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क्या कोई बता सकता है कि राहुल गांधी ने केरल में रैली के लिए 'जॉन डियर' ट्रैक्टर को ही क्यों चुना
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जॉन डियर एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी है। इसकी नींद जॉन डीयर लुहार ने रखी थी। 1868 में उनके बेटे चार्ल्स ने अपने पिता के नाम से डीयर एंड कंपनी के उपकरणों की ब्रॉन्डिंग की। 1880 में जॉन डियर का ब्रांड लोगो चुना गया-छलांग लगाता हिरण।
जॉन डियर का जन्म 7 फरवरी, 1804 को हुआ था। उनके नौ भाई-बहन थे। उनके पिता विलियम रिनोल्ड दर्जी थे। विलियम 1808 में काम-धंधे की तलाश में एक बोट पर बैठकर इंग्लैंड के लिए निकले, लेकिन फिर लौटे ही नहीं। 1821 में इसके बाद जॉन डियर मां की मदद करने एक लुहार के साथ काम करने लगे। तब उनकी उम्र महज 17 साल थी। 1825 में जॉन डियर घूम-घूमकर लुहारी का काम करने लगे।
जॉन डियर लोहे की कड़ाही, तवा, घोड़े की नाल आदि बनाकर बेचते थे। 1827 में उन्होंने डेमारियूस से शादी कर ली। आपको बता दें कि डेमारियूस पढ़ी-लिखी थीं, जबकि जॉन डियर अनपढ़। दो बार जॉन की दुकान में आग लगी। इससे वे कर्ज में डूब गए।
कहते हैं कि जहां चाह-वहां राह। जॉन डियर ने एक साहूकार से 78 डॉलर का कर्ज लेकर एक फैक्ट्री लगाई। इस तरह धीरे-धीरे मेहनत करते हुए उनका बिजनेस चल निकला और फिर सामने आई जॉन डियर जैसी बड़ी कंपनी।
अब जानते हैं राहुल गांधी ने यह ट्रैक्टर ही क्यों चुना
जॉन डियर न्यू टेक्नोलॉजी और क्वालिटी के कारण किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। यह सबसे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करती है। इस कंपनी ने ट्रैक्टर में अलग-अलग गेयर की पूरी एक श्रंखला दी है। इससे किसान अपनी जरूरत के हिसाब से गेयर चुन सकते हैं। इसमें 4 जेनरेशन डिस्पले भी स्टीयरिंग के बगल में दिया गया है। इससे ट्रैक्टर की लोकेशन पता चलती है। यह डिस्प्ले टच स्क्रीन है। इससे आप ट्रैक्टर से जुड़ी जानकारी भी हासिल कर सकते हैं, जैसा कि लग्जरी कारों में होती है। इस ट्रैक्टर को चलाते समय स्टीयरिंग पर ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती