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3 महीने में सबको वैरीफाई कराना होगा अपना सोशल मीडिया अकाउंट? FACT CHECK में जानें वायरल दावे का सच
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फेसबुक, ट्विटर पर ऐसी ही कुछ पोस्ट वायरल हो रही है। इसको शेयर कर दिल्ली हाईकोर्ट के वकील प्रशांत पटेल उमराव ने भी सेम दावा किया।
उमराव में 25 फरवरी को अपने वेरीफाइड ट्विटर हैंडल से लिखा है, “सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को तीन महीने के अंदर मोबाइल फोन के जरिये सरकारी आईडी के साथ वेरीफाई कराना होगा। स्वागतयोग्य कदम, इंटरनेट अब ज्यादा सुरक्षित और जिम्मेदार होगा। यूजर्स के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार ने इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड रूल्स 2021 जारी कर दिया है। #ottguidelines”
ट्विटर पर और भी दूसरे यूजर्स ने यही दावा करते हुए पोस्ट शेयर कीं।
फैक्ट चेक
अब जानते हैं कि सोशल मीडिया अकाउंट को वैरिफाइड करवाने का दावा करने वाली ये बात सच है या कोरी अफवाह। दरअसल सरकार की गाइडलाइंस और नए नियम में कही भी इस बात का जिक्र नहीं है। हमने गूगल पर इससे जुड़ी न्यूज सर्च की तो कुछ हाथ नहीं लगा। हमने पाया कि ये दावा पूरी तरह भ्रामक है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि नागरिकों के लिए अपना सोशल मीडिया अकाउंट वेरीफाई कराना अनिवार्य नहीं है। सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स से सिर्फ ये कहा है कि जो यूजर्स अपने अकाउंट स्वेच्छा से वेरीफाई कराना चाहते हैं, उनके लिए उपयुक्त तंत्र मुहैया कराया जाना चाहिए।
अपनी पड़ताल में हमें ऐसी कोई पुख्ता खबर या कोई सरकारी आदेश नहीं मिला, जिसमें भारत में सोशल मीडिया अकाउंट्स का वेरीफिकेशन अनिवार्य करने का जिक्र हो।
बल्कि गूगल सर्च में हमें भारत के प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) का एक ट्वीट मिला। इसमें केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद का एक वीडियो शेयर किया था। वीडियो में वे सोशल मीडिया अकाउंट्स के वेरीफिकेशन के बारे में बता रहे हैं। वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा गया है, "जो यूजर्स अपने अकाउंट को स्वेच्छा से वेरीफाई कराना चाहते हैं, उन्हें अपने इसके लिए एक उपयुक्त तंत्र मुहैया कराया जाएगा और उन्हें वेरीफिकेशन का निशान भी प्रदर्शित करने की भी सुविधा दी जाएगी।
इसके अलावा, एक इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वेरीफिकेशन का स्वैच्छिक तंत्र सरकार द्वारा नहीं, बल्कि सिर्फ सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स द्वारा स्थापित किया जा सकता है।
ये निकला नतीजा
फैक्ट चेक में ये स्पष्ट हो गया है कि, सोशल मीडिया अकाउंट्स का वेरीफिकेशन अनिवार्य नहीं है और वायरल हो रहा दावा भ्रामक है।