- Home
- Sports
- Other Sports
- रवि दाहिया को पहलवान बनाकर पिता ने पूरा किया अपना सपना, कभी आर्थिक तंगी के कारण पाई-पाई को मोहताज था परिवार
रवि दाहिया को पहलवान बनाकर पिता ने पूरा किया अपना सपना, कभी आर्थिक तंगी के कारण पाई-पाई को मोहताज था परिवार
- FB
- TW
- Linkdin
रवि दहिया का जन्म 1997 में हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में हुआ। उनके पिता किराए की जमीन पर खेती करते थे। रवि के पिता भी पहलवान बनना चाहते थे लेकिन आर्थिक मजबूरियों के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाए।
बेटे का सपना पूरा करने के लिए पिता ने पैसों की परवाह किए बिना हर संभव कोशिश की और उनके खानपान से लेकर उनकी ट्रेनिंग पर हजारों रुपये खर्च किए। वह बताते हैं, कि रवि के लिए प्योर दूध लाने वो 40 किलो मीटर दूर जाते थे।
अब अपने पिता के सपने को पूरा करने का बीड़ा बेटे ने उठाया है और वह इस बार टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर उनका नाम रोशन करना चाहते हैं।
रवि दाहिया का एक छोटा भाई भी हैं जिनका नाम पंकज है। वह भी अपने भाई की तरह एक पहलवान बनना चाहते हैं।
रवि जब 10 साल के थे, तो उन्होंने अपनी शुरुआती पहलवानी नाहरी गांव में ही की थी। ये वही जगह है, जहां से महावीर सिंह और अमित दाहिया आते हैं। ये दोनों खिलाड़ी भारत का ओलंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। रवि यहां से निकलने वाले तीसरे पहलवान हैं।
इसके बाद उन्होंने दिल्ली में स्थित छत्रसाल कुश्ती स्टेडियम में प्रैक्टिस करना शुरू कुया। रवि दाहिया के ट्रेनर 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह हैं।
2015 में रवि को अपने करियर की शुरुआत में नेशनल चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में एक गहरी चोट का सामना करना पड़ा था और इसके बाद उन्हें कमबैक करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
इसके बाद रवि ने बुखारेस्ट में 2018 वर्ल्ड अंडर 23 रेसलिंग चैम्पियनशिप में 57 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता। 2019 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उन्हें ब्रॉन्ज मिला था। 2020 में भी रवि ने एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता था।
टोक्यो जाने से पहले उन्होंने कहा था कि वे इस बार खाली नहीं लौटेंगे। आज अगर रवि दाहिया गोल्ड जीतते है, तो देश को ओलंपिक इतिहास का 10वां गोल्ड मेडल दिलवाएंगे और कुश्ती में भारत को पहला गोल्ड मिलेगा।