कोरोना के खिलाफ जिसे दवा बता रहे थे, उसी से हुई संक्रमित एक व्यक्ति की मौत
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25 अप्रैल को हॉस्पिटल में कराया गया था भर्ती
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 53 साल के मरीज को 25 मार्च को लीलावती हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना से संक्रमित है। इसके बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से ट्रायल के लिए प्लाज्मा थेरेपी की अनुमित मिलने के बाद मरीज को प्लाज्मा चढ़ाया गया।
200 ML प्लाज्मा चढ़ाया गया
हॉस्पिटल के सीईओ डॉक्टर वी रविशंकर ने बताया कि मरीज को 200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया। उसे और भी ज्यादा प्लाज्मा देना था, लेकिन उसकी स्थिति बिगड़ गई।
सरकार ने कहा था, प्लाज्मा थेरेप से जा सकती है जान
कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्लाज्मा थेरेपी एक बड़ा हथियार माना जा रहा था, लेकिन सरकार ने साफ कर दिया था कि अभी इसपर कोई रिसर्च नहीं है कि इससे मरीज ठीक हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था, अगर सही गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल नहीं किया गया तो इससे जान भी जाने का खतरा है।
रिसर्च और ट्रायल की अनुमति
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था, भारत में अभी रिसर्च या ट्रायल में भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। प्लाज्मा थेरेपी पर आईसीएमआर अध्ययन कर रहा है। जब तक आईसीएमआर (ICMR) अपनी रिसर्च पूरी नहीं कर लेता और एक मजबूत वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिल जाता, तब तक प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग केवल रिसर्च के उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए। यदि उचित गाइडलाइन के तहत प्लाज्मा थेरेपी का सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता है, तो यह जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
कोरोना से ठीक हो चुके मरीज के शरीर से प्लाज्मा लिया जाता है। प्लाज्मा खून में बनता है, इससे एक से दो लोगों को ठीक कर सकते हैं। प्लाज्मा थेरेपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है। किसी वायरस खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब व्यक्ति संबंधित वायरस से पीड़िता हो।
कोरोना के मरीज की बॉडी में बनता है एंटीबॉडी
कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनता है। यह एंटीबॉडी तब ही बनता है जब मरीज ठीक हो जाता है, बीमार रहने के दौरान शरीर में तुरन्त एंटीबॉडी नहीं बनता है। कोरोना से जो व्यक्ति ठीक हो चुकी है उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है। वह एंटीबॉडी उसके शरीर से निकालकर कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरी में डाल दिया जाता है। इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है।