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जानें क्या है वजह...
बता दें कि केंद्र सरकार कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई है। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन-कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020। किसान इसे अपने लिए नुकसानदेह बता रहे हैं। इस आंदोलन में पंजाब, हरियाणा और यूपी के करीब 1 लाख किसानों के शामिल होने की बात कही जा रही है। किसान संगठनों का ने कहा है कि अब पुलिस जहां रोकेगी, वे वही बैठकर धरना देंगे। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा नहीं मिलने की बात सरासर गलत है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तो इन कानूनों को क्रांतिकारी कदम बता रहे हैं।

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किसान गाड़ियों में छह महीने का राशन-पानी लेकर पहुंचे हैं।

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कई जगह किसानों की पुलिस से झड़प हुई।

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किसान बैरिकेड्स तोड़कर और गाड़ियां हटाकर आगे बढ़े।
 

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पुलिस ने किसानों को रोकने पानी की बौछारें छोड़ीं, रास्ते में पत्थर बिछाए।

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किसान जगह-जगह जमे हुए हैं।

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हरियाणा बॉर्डर पर पुलिस से किसानों की झड़प होती रही।

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पुलिस ने इस तरह किसानों पर पानी की बौछारें मारीं।

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अश्रु गैस के असर से आंसू पोछते किसान।

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बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली की ओर बढ़ते किसान।

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इस तरह उग्र होता गया किसान आंदोलन।
 

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आखिरकार शुक्रवार को सरकार ने किसानों को दिल्ली में एंट्री की परमिशन दी।

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अभी भी हरियाणा में जगह-जगह जाम है।

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आंदोलित किसानों को खदेड़ती पुलिस।

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आंदोलन में महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल रखा है।