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India@75: दुनियाभर में नाम कमाने वाली 10 भारतीय महिलाएं, अपने-अपने फील्ड में रह चुकीं अव्वल

नई दिल्ली। भारत इस साल अपनी आजादी का अमृत महोत्सव (Aazadi Ka Amrit Mahotsav) सेलिब्रेट कर रहा है। 15 अगस्त, 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे हो रहे हैं। बता दें इस महोत्सव की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 को गुजरात के साबरमती आश्रम से की थी। आजादी का अमृत महोत्सव अगले साल यानी 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा। आजादी के बाद भारत में ऐसी कई महिलाएं हुईं, जिन्होंने न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी भारत का नाम ऊंचा किया। इनमें कई महिलाएं तो अपने-अपने फील्ड में ये कारनामा करने वाली देश की पहली महिला भी बनीं। इस पैकेज में हम बता रहे हैं आजादी के 75 साल के दौरान भारत की उन महिलाओं के बारे में, जिनका योगदान देश हमेशा याद रखेगा। 

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Asianet News Hindi
Published : Aug 04 2022, 11:09 AM IST| Updated : Aug 07 2022, 11:13 AM IST
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रीता फारिया 
उपलब्धि- मिस वर्ल्ड बनने वाली पहली भारतीय महिला

भारत की पहली मिस वर्ल्ड रीता फारिया (Reita Faria) ने 1966 में 'मिस वर्ल्ड' का खिताब जीता था। 23 अगस्त, 1943 को मुंबई में जन्मीं रीता फारिया उस वक्त 23 साल की थीं जब उन्होंने 'मिस वर्ल्ड' का ताज अपने नाम किया था। मिस वर्ल्ड 1966 कॉन्टेस्ट के दौरान उन्होंने 'बेस्ट इन स्विमसूट' और 'बेस्ट इन इवनिंग वेयर' का खिताब भी जीता था। इस इवेंट में उन्होंने 51 देशों से आई सुंदरियों को मात दी थी।

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किरण बेदी
उपलब्धि-भारत की पहली महिला IPS

भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी सबसे ज्यादा चर्चित महिला हैं। पॉलिटिकल साइंस की लेक्चरर के रूप में अपना करियर चुनने वाली किरण बेदी ने जुलाई, 1972 में भारतीय पुलिस सेवा ज्वाइन की थी। 2007 में उन्होंने स्वेच्छा से रिटायर होने का फैसला कर लिया था। बता दें कि 1983 में इन्दिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। एक बार वो किसी काम से विदेश गई थीं। उनकी कार मरम्मत के लिए गैराज लाई गई थी, जो सड़क पर गलत साइड में खड़ी थी। किरण बेदी ने पीएम की कार को उठवा लिया था। बाद में जुर्माना भरने के बाद गाड़ी लौटाई थी।

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किरण मजूमदार शॉ
उपलब्धि-पहली बिलियनेयर बिजजेस वुमन

किरण मजूमदार शॉ भारत की पहली एक बिलियन नेटवर्थ वाली महिला बिजनेस वुमन बनीं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बलारेट कॉलेज आफ एडवांस्ड एजुकेशन से मेलटिंग और ब्रूइंग की स्टडी की। वह पूरे कोर्स में एकमात्र महिला थीं। अपने बिजनेस को शुरू करते समय उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि, बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी। वर्तमान में वो बायोकॉन की चेयरमैन और देश की जानी-मानी उद्योगपति हैं। 

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पुनीता अरोड़ा
उपलब्धि-नौसेना की पहली महिला वाइस एडमिरल

पुनीता अरोड़ा भारतीय सर्वोच्च सशस्त्र बल की लेफ्टिनेंट जनरल और बाद में भारतीय नौसेना की वाइस एडमिरल नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। 1963 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे में नियुक्त होने के बाद उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल में 36 साल का वक्त गुजारा, जिसमें उन्हें 15 पदकों से सम्मानित किया गया।

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कल्पना चावला 
उपलब्धि- अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला

कल्पना चावला एक नहीं बल्कि दो बार अंतरिक्ष में जाने वाली भारत की पहली महिला थीं। उनका जन्म 17 मार्च, 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। कल्पना चावला ने 1982 में चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद वो अमेरिका चली गईं और 1984 में टेक्सास यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीजी कोर्स किया। उन्होंने 1995 में नासा एस्ट्रोनॉट कोर्प ज्वाइन किया। ट्रेनिंग के बाद 1998 में उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए। साल 2000 में उनका दोबारा अंतरिक्ष यात्रा के लिए चयन हुआ। 16 जनवरी 2003 को कोलंबिया फ्लाइट STS 107 ने उड़ान भरी। हालांकि, वहां से लौटते समय 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही क्रैश हो गया। इस मिशन में गए सभी लोगों की मौत हो गई। 

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फातिमा बीबी
उपलब्धि-सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज

फातिमा बीबी का जन्म 30 अप्रैल, 1927 को केरल के पत्तनम्तिट्टा में हुआ था। उन्होंने त्रिवेंद्रम लॉ कॉलेज से कानून की पढाई की। उन्होंने केरल में लोअर कोर्ट से अपने करियर की शुरूआत की और बाद में 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बन गईं। 1983 में वो केरल हाई कोर्ट की स्थायी जज बन गईं। वही अक्टूबर 1989 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति मिली। वो 29 अप्रैल 1992 को सेवानिवृत्त हुईं। सुप्रीम कोर्ट के जज से रिटायर होने के बाद वो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य रहीं। 1997 में उन्हें तमिलनाडु के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया। 

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इंदिरा गांधी
उपलब्धि-भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। वह केवल देश में ही नहीं बल्कि विश्व राजनीति में भी काफी ताकतवर रहीं। उन्हें 'आयरन लेडी' के नाम से जाना जाता है। भारतीय राजनीति के इतिहास में इंदिरा गांधी का नाम उन महिलाओं को रूप में लिया जाता है, जिन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। उनकी वजह से ही सामान्य महिलाओं का भी राजनीति से लगाव बढ़ा। हालांकि, उनके बाद अब तक कोई दूसरी महिला प्रधानमंत्री नहीं बनी है। 

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बछेंद्री पाल 
उपलब्धि-एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला

24 मई 1954 को उत्तरांचल में गढ़वाल जिले के एक छोटे से गांव नकुरी में पैदा हुईं बछेंद्री पाल का बचपन तंगहाली में गुजरा। आर्थिक तंगी के बीच बछेंद्री पाल ने मैट्रिक पास की और फिर ग्रैजुएशन पूरा किया। वो अपने गांव में ग्रैजुएशन करने वाली पहली महिला थीं। उनका सपना बचपन से ही पर्वतारोही बनने का था। इसके बाद बछेंद्री पाल ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में दाखिला लिया। 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए अभियान दल का गठन हुआ। इस दल का नाम एवरेस्ट 84 था, जिसमें बछेंद्री पाल भी थीं। खराब मौसम, तूफान और कठिन चढ़ाई का सामना करते हुए 23 मई, 1984 को बछेंद्री पाल ने एवरेस्ट पर फतह कर इतिहास रच दिया था।

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अरुणिमा सिन्हा
उपलब्धि- एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला

यूपी के अंबेडकर नगर में जन्मी अरुणिमा सिन्हा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग भारतीय महिला हैं। हालांकि, अरुणिमा जन्म से ऐसी नहीं थी। अप्रैल 2011 में वो एक स्पोर्ट्स इवेंट के लिए दिल्ली जा रही थीं। तब उनकी उम्र 24 साल थी। उन्होंने गले में गोल्ड चेन पहनी थी, जिसे ट्रेन में बैठे कुछ बदमाशों ने खींचने की कोशिश की। अरुणिमा ने इसका विरोध किया तो बदमाशों ने धनेती स्टेशन के पास उन्हें चलती ट्रेन से फेंक दिया। इसके बाद उनके दोनों पैर खराब हो गए। हालांकि, अरुणिमा ने हार नहीं मानी और माउंटेनियर बनने की ठानी। उन्होंने बछेंद्री पाल की मदद ली और मई, 2013 में एवरेस्ट फतेह कर लिया। 

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आरती साहा
उपलब्धि-इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली महिला

29 सितंबर, 1959 को 18 साल की आरती साहा ने 16 घंटे 20 मिनट में इंग्लिश चैनल पार करने का रिकॉर्ड बनाया था। ये कारनामा करने वाली वो पहली भारतीय महिला बनीं। बता दें कि आरती साहा ने 11 साल की उम्र में ही तैराकी में ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। बता दें कि इंग्लिश चैनल को पार करना बेहद कठिन काम है। यहां की उफनती लहरें और बर्फीला पानी बेहद खतरनाक है। इंग्लिश चैनल की लंबाई 67.5 किमी है। 

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