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फांसी से बचने के लिए दोषियों की नई चाल; अक्षय ने दाखिल की यह याचिका, पवन के पिटिशन पर सुनवाई कल

नई दिल्ली. निर्भया कांड के दोषियों को 3 मार्च को फांसी दी जानी है। लेकिन दोषी फांसी से बचने के लिए लगातार पैंतरेबाजी कर रहे हैं। इसी क्रम में दोषी अक्षय ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अक्षय ने दलील दी है कि उसकी जिस दया याचिका को खारिज किया गया था उसमें सभी तथ्य नहीं थे। 

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Asianet News Hindi
Published : Feb 29 2020, 04:31 PM IST| Updated : Feb 29 2020, 04:47 PM IST
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2 मार्च को होगी सुनवाईः गैंगरेप और हत्या के चौथे दोषी पवन ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन लगाई है। पवन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच 2 मार्च को सुनवाई करेगी। पवन ने अपनी अर्जी में कहा है कि वो घटना के वक्त नाबालिग था। इस मामले में उसकी रिव्यू अर्जी खारिज हो चुकी है। पवन ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की है।
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बंद कमरे में होगी सुनवाईः पांच जजों की बेंच में शामिल जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंग्टन फली नरीमन, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण सुबह 10:25 बजे याचिका की सुनवाई करेंगे। क्यूरेटिव पिटिशन की सुनवाई बंद कमरे में होती है। जज देखते हैं कि पिटिशन में मेरिट है या नहीं। इस मामले में बाकी अन्य तीन दोषियों की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज किया जा चुका है। ऐसे में माना जा रहा कोर्ट इसे भी खारिज कर सकता है। (फोटोः निर्भया के दोषियों की फांसी पर लटकने की प्रतिकात्मक फोटो)
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पवन के पास अभी दया याचिका का भी विकल्पः पवन ने अब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। पवन के पास अभी दया याचिका दाखिल करने का अधिकार है। इससे पहले बाकी तीनों दोषियों (विनय, अक्षय और मुकेश) की क्यूरेटिव और मर्सी पीटिशन खारिज हो चुकी है। (फोटोः निर्भया के दोषियों की प्रोंफाइल)
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3 मार्च को दी जानी है फांसीः निर्भया के गुनाहगारों को 3 मार्च को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी किया जा चुका है। पवन की क्यूरेटिव अर्जी खारिज किए जाने के बाद उसने अगर मर्सी याचिका दायर किया तो फांसी की तारीख टल सकती है क्योंकि दया याचिका पेंडिंग रहने के दौरान फांसी नही दी जा सकती है। (फाइल फोटोः निर्भया के चारों दोषी, जिन्हें फांसी पर लटरकाया जाना है।)
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दिल्ली हाई कोर्ट में भी एक याचिकाः इधर, निर्भया मामले में मौत की सजा पाए चारों दोषियों की शारीरिक और मानसिक स्थिति जानने के लिए एनएचआरसी को निर्देश देने की मांग को लेकर शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। (फाइल फोटोः तिहाड़ जेल)
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खुद को चोटिल करने की कोशिशः दोषी विनय ने नया डेथ वारंट जारी होने के बाद मौत की तारीख करीब आता देख घबराहट में सेल की दीवार पर अपना सिर पटककर खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। हालांकि समय रहते ही सुरक्षाकर्मी उसके सेल में घुसकर उसे रोक लिया। जिसके बाद विनय को प्राथमिक इलाज के बाद उसे फिर से सेल में बंद कर दिया गया था। बताया जा रहा था कि दोषी ने फांसी से बचने के लिए खुद को चोटिल करने के लिए यह कदम उठाया है। (फाइल फोटोः निर्भया के साथ इसी बस में की गई थी दरिंदगी)
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फांसी के लिए अब तक कोर्ट का आदेशः 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी करते हुए कहा कि दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी। लेकिन एक दोषी की दया याचिका लंबित रहने से फांसी नहीं हुई। जिसके बाद 17 जनवरी को कोर्ट ने दूसरा डेथ वारंट जारी करते हुए 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया। लेकिन 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाला दी। फिर पटियाला हाउस कोर्ट ने 17 फरवरी को तीसरा डेथ वॉरंट जारी करते हुए 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने का आदेश दिया। (फाइल फोटोः निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह)
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क्या है पूरा मामलाः 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के नौ महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों (राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश) को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है। (फाइल फोटोः निर्भया के माता-पिता)

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