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क्या सिंघम-क्या रॉउडी रठौर सब इस रियल ACP से पीछे, 12 घंटे ड्यूटी के बाद पहलवानों को करता है चित

मुंबई. पुलिसकर्मियों की बढ़ती तोंद और वजन से अक्सर पुलिस विभाग की किरकिरी होती रहती है। पुलिस जवानों को हम फिट बॉलीवुड फिल्मों में देख पाते हैं जहां सिंघम से लेकर रॉउडी राठौर तक बॉडी बिल्डर नजर आते हैं। लेकिन रियल लाइफ में महाराष्ट्र पुलिस में एक पुलिस अफसर ऐसा है जिसकी आज हर कोई तारीफ कर रहा है। जिसने  कुश्ती के मैदान में बड़े-बड़े सूरमाओं को चित कर दिया है। इस अफसर ने राज्य का सबसे बड़ा खिताब 'महाराष्ट्र केसरी' लगातार तीसरी बार अपने नाम किया है। अब वह चाहते हैं कि उन्हें देश का सबसे बड़ा सम्मान 'हिंद केसरी' मिले। 

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Asianet News Hindi
Published : Dec 31 2020, 09:30 PM IST| Updated : Jan 01 2021, 09:36 AM IST
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दरअसल, हम बात कर रहे हैं असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP) विजय चौधरी की। जो कि पुणे महानगर की ट्रैफिक विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन इसके अलावा इनकी एक पहचान और भी है, और वो है 'अखाड़े के चौधरी' यानि वह एक पहलवान हैं। जो ड्यूटी करने के बाद अपने शौक के लिए कुश्ती करते हैं। लेकिन यही शौक उनको पहलवानी के कई बड़े खिताब दिला चुका है।
 

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ACP विजय चौधरी सुबह चार बजे उठते हैं, करीब दो घंटे व्यायाम करने के बाद वह पुणे के मामासाहेब मोहल संकुल में कुश्ती के अखाड़े में अभ्यास करते हैं। जहां वह कई बड़े-बड़े पहलवानों को चित करते हैं। इसके बाद वह सुबह 9 बजे घर पहुंच कर ड्यूटी के लिए निकल जाते हैं।
 

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तीन बार राज्य का सबसे बड़ा कुश्ती खिताब 'महाराष्ट्र केसरी' मिलने क बाद भी वह संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि अब उनका एक ही मकसद है कि वह देश में कुश्ती का सबसे बड़ा खिताब 'हिंद केसरी' अपने नाम करना चाहते हैं। जिसके लिए मैं पूरी ईमानदारी से ड्यूटी के साथ मेहनत भी कर रहा हूं।

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विजय चौधरी मूल रुप से धूलिया के पास छोटे से गांव सायगाव बगली के रहने वाले हैं।  उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें बचपन से ही कुश्ती देखना बहुत अच्छा लगता था। मैंने पहली बार जब कुश्ती प्रतियोगिता जीती थी तो मुझे  50 रुपये का नकद पुरस्कार मिला था। जिसके बाद मैंने सोच लिया था कि मैं पहलवान बनूंगा। अब पहलवान तो नहीं पाया हूं सोचता हूं की पुलिस में रहकर कुछ खिताब अपने नाम कर सकूं।

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बता दें कि विजय चौधरी इतने बड़े अफसर होने के बाद भी वह 12 घंटे से ज्यादा तो खुद सड़कों पर ड्यूटी करते हैं ताकि लोग हादसे का शिकार ना हो। साथ ही  पुणे की ट्रैफिक व्यवस्था ठीक से बनी रहे।

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बता दें कि देश में अब तक 58 बार इस प्रतिस्पर्धा का आयोजन हुआ है, जिसमें 11 बार महाराष्ट्र के पहलवानों ने 'हिंद केसरी' खिताब अपने नाम किया है।
 

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