India@75: साक्षी मलिक से पीटी उषा तक, इन 10 खिलाड़ियों ने भारत पर बरसाया 'सोना'
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साक्षी मलिक
खेल - फ्रीस्टाइल रेसलिंग
इंग्लैंड के बर्मिंघम में खेले जा रहे 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स में साक्षी मलिक ने 62 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता। साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा में रोहतक जिले के मोखरा गांव में हुआ। उनके पिता सुखबीर मलिक दिल्ली ट्रांसपोर्ट में कंडक्टर थे, जबकि मां आंगनबाड़ी में काम करती थीं। साक्षी को बचपन से ही पहलवानी का शौक था और उन्होंने अपने दादा को देखकर पहलवानी शुरू की। साक्षी मलिक को पहली कामयाबी 2010 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में मिली, जब उन्होंने 58 किलोग्राम फ्रीस्टाइल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में साक्षी ने 62 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।
सानिया मिर्जा
खेल - टेनिस
भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने 2003 में महज 17 साल की उम्र में टेनिस की दुनिया में कदम रखा। तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये लड़की एक दिन इतिहास रचेगी और देश के लिए 6 ग्रैंडस्लैम जीतेगी। सानिया मिर्जा ने अपने करियर में अब तक 6 ग्रैंड स्लैम जीते हैं। इनमें 3 मिक्स्ड डबल्स और 3 विमेन्स डबल्स खिताब हैं। उन्होंने विमेन्स डबल्स में 2015 में विम्बलडन व यूएस ओपन और 2016 में ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीता था। वहीं, मिक्स्ड डबल्स में 2009 में विम्बलडन, 2012 में फ्रेंच ओपन और 2014 में यूएस ओपन का खिताब जीता था। सानिया मिर्जा ने अप्रैल, 2010 में पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से निकाल किया। उनका एक बेटा है।
फोगाट सिस्टर्स (गीता-बबीता)
खेल - रेसलिंग
फोगाट सिस्टर गीता और बबीता ने रेसलिंग की दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। ये कोच महावीर सिंह फोगाट की बेटियां हैं। फोगाट बहनों में गीता और बबीता की कहानी बॉलीवुड फिल्म दंगल में दिखाई गई है। गीता फोगाट अपने परिवार में सबसे बड़ी हैं, उन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 55 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता इतिहास रच दिया था। इसी के साथ यह कॉमनवेल्थ गेम्स में किसी महिला भारतीय पहलवान द्वारा पहला स्वर्ण पदक था। वहीं बबीता फोगाट ने 51 किग्रा में रजत पदक जीता था।
सायना नेहवाल
खेल - बैडमिंटन
साइना नेहवाल का जन्म 17 मार्च, 1990 को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ। उनके पिता चौधरी चरण सिंह हरियाणा के कृषि विश्वविद्यालय में काम करते हैं, जबकि मां स्टेट लेवल की बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी हैं। साइना ने 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। साइना नेहवाल ने स्टेट, नेशनल, इंटरनेशनल सभी फॉर्मेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अपने करियर में उन्होंने 24 अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं। 2008 में साइना ने विश्व जूनियर बैडमिंटन का खिताब जीता। 2009 में साइना ने इंडोनेशियाई ओपन का खिताब अपने नाम किया। साल 2010 में साइना ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। 2012 के लंदन ओलंपिक में साइना ने कांस्य पदक जीता। 2018 में साइना ने एशियन गेम्स में देश को 36 साल बाद कांस्य पदक दिलाया।
मिताली राज
खेल - क्रिकेट
भारतीय महिला क्रिकेट को दुनियाभर में पहचान दिलाने वाली क्रिकेटर और पूर्व कप्तान मिताली राज का जन्म 3 दिसंबर 1982 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। उनका पूरा नाम मिताली दोराई राज है। उनकी मां अफसर और पिता एयरफोर्स में थे। वे खुद भी क्रिकेटर रह चुके हैं और उन्होंने ही मिताली को आगे बढ़ने में मदद की। मिताली ने सिकंदराबाद के कस्तूरबा गांधी जूनियर कॉलेज फॉर विमेन से 12वीं की पढ़ाई की। मिताली ने अपने बड़े भाई के साथ स्कूल के दिनों में ही क्रिकेट कोचिंग शुरू कर दी थी। बेहद कम लोग जानते हैं कि वो भरतनाट्यम भी जानती हैं। मिताली राज ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए 232 वनडे, 89 टी20 मैच और 12 टेस्ट मैच खेले हैं। वनडे में मिताली राज ने 7805, टी20 में 2364 और टेस्ट क्रिकेट में 699 रन बनाए हैं।
मैरीकॉम
खेल - मुक्केबाजी
2001 में महिला बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखने वाली एमसी मैरीकॉम ने देश को कई मौकों पर गौरवान्वित किया है। उनका पूरा नाम चंग्नेइजैंग मैरी कॉम मैंगते है। 2001 में वुमेंस वर्ल्ड चैंपियनशिप शुरू हुई, तब से उन्होंने आठ संस्करणों में भारतीय मुक्केबाजी में पदक जीता है। उन्होंने छह स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य जीता। 2012 में मैरी कॉम ने एक ओलंपिक पदक जीता और इसके बाद 2013 में अपने तीसरे बेटे को जन्म देने के दौरान वो खेलों से दूर हो गईं। एमसी मैरीकॉम की लाइफ पर फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें उनका किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया है।
कर्णम मल्लेश्वरी
खेल - वेटलिफ्टिंग
भारत की दिग्गज वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी ने 19 सिंतबर, 2000 को भारत के लिए सिडनी ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता था। इसके साथ ही वो भारत की पहली महिला बनीं थीं, जिन्होंने देश के लिए ओलिंपिक पदक जीता था। कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म 1 जून, 1975 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के वूसावनिपेटा में हुआ था। उन्होंने 12 साल की उम्र में कोच नीलम शेट्टी अपन्ना के साथ भारोत्तोलन की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। कर्णम मल्लेश्वरी ने अपने करियर की शुरुआत जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप से की। 1992 के एशियन चैंपियनशिप में मल्लेश्वरी ने 3 रजत पदक जीते।
पीटी ऊषा
खेल- ट्रेक एंड फील्ड एथेलेटिक्स
पीटी ऊषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल ऊषा है। उनका जन्म 27 जून, 1964 को केरल के कोझिकोड जिले के केवथली में हुआ था। उन्हें उड़नपरी के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने चौथी क्लास से ही दौड़ना शुरू कर दिया था। भारतीय ट्रैक और फील्ड की रानी कहलाने वाली पीटी खेलों में 1979 से आईं। वो 1980 के दशक में ज्यादातर एशियाई ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में हावी रहीं। तब उन्होंने कुल 23 पदक जीते, जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। पीटी उषा ने 1984 के मॉस्को ओलंपिक खेलों में चौथा स्थान हासिल किया था। इसके बाद से वो पूरे देश में पॉपुलर हो गईं। 1986 के सिओल एशियाई खेलों में उन्होंने चार गोल्ड मेडल जीते थे। 400 मीटर की बाधा दौड़, 400 मीटर की रेस, 200 मीटर और 4 गुणा 400 की रेस में उषा ने स्वर्ण पदक जीते। खेल जगत में उनके योगदान को देखते उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है।
हिमा दास
खेल - एथेलेटिक्स
भारतीय धावक हिमा दास का जन्म 9 जनवरी, 2000 को असम के नगांव जिले के ढिंग गांव में हुआ। इनके माता-पिता का नाम जोमाली और रणजीत दास है। हिमा के परिवार में उनके अलावा पांच भाई-बहन हैं। हिमा दास का बचपन से ही खेलों की ओर झुकाव था। हिमा अपने स्कूल के दिनों में लड़कों के साथ मिलकर फुटबॉल खेला करती थी, जिससे इनका स्टैमिना बढ़ गया और उन्हें जल्दी थकान नहीं होती। हिमा को रेसर बनने की सलाह जवाहर नवोदय विद्यालय के फिजिकल एजुकेशन टीचर ने दी थी। 2017 में हिमा की मुलाकात कोच निपुण दास से हुई। उन्होंने हिमा दास की दौड़ देख उन्हें अच्छे तरीके से ट्रेनिंग देने की बात कही। हिमा दास आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। हिमा ने 400 मीटर की दौड़ में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता। हिमा ने जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में 400 मीटर स्प्रिंट में रजत पदक जीता।
दीपिका कुमारी
खेल - तीरंदाजी
भारतीय तीरंदाजी को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाली भारतीय महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी का जन्म 13 जून, 1994 को रांची में हुआ था। उनके पिता एक ऑटो चालक थे, जबकि मां मेडिकल कॉलेज में नर्स रह चुकी हैं। सामान्य परिवार में जन्मी दीपिका को बचपन से तीरंदाजी का शौक था। बचपन में वो पेड़ पर लटके आमों को निशाना साधकर गिरा देती थीं। दीपिका के पेरेंट्स ने उन्हें अर्जुन मुंडा तीरंदाज अकादमी में एडमिशन दिलवाया। 2010 में एशियन गेम्स में दीपिका ने कांस्य पदक जीता। उसके बाद राष्ट्रमंडल खेल में व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। उन्हें अर्जुन पुरस्कार, स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड, पद्म भूषण और यंग अचीवर्स अवार्ड से नवाजा गया है।
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