- Home
- National News
- Round up 2021: लोगों ने मांगी दुआएं-ऐसी बारिश फिर न हो; क्या घर-बार, पटरियां और हाईवे; सब डूब गए
Round up 2021: लोगों ने मांगी दुआएं-ऐसी बारिश फिर न हो; क्या घर-बार, पटरियां और हाईवे; सब डूब गए
- FB
- TW
- Linkdin
दक्षिण भारत के कई राज्यों में 100 साल बाद बाढ़ का ऐसा भयंकर रूप देखने को मिला था। नदियो के किनारे बने घर भरभराकर गिर गए थे।
मौसम एक्सपर्ट के अनुसार चेन्नई में बारिश नार्थ-ईस्ट मानसून पर निर्भर होती है। इसमें अक्टूबर से दिसंबर के बीच बारिश होती है। यह 10 से 20 अक्टूबर के बीच शुरू होती है। हालांकि देश के अन्य राज्य दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर होते हैं। इसका सीजन मई, जून और जुलाई होता है। लेकिन इस बार ऐसी बारिश हुई कि सब दंग रह गए।
दक्षिण भारतीय राज्यों में बाढ़ से 172 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। अकेले आंध्र प्रदेश में 1366 से अधिक गांव डूब गए थे।
आंध्र प्रदेश के कडप्पा,अनंतपुर समेत तटीय जिलों में बाढ़ का भयंकर रूप दिखाई दिया था। इससे चित्तूर और कडप्पा में कई वर्षों की सबसे भयानक बाढ़ आई थी।
केरल में भारी बारिश के कारण भारी तबाही मची हुई है। बारिश ने ऐसा कहर बरपाया है कि कई पुल टूट गए,सैंकड़ों लोग बेघर हो गए। चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी नजर आया। आलम यह था कि सड़कों पर नाव चलानी पड़ गई।
अक्टूबर, 2021 में नेपाल में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ ने तबाही मचा दी थी। बाढ़ और भूस्खलन(floods and landslides) की घटनाओं में 25 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। बाढ़ से लगभग 25000 से अधिक लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
हैरानी की बात यह है कि अक्टूबर में नेपाल में मानसून की विदाई हो चुकी थी, लेकिन अचानक जलवायु परिवर्तन के कारण प्रकृति ने यह रौर्द्र रूप दिखा दिया। बाढ़ से बिजली ठप हो गई। सड़कें बह गईं। वहीं किसानों की फसल बर्बाद हो गई।
सितंबर में भारी बारिश ने गुजरात के कई जिलों में भारी तबाही मच गई थी। इनमें सौराष्ट्र, राजकोट, जामनगर और जूनागढ़ के कई इलाके बाढ़ में डूब गए थे। भारी बारिश के कारण सौराष्ट्र के 5 जिलों के 38 बांध उफान गए थे।
बाढ़ के चलते वेस्टर्न रेलवे ( Western Railway) के राजकोट मंडल के अलीयावाड़ा और जामवंतली स्टेशनों के बीच पटरियों के टूटने के कारण ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित रुक गई थी। बस्तियां डूबने से लोगों को बड़ी मुश्किल से रेस्क्यू किया गया था।
महाराष्ट्र में मानसून सीजन में भारी बारिश के चलते आई बाढ़ और भूस्खलन से 122 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। सैकड़ों गांव डूब गए थे।
उत्तराखंड में हर साल बाढ़ आती है। विशेषज्ञों के अनुसार पहाड़ी इलाकों में बहने वाली नदियां गाद, रेत और मलबा लेकर बहती हैं। नदियों की सफाई न होने, अतिक्रमण के कारण भी पानी का बहाव बदल जाता है।