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Fact Check: 'मुसलमानों को अब निजामुद्दीन में नज़र आए फ़रिश्ते'....जानें वायरल तस्वीर का सच
नई दिल्ली. तब्लीगी जमात के कारण निजामुद्दीन काफी चर्चा में रहा है। इसके बाद से मीडिया में तब्लीगी जमात के सदस्यों में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर काफी बवाल हुआ। यहां एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हजारों लोग छिपे हुए बताए गए थे। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोगों को परछाईं के तौर पर देखा जा सकता है। यूजर दावे कर रहे हैं कि यह वीडियो दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ का है, जहां पर फ़रिश्ते नज़र आये हैं। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि इसका सच क्या है?
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वीडियो को सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर किया जा रहा है। वीडियो में किसी इमारत पर इंसानों की परछाई नजर आ रही है।
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क्या है वायरल पोस्ट में? फेसबुक पेज ‘Kashmir news and news’ ने 6 अप्रैल को एक वीडियो शेयर की, जिसमें कुछ आदमियों को सफ़ेद रंग की परछाईं के तौर पर देखा जा सकता है। यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, निजामुद्दीन मरकज में फरिश्तों की जमात, ये दोखों क्या ये सच हो सकता है?
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क्या दावा किया जा रहा है? वीडियो और तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि निजामुद्दीन के मरकज में फरिश्तों को देखा गया। इस वीडियो को बहुत-से यूजर इसी दावे के साथ एफबी पर शेयर कर रहे हैं।
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सच क्या है? गूगल पर हमने वीडियो को सर्च किया तो अपनी पड़ताल में पाया कि यह वीडियो असल में 2019 में जेद्दा में हुए एक आर्ट प्रोजेक्शन मैपिंग का है। इस वीडियो में नज़र आ रहे वर्क के आर्टिस्ट का नाम मारवाह अल मगैत है। वीडियो में से कुछ कट सीन लेकर उन्हें रिवर्स इमेज सर्च किया तो वोग अरबिया की एक खबर मिली। 16 जून 2019 को छपे आर्टिकल में बताया गया कि- ‘One of Jeddah’s historic buildings is a masterpiece’. इस आर्टिकल में हमें वायरल वीडियो की एक स्थिर इमेज भी नज़र आयी। खबर में बताया गया कि जेद्दा सीजन के जश्न में बाब अल बंत म्यूजिम में मारवाह अल मगैत नाम की आर्टिस्ट का प्रोजेक्शन मैपिंग आर्ट दिखाई गयी है। मारवाह अल मगैत का वर्क दीवारों पर प्रोजेक्शन और प्रोजेक्शन की तकनीक पर से जुड़ा हुआ है।
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एक और दूसरी खबर में बताया गया, ”म्यूज़ियम की वीडियो प्रोजेक्शन आर्टिस्ट की पहली वीडियो वर्क है, जिसमें 3D वीडियो प्रोजेक्शन मैपिंग का इस्तेमाल किया गया है।” आर्टिस्ट मारवाह अल मगैत ने 3D प्रोजेक्शन मैपिंग से ये कारनामा किया था।
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ये निकला नतीजा- इस वीडियो का हिंदुस्तान से कोई लेना-देना नहीं है। पड़ताल में पाया कि वायरल किया जा रहा वीडियो ना ही दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ का है और ना ही वीडियो में फ़रिश्ते नज़र आ रहे हैं। जेद्दा में हुए एक आर्ट प्रोजेक्शन के वीडियो को ग़लत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। कोरोना और लॉकडाउन को लेकर वायरल हो रही ऐसी खबरों पर विश्वास न करें।
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