से महिलाओं के नाक तक घूंघट करने का चलन है।”
यह तस्वीर 1953 में अमेरिका के फिलाडेल्फिया में खींची गई थी, हमें कई वेबसाइटों की फोटो गैलरी में यह तस्वीर मिली, जिसके कैप्शन में लिखा गया है, “युद्ध में बचे गैस कैप का उपयोग मेरिल बुश, बाएं, और रुथ न्यूर ने किया। उन्होंने स्मॉग और धुएं के आंखों में चुभने वाले प्रभावों से बचने के लिए ऐसा किया। 20 नवंबर, 1953 को दूसरे दिन फिलाडेल्फिया में ऐसा मौसम रहा।”
स्पेनिश फ्लू महामारी
स्पेनिश फ्लू महामारी H1N1 वायरस के कारण फैला एक घातक इन्फ्लूएंजा था। यह महामारी 1918 में सामने आई और इसका घातक प्रभाव दो साल बाद कम हो पाया। इसके चलते दुनिया भर में करीब 50 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे। इस महामारी में करीब 10 करोड़ लोग मारे गए थे। फ्लू की उत्पत्ति कैसे हुई, यह विवादित रहा, लेकिन चूंकि स्पेन उस समय चल रहे प्रथम विश्व युद्ध में भाग नहीं ले रहा था और वहां पर अन्य देशों में युद्धकालीन सेंसरशिप के विपरीत प्रेस पर प्रतिबंध नहीं था, इसलिए वह प्रकोप के बारे में रिपोर्ट करने के लिए स्वतंत्र था। इससे यह समझा गया कि स्पेन में ही महामारी फैली। इस तरह इसका नाम स्पेनिश फ्लू पड़ा। हालांकि, इस महामारी ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कई अन्य देशों को अपनी चपेट में लिया था।
ये निकला नतीजा
ये सच है कि स्पेनिश फ्लू महामारी फैली थी लेकिन यह साफ है कि वायरल हो रहीं ये तस्वीरें स्पेनिश फ्लू के प्रकोप से संबंधित नहीं हैं। ये फोटो गलत दावे के साथ शेयर की जा रही है।