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कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों में दिख रही हैं दूसरी बीमारियां, फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान
नई दिल्ली. भारत में कोरोना के डेथ रेट कम है। लगातार रिकवरी रेट बढ़ रहा है, लेकिन संक्रमण से ठीक होने के बाद भी एक दिक्कत सामने आ रही है। कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में ही जो केसेज सामने आ रहे थे उस दौरान संक्रमण से ठीक होने के बाद दूसरी समस्याएं हो रही है, जिसके बाद हेल्थ एक्सपर्ट्स ने महीनों पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि संक्रमण से खुद को बचाना चाहिए।
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कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद व्यक्ति के शरीर में कौन-कौन सी बीमारी होती है इसपर निश्चित रूप से तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन कई केस आए है जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि ठीक होने के बाद हार्ट, किडनी या लिवर से संबंधित बीमारियां हो रही हैं।
दरअसल, संक्रमण से रेस्पोरेट्री टैक्ट और फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। इसलिए जब व्यक्ति कोरोना से ठीक होता है तो उसे इन्हीं से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं उनमें से कुछ लोगों को लगातार 5 हफ्ते तक बुखार रहता है। हालांकि फीवर का कोई कारण समझ में नहीं आता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना से ठीक हुए मरीज को लगातार थकान बनी रहती है। मरीज खुद को बहुत कमजोर महसूस करते हैं। इतना ही नहीं, रोज के काम करने में भी दिक्कत महसूस होती है।
कुछ लोगों को लूज मोशन और वॉमिटिंग की समस्या भी आ रही है। व्यक्ति बहुत कमजोर महसूस करता है।
डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे मरीज जो कुछ हफ्ते पहले ही ठीक हुए हैं, उनमें एक समस्या सबसे अधिक देखने को मिल रही है और वह है फाइब्रॉयसिस (fibrosis)। इस समस्या में लंग टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। यानी फेफड़ों के ऊतक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है।
कुछ मरीज कोरोना से तो ठीक हो जाते हैं लेकिन बाद में कुछ स्थितियों में ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है।
डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों में हार्ट से संबंधित समस्या सबसे अधिक देखने को मिल रही है और वह है हार्ट के टिश्यूज पर सूजन आना। मेडिकल की भाषा में इस समस्या को मायोकाइडार्टिस (myocarditis) कहा जाता है।