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जर्मनी में मिली भगवान नरसिम्हा की 32 हजार साल पुरानी ये प्रतिमा, क्या है इस फोटो का सच
| Published : Nov 28 2019, 06:08 PM IST / Updated: Nov 28 2019, 06:15 PM IST
जर्मनी में मिली भगवान नरसिम्हा की 32 हजार साल पुरानी ये प्रतिमा, क्या है इस फोटो का सच
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ये फोटो शेयर होते ही वायरल होने लगी और देशभर में कई लैंग्वेज में इस पोस्ट को कॉपी पेस्ट करके शेयर किया जाना लगा। पेज से हटाने से पहले पोस्ट करीब 3,000 से ज्यादा शेयर हो चुकी थी।
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वायरल इमेज जुड़ा ये दावा कई सालों से ऑनलाइन घूम रहा है। साल 2012 में भी फेसबुक पर कन्नड़ भाषा में इस खबर से जुड़ी कई पोस्ट हैं जो दावा करते हैं कि जर्मनी में भगवान नरसिम्हा की 32,000 साल पुरानी मूर्ति पाई गई।"
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साल 2017 में पोस्टकार्ड न्यूज ने एक आर्टिकल पब्लिश किया था जिसमें लिखा था, जर्मनी में भगवान नरसिंह की 32, हजार साल पुरानी एक प्रतिमा मिली है लेकिन इस तस्वीर में सिंह और मनुष्य के शरीर की एक मूर्ति दर्शाई गई थी। यह प्रतिमा वायरल पोस्ट से बिल्कुल अलग नजर आती है। उस समय भी इस खबर को 5 हजार से ज्यादा शेयर्स मिले थे। इसी तरह के दावों के साथ YouTube पर भी एक वीडियो अपलोड किया गया है। अगस्त 2017 में अपलोड किए गए इस वीडियो को 1,80,000 बार देखा गया है।
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पर अभी तक प्रतिमा की सच्चाई से लोग अनजान थे। गूगल करने पर हमने पाया कि ऐसा सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं है दूसरी कई साइट्स पर भी इस दावे के साथ कई पोस्ट लिखी गई हैं। इनमें दावा किया गया कि भगवान नरसिम्हा की ये मूर्ति 40,000 साल पहले की है।
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चलिए फैक्ट चेक करते हैं- गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने के बाद, हमने पाया कि वायरल इमेज 2009 में संप्रदाय सूर्य की वेबसाइट पर प्रकाशित एक फीचर स्टोरी से है। भगवान निरसिम्हा की ये मूर्ति श्रीधाम मायापुर में एक मंदिर में स्थित है। श्रीधाम मायापुर इस्कॉन (ISKCON) पश्चिम बंगाल में स्थित है। इसलिए मूर्ति को जर्मनी में होने का दावा करने वाली पोस्ट गलत है। हरे कृष्ण टीवी द्वारा अपलोड किए गए एक वीडियो में भी इस मीर्ति के विषय में विस्तार से बताया गया है।
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दूसरी सिंह वाली फोटो का क्या सच क्या है? अब हमने पोस्टकार्ड न्यूज में इस्तेमाल की गई मूर्ति की फोटो की छानबीन की। हालांकि ये फोटो ल्वेनमेन्सक मूर्ति या होहलेनस्टीन-स्टैड का लायन-मैन, जर्मनी में स्थित एक गुफा का पाया गया। इस फोटो के विषय में बात की जाए तो प्राचीन खुदाई में मिली एक मूरत है। डेर स्पीगेल की 2011 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मैमथ-आइवरी की मूर्ति के टुकड़े की खोज भूविज्ञानी ओटो वोल्जिंग ने अगस्त 1939 में की थी। वर्तमान में जर्मनी के उल्म संग्रहालय में इसे रखा गया है। संग्रहालय के अनुसार, लॉयन मैन वाली ये मूर्ती 40,000 साल पुरानी पुरापाषाण काल की है। ब्रिटिश म्यूजियम के ब्लॉग पोस्ट में भी इसे द लायन मैन: ए आइस एज ’कृति कहा गया है।
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इस तरह आप समझ सकते हैं कि कैसे दो तस्वीरों को मोडिफाइ करके फेक पोस्ट बना दी गई। वायरल पोस्ट में जर्मनी की 32,000 और 40,000 साल पुरानी फोटो का दावा झूठा है। इसमें एक भी विश्वसनीय सूत्र ये दावा नहीं करता कि मूर्ति भगवान नरसिंह की है। ऐसे में ये बात साबित होती है ये पूरी तरह फेक न्यूज है।