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'दो बोगी के बीच बच्चे को गोद में ले खतरों का सफर करती दिखी मजदूर मां, रोंगटे खड़े कर देगा Video
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देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच ही पिछले दिनों सैकड़ों मज़दूर अपने अपने घरों को पैदल निकल पड़े हैं। यह वीडियो ऐसे समय पर शेयर की जा रही जब की सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मज़दूर देश के हाइवेज़ पर पैदल चल लंबी दुरी तय कर रहे हैं ताकि वे घर पहुंच सके। लॉकडाउन के तीसरे चरण में केंद्र सरकार ने प्रवासी मज़दूरों के लिए विशेष श्रमिक ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी जिससे मज़दूरों को घर पहुंचने में आसानी हो। अब इस बीच महिला का ये वीडियो सनसनी मचाए हुए है।
वीडियो के भयानक वायरल होने के बाद हमने इसकी छानबीन की। फैक्ट चेकिंग में हम इससे जुड़ी पूरी सच्चाई सामने लेकर आए-
वायरल पोस्ट क्या है?
वायरल क्लिप में ट्रेन की दो बोगियों को जोड़ते हुए कपलर पर बैठी एक महिला को देखा जा सकता है, ट्रेन तेज़ गति से दौड़ रही है। वीडियो के साथ लिखा कैप्शन कहता है 'दोस्तों दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा होती हे मां...मोदी जी सुपर क्लास ट्रेन का मजा लेती हुई एक लाचार माँ "
ट्विटर पर वायरल कई ट्विटर यूज़र्स ने रेल मंत्री, पियूष गोयल को टैग कर आग्रह किया की रेल मंत्रालय श्रमिक ट्रेनों पर सवार अपने घर की ओर जा रहे मज़दूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
इसी क्लिप को बड़े पैमाने पर मई 10, 2020 को मदर्स डे के दिन विभिन्न कैप्शंस के साथ शेयर किया गया था।
फ़ैक्ट चेक क्या वीडियो भारत का है?
सर्च रिजल्ट्स का विश्लेषण कर हमें इस वीडियो की सबसे पुरानी क्लिप जुलाई 31, 2016 को अपलोड हुई मिली जिसका कैप्शन कहता है: शरणार्थी मां और बच्चा।
हमने वायरल वीडियो को की-फ्रेम्स में अलग-अलग कर यांडेक्स नामक सर्च इंजन पर रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया की यह वीडियो जुलाई 2016 से है। कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने यह इशारा किया की यह वीडियो बांग्लादेश का हो सकता है क्योंकि बांग्लादेशी ट्रेनों पर बनी पिली लाइनें वीडियो में दिख रही बोगियों पर बनी लाइनों से मेल खाती हैं। हमने वायरल वीडियो में पिली लाइनें दिखाने वाले एक फ्रेम को बांग्लादेश की ट्रेन की तस्वीर से तुलना कर पाया की दोनों मेल खाती हैं।
सच क्या है
पड़ताल में पाया की ये वायरल क्लिप इंटरनेट पर जुलाई 2016 से मौजूद है और ऐसा प्रतीत होता है की ये घटना बांग्लादेश से है। हमें एक और वीडियो मई 18, 2016 को अपलोड हुआ मिला जिसमें उस वक़्त के रेलवे मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल सक्सेना यह बता रहे थे कि वे इस वीडियो की जांच कर रहे थे।
ये निकला नतीजा
ये वीडियो हाल का नहीं है बल्कि कई साल पुराना है और लोग इसे जानबूझकर फर्जी दावों के साथ मजदूरों के पलायन से जोड़कर शेयर कर रहे हैं। हालांकि इस वीडियो की लोकेशन और घटना को लेकर हमें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है लेकिन हम इस बात की पुष्टि कर सके की यह वीडियो जुलाई 2016 से इंटरनेट पर मौजूद है और इसके बांग्लादेश से होने की सबसे अधिक संभावना है।