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अयोध्या राम मंदिर की खुदाई में निकला 200 साल पुराना शिवलिंग, गूंजे जय श्रीराम के नारे, जानें सच
नई दिल्ली. राम नगरी में बहुप्रतीक्षित रामलला के मंदिर निर्माण की शुरुआत हो गई है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बीच राम मंदिर के कार्य शुरू हो गए हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने सोमवार को 28 वर्ष बाद किया रामलला का दर्शन किया और मंदिर निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इस बीच सोशल मीडिया पर एक शिवलिंग की पुरानी तस्वीर को कुछ लोग वायरल करते हुए यह दावा कर रहे हैं कि यह शिवलिंग अयोध्या में मिला है। फेसबुक यूजर ने प्राचीन शिवलिंग की तस्वीर पोस्ट करते हुए बताया कि ये वहीं शिवलिंग है जिससे श्रीराम भी पूजा किया करते थे। तस्वीर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
पर इसकी सत्यता पर सवाल भी उठे हैं। तो आइए फैक्ट चेकिंग में जानते हैं कि इस शिवलिंग की फोटो का सच क्या है?
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राम मंदिर निर्माण के बीच शिवलिंग की तस्वीर काफी शेयर की जा रही है। तस्वीर में रस्सी में बांठ शिवलिंग को जमीन से निकाला जा रहा है।
क्या हो रहा है वायरल
फेसबुक यूजर ‘शंकर के भगत’ ने 23 मई को एक तस्वीर को अपलोड करते हुए दावा किया : “भगवान श्रीराम जिस शिवलिंग की पूजा करते थे वो शिवलिंग मिला है अयोध्या में की जाने वाली खुदाई में 👇 #श्रीरामऔऱशिवभक्तों 🙏 जयकारे में कमी न आने पाये 🙌 🚩 #जयजयश्रीराम 🙏 #हरहरमहादेव 🚩” इस फेसबुक पेज को 6 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
क्या दावा किया जा रहा है?
दावा किया जा रहा है कि अयोध्या में खुदाई के दौरान एक बहुत प्राचीन शिवलिंग निकला है। ये वहीं शिवलिंग है जिससे श्रीराम भी पूजा-पाठ किया करते थे।
फेसबुक पर अंधाधुंध लोग इस मैसेज को कॉपी पेस्ट करके शेयर कर रहे हैं। 'भगवान श्रीराम जिस शिवलिंग की पूजा करते थे' इस टैग से सर्च करने पर सैकड़ों पोस्ट मिल जाती हैं।
फैक्ट चेकिंग
वायरल पोस्ट की सत्यता जानने के लिए हमने इसकी फैक्ट चेकिंग की। सबसे पहले अयोध्या के नाम पर वायरल हो रही शिवलिंग की तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। हमें अमर उजाला की वेबसाइट पर एक खबर मिली। इसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। 27 जुलाई 2016 को पब्लिश खबर में बताया गया कि फरुर्खाबाद के मठिया देवी मंदिर की खुदाई के दौरान शिवलिंग का एक बड़ा हिस्सा जमीन के अंदर से निकला था।
सच क्या है?
पड़ताल में पता चला कि अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर में समतलीकरण का कार्य चल रहा है। इस दौरान बड़ी मात्रा में प्राचीन मंदिर के अवशेष सहित शिवलिंग भी मिले हैं। अयोध्या में कई प्रतीक चिह्न मिले हैं। इसमें कलश से लेकर शिवलिंग तक शामिल हैं, लेकिन वायरल फोटो का अयोध्या से संबंध नहीं है। वायरल पोस्ट फेक है। तस्वीर अयोध्या की नहीं है।
ये निकला नतीजा
फैक्ट चेकिंग में पता चलने के बाद ये नतीजा निकलता है कि, फर्रुखाबाद की पुरानी तस्वीर को कुछ लोग जानबूझकर अयोध्या के नाम पर शेयर कर रहे हैं। इस तस्वीर का अयोध्या से कोई लेना-देना नहीं है भ्रामक दावों के साथ पुरानी तस्वीर वायरल की जा रही है।