जनरल रावत ने देश के पहले सीडीएस का पद संभाला, बोले, सेना राजनीति से दूर रहती है
| Published : Jan 01 2020, 11:46 AM IST
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उन्होंने कहा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को दिए गए कार्य के अनुसार हमें एकीकरण को बढ़ावा देना होगा और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करना होगा। उन्होंने कहा कि तीनों सेनाएं तीन के रूप में नहीं बल्कि 5 या 7 के रूप में काम करेंगी।
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पीओके को लेकर कही ये बात : जनरल रावत से जब पीओके को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो भी प्लान बनाए जाते हैं, वह कभी पब्लिक में साझा नहीं किए जाते।
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जनरल बिपिन रावत मंगलवार को सेनाध्यक्ष के पद से रिटायर हुए हैं। उनकी जगह जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने पद संभाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से ऐलान किया था कि हम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति करेंगे। इसे आजादी के बाद सबसे बड़ा सैन्य बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। सीडीएस का सुझाव करगिल युद्ध के बाद आया था, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई।
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सीडीएस के पास होंगी ये जिम्मेदारियां?: सीडीएस सरकार के प्रधान सलाहकार होंगे। वे सरकार और सैन्य बलों के बीच संपर्क सेतु की तरह काम करेंगे। युद्ध या अन्य परिस्थिति में सरकार को एक सूत्री सैन्य सलाह मुहैया होगी। तीनों सेनाओं में तालमेल के अलावा सैद्धांतिक मसलों, ऑपरेशनल समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलेगी। देश के सामरिक संसाधनों और परमाणु हथियारों का बेहतर प्रबंधन।
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भारत को तीनों सेनाओं में एक सेनापति की जरूरत क्यों? : 1999 में करगिल युद्ध में पाया कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी रह गई थी। इसे थलसेना और वायुसेना के बीच अनबन के तौर पर देखा गया। करगिल युद्ध के बाद मंत्रियों के समूह ने रिपोर्ट पेश कर सीडीएस की सिफारिश की थी। साथ ही इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि तत्कालीन सेना प्रमुख तालमेल की कमी के चलते एकसूत्री रणनीति बनाने में नाकाम रहे। इसके बाद 2012 में नरेश चंद्र टास्क फोर्स चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी (सीओएससी) और 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल शेकटकर कमेटी ने तीनों सेना प्रमुखों के अलावा 4 स्टार जनरल के तौर पर चीफ कोऑर्डिनेटर पद की सलाह दी।