चमोली हादसा: मौत के सैलाब का 10वां दिन, टूटने लगी लापता लोगों के जीवित होने की आस
चमोली, उत्तराखंड. ग्लेशियर टूटने से आए सैलाब को 10 दिन हो गए हैं। इस दौरान 56 लोगों के शव मिल चुके हैं, जबकि 149 लोग लापता हैं। ये लोग सैलाब में बहकर कहां गए होंगे, किसी को नहीं पता। ये न जिंदा ढूंढे जा सके हैं और न किसी की लाश मिली है। इनके परिजनों की उम्मीद भी अब टूटने लगी है। इस बीच मंगलवार को तपोवन स्थित NTPC की टनल से मलबा हटाने का काम जारी है। इसमें अंदर शव होने की आशंका है।
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ऋषिगंगा जलप्रलय का मंगलवार 10वां दिन है। इस बीच ग्लेशियर टूटने की घटना से सरकार चिंतित है। उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ग्लेशियरों पर नजर रखने एक अलग से विभाग बनाया जाएगा। (इनसेट तस्वीर रामगढ़ की नीमा कुमारी की है। नीमा का पति मिथिलेश कुमार तपोवन के NTPC प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे, वे अब तक लापता हैं)
NTPC टनल से मलबा निकालने के दौरान अंदर और बाहर से लगातार क्षत-विक्षत शव मिल रहे हैं। उत्तराखंड के DGP अशोक कुमार ने कहा कि रेस्क्यू जारी है, लेकिन हादसे के बाद अब टनल में कोई जिंदा बचा होगा, ऐसी उम्मीद अब नजर नहीं आती। यानी अब रेस्क्यू 3-4 दिन और चलाया जा सकता है।
आपदा में लापता हुए लोगों में से 56 के शव मिल चुके हैं। लेकिन शव क्षत-विक्षत होने से उनकी शिनाख्त के लिए DNA जांच की मदद ली जाएगी।
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक, ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में 206 लोग लापता हुए थे। लापता लोगों को ऋषिगंगा, धौलीगंगा और आस-पास की नदियों में तलाशा जा रहा है।
बता दें कि 7 फरवरी यानी रविवार की सुबह करीब 10 बजे समुद्र तल से करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का ग्लेशियर टूटकर गिर गया था। इससे धौलीगंगा और ऋषिगंगा में बाढ़ की स्थिति बन गई।
ग्लेशियर टूटने के बाद धौलीगंगा और ऋषिगंगा में आई बाढ़ से NTPC की टनल में इतना मलबा भर गया कि उसे निकालने में काफी वक्त लग रहा है।
रेस्क्यू टीम धौलीगंगा और ऋषिगंगा के आसपास सर्चिंग कर रही है। आशंका है कि इसके आसपास लाशें मिल सकती हैं।
ग्लेशियर टूटने की घटना ने पर्यावरणविदों को चिंतित कर दिया है। इस बीच आशंका जताई जा रही है कि इसमें चीन की कोई साजिश हो सकती है। हालांकि कोई इस बारे में कहने से बच रहा है।