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डिप्टी कलेक्टर बनी हवलदार की बेटी, सफलता वाले दिन कमरे में बैठ रोती रही, इस बात का सता रहा था डर...
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पिता ने बेटी को हर कदम पर दिया साथ
अनुज के पिता अशबीर सिंह मूलरूप से सोनीपत के गांव जौली के हैं। वे सेना की जाट रेजिमेंट में हवलदार पद से रिटायर हैं। अनुज की मां ऊषा गृहिणी हैं। साथ ही उनके भाई रोहतक की पीजीआई में एक सर्जन के तौर पर नौकरी करते हैं। वह अपनी इस सफलता का श्रेय और प्रेरणास्रोत पिता को मानती हैं, जिन्होंने हर कदम पर अपनी बेटी का साथ दिया।
रिजल्ट आने से पहले कमरे में बैठी रो रही थीं
बता दें कि रिजल्ट आने से एक घंटा पहले अनुज कमरे में बैठी रो रही थीं। उन्हें रोना इस बात पर आ रहा था कि पता नहीं यूपी लोक सेवा आयोग के परिणामों में उनका क्या होगा। कहीं पिछली बार की तरह वह असफल तो नहीं हो जाएंगी। जब उनकी मां ने उनको रोते देखा तो वह बेटी को समझाने लगीं। कहा बेटा चिंता मत करो तुमने मेहनत अच्छी की है तो रिजल्ट भी अच्छा ही आएगा।
इस बता का सता रहा था डर...
अनुज को इस बात का डर था कि कहीं हरियाणा के कैंडिडेट को यूपी में अच्छे नंबर मिलेंगे भी या नहीं। भर्ती में ट्रांसपरेंसी होगी या नहीं। जब अनुज ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग परीक्षा में टॉप किया तो उसको यकीन नहीं हुआ। की वह पहले स्थान पर आ सकती हैं, लेकिन जब भाई और पिता ने बताया तो उनको यकीन हुआ।समझाने लगीं। कहा बेटा चिंता मत करो तुमने मेहनत अच्छी की है तो रिजल्ट भी अच्छा ही आएगा।
अनुज ने खुद बताया कैसे रचा यह इतिहास
अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए अनुज ने मीडिया को बताया कि वह करीब 6 साल से इस परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। 2014 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी। दो बार वह मेन्स एग्जाम तक पहुंच चुकी थीं, लेकिन वह क्लियर नहीं हो पा रहा था। इसके लिए मैं रोज 9 से 10 घंटे पढ़ाई करती थी। यूपीएससी के लिए कोचिंग भी ली, लेकिन एक साल से घर पर ही तैयारी कर रही थी।
इस सपने को पूरा करना चाहती हैं अनुजा
अनुज ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पानीपत के केंद्रीय विद्यालय से की है। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की। फिर वह यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में जुट गईं, अब 6 साल बाद उनको यह सफलता मिली। हालांकि उनका कहना है कि अभी रुकना नहीं है, मेरा सपना तो आईएएस बनने का है, जो एक दिन वह बनकर रहूंगी।
अपने बड़े भाई से ली कुछ बनने की सीख
अनुज ने अपने बडे भाई विकास से सीख लेकर इतनी मेहनत की है। वह बताती हैं कि विकास भैया अपनी पढ़ाई के लिए बेहद समर्पित रहते थे। वह दिन रात सिर्फ पढ़ाई पढ़ाई ही करते थे। वह हर एग्जाम में हमेशा पहले स्थान पर आते थे। इसी कराण उन्होंने रोहतक पीजीआई से मास्टर ऑफ सर्जरी पूरी की है। मैंने भी सोच लिया था कि मुझे भी अपने भैया की ही तरह ही मेहनत करना होगा।तभी जिंदगी में कुछ हासिल कर सकूंगी।