चमोली हादसा: टनल में अगर ऑक्सीजन मिल रही, तो उम्मीद है कि कुछ लोग जिंदा होंगे
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NTPC की टनल में फंसे लोगों को निकालने लगातार रेस्क्यू जारी है। लेकिन अंदर इतना मलबा भरा हुआ है कि उसे निकालने में पसीना छूट रहा है। मलबे के कारण रेस्क्यू की गति प्रभावित हो रहा है।
रेस्क्यू टीम सुरंग में ड्रिल करके भी अंदर पहुंचने की कोशिश कर रही है। लेकिन कामयाबी नहीं मिल पा रही है। लेकिन इस बीच लाशें मिलना शुरू हो गई हैं। इससे आशंका बढ़ने लगी है कि पता नहीं, अंदर कोई जीवित होगा कि नहीं। लेकिन उम्मीद बनी हुई है।
रविवार को एक मैसेज वायरल हुआ कि अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। लेकिन पुलिस ने इसे अफवाह बताया। पुलिस ने झूठी अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।
हादसे में अब तक 54 लोगों के शव मिल चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा तपोवन में NTPC की टनल और रैणी गांव से मिले। माना जा रहा है कि टनल में अभी भी 32 लोग फंसे हुए हैं।
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक, ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में 206 लोग लापता हुए थे। इनमें अभी 154 लोगों की तलाश जारी है। लापता लोगों को ऋषिगंगा, धौलीगंगा और आस-पास की नदियों में तलाशा जा रहा है।
रेस्क्यू टीम लगातार काम कर रही है। आपदा के बाद अभी भी आसपास के कई गांवों का संपर्क टूटा हुआ है। आईटीबीपी राहत कैंप लगाकर लोगों को मदद दे रही है। बता दें कि ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन स्थित NTPC की टनल में गीला मलबा भर गया था।
(रेस्क्यू के बीच टीम ऐसे खाना खा रही है)
बता दें कि 7 फरवरी यानी रविवार की सुबह करीब 10 बजे समुद्र तल से करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का ग्लेशियर टूटकर गिर गया था। इससे धौलीगंगा और ऋषिगंगा में बाढ़ की स्थिति बन गई। NTPC की टनल में इतना मलबा भरा हुआ है कि उसे निकालने में काफी वक्त लग रहा है।
इस बीच बाढ़ में बह गए पुलों के निर्माण के लिए सेना युद्धस्तर पर काम कर रही है। कई गांवों का अभी संपर्क कटा हुआ है।
टनल से अभी 140 फीट से ज्यादा मलबा निकाला जा चुका है। चूंकि मलबा गीला है, इसलिए उसे निकालने में दिक्कत आ रही है।
टनल में रेस्क्यू के दौरान टीम। रेस्क्यू टीम में सेना के जवान भी जुटे हुए हैं।