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INS Vela: इंडियन नेवी को मिल गई समुद्र की साइलेंट किलर; सबसे घातक पनडुब्बी; होश में रहो दुश्मनों, ये है खूबी
मुंबई. भारतीय नौसेना(Indian Navy) की ताकत में और ईजाफा हो गया है। 25 नवंबर को कलवरी क्लास स्कॉर्पीन सबमरीन(Kalvari Class-Scorpene Submarine) की चौथी INS वेला(INS Vela) इंडियन नेवी में शामिल हो गई। मुंबई में नेवल डॉकयार्ड (Naval Dockyard) में नौसेना प्रमुख एडम केबी सिंह(Adm KB Singh) ने इसका कमीशन किया। मौजूदा समुद्री खतरों को देखते हुए INS वेला पूरी तरह सक्षम है। यह भारतीय नेवी की सबसे खतरनाक और साइलेंट किलर पनडुब्बी(submarine) मानी जा रही है। INS वेला को इंडियन नेवी को सौंपने से पहले राष्ट्रीय ध्वज और नौसेना की पताका फहराई गई। यह अब देश की सुरक्षा करने समुद्र में उतर चुकी है। इस मौके पर नौसेना प्रमुख ने कहा-हम चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ पर पूरी नज़र बनाए हुए हैं। चीन से काफी हथियार पाकिस्तान को निर्यात हो रहे हैं। इससे यहां के क्षेत्रीय सुरक्षा पर काफी फर्क पड़ेगा। इसके लिए हमें तैयार रहना पड़ेगा। INS वेला में पनडुब्बी संचालन के पूरे स्पेक्ट्रम को शुरू करने की क्षमता है। आज की जटिल सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, इसकी क्षमता और मारक क्षमता भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
| Published : Nov 25 2021, 10:57 AM IST / Updated: Nov 25 2021, 12:51 PM IST
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INS वेला 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची और 1565 टन वजनी है। INS वेला में मशीनरी सेट करने के लिए लगभग 11 किलोमीटर लंबी पाइप और करीब 60 किलोमीटर की केबल फिटिंग की गई है। यानी यह हर तरह से दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम है।
INS वेला में दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन लगाए गए हैं। इसमें 360 बैटरी सेल्स हैं। हरेक का वजन 750 किलोग्राम के आसपास है। यानी INS वेला 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता बिना अड़चनों के पूरा करने में सक्षम है। इस सफर में 45-50 दिन लगते हैं। INS वेला समुद्र में 350 मीटर तक की गहराई में जा सकती है।
सबमरीन को नुकसान पहुंचाना दुश्मनों के लिए आसान नहीं है। यह खास तरह की स्टील से बनाई गई है। यह रडार में भी पकड़ में नहीं आएगी। यानी दुश्मनों चाहकर भी इसका पता नहीं कर पाएगा। इसे किसी भी खराब मौसम और समुद्र उथल-पुथल के बीच ऑपरेट किया जा सकता है।
सबसे बड़ी बात INS वेला मेक इन इंडिया की एक मिसाल है। केंद्र सरकार ने 2005 में फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप (पहले डीसीएनएस) के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत करार किया था। इस पर करीब 3.5 बिलियन यूएस डॉलर खर्चा आया है। INS वेला को भारत में ही बनाया गया है।
बता दें कि INS वेला से पहले भारतीय नेवी को स्कॉर्पियन क्लास की छह पनडुब्बियों में से तीन आईएनएस कलवारी, खांडेरी और करंज पहले ही मिल चुकी हैं। यानी समुद्री सुरक्षा के लिहाज से भारतीय नेवी और ताकतवर बन गई है। इसकी स्पीड 22 नोट्स है। जब यह समुद्र में चलती है, तो इसकी आवाज नहीं आती। इसीलिए इसे साइलेंट किलर कहने लगे हैं।