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कौन हैं 86 मीटर दूर भाला फेंकने वाले नीरज चोपड़ा, जानें किसान के बेटे से आर्मी अफसर बनने की कहानी
स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में अबतक भारत के खाते में 2 ब्रॉन्ज और एक सिल्वर मेडल आ चुका है। तीनों ही मेडल देश की बेटियों ने दिलाए है, लेकिन अब भारत के युवा खिलाड़ी जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) एक और मेडल के बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। बुधवार को उन्होंने जेवलिन थ्रो के पहले ट्राय में ही 86.65 मीटर दूर भाला फेंका और फाइनल का टिकट हासिल कर लिया। आइए आज हम आपको बताते हैं, इस एथलीट के बारे में, कि कैसे एक किसान के बेटे ने पानीपत से टोक्यो तक का सफर पूरा किया और अब मेडल से बस एक कदम दूर हैं..
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13 साल बाद भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का सपना इस बार टोक्यो ओलंपिक 2020 में सच होता नजर आ रहा है। बता दें कि 2008 में अभिनव बिंद्रा के बाद से किसी भी भारतीय ने व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक नहीं जीता है। हालांकि, जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के पास टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने का मौका है।
बुधवार को पहली बार ओलंपिक में आए जेवलिन थ्रोअर खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने क्वालिफिकेशन ग्रुप-ए में ओलंपिक खेलों में अपने पहले ही प्रयास में फाइनल में पहुंचने लायक भाला फेंक दिया। फाइनल में क्वालिफाई करने के लिए 83.50 मीटर का बेंचमार्क रखा गया था, लेकिन जूनियर विश्व रिकॉर्डधारी नीरज ने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर की थ्रो से फाइनल का टिकट हासिल कर लिया।
बता दें नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव में एक किसान के घर पर हुआ था। शुरुआत में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन खिलाड़ी ने अपनी कड़ी मेहनत का लोहा मनवाया और ना सिर्फ एक शानदार एथलीट बनें, बल्कि सरकारी नौकरी भी हासिल की।
दरअसल, नीरज ने 2016 में पोलैंड में हुए IAAF वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था। इसके बाद उन्हें आर्मी में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति मिली थी।
अगस्त 2018 में नीरज ने एशियाई खेलों में पुरुषों की भाला फेंक में गोल्ड जीतने के लिए 88.06 मीटर की दूरी फेंकी और अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक के रूप में कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
कहते हैं ना कोई भी सफलता की कहानी असफलताओं और संघर्षों के बिना पूरी नहीं होती है। नीरज के करियर में उस समय अफसफलता आई, जब उन्हें 2019 में कंधे में चोट लगी थी और उसी साल मई में उन्हें सर्जरी करानी पड़ी थी। इसके बाद 6 महीने के लिए वह खेलों से दूर हो गए थे। कोरोना के चलते उन्हें फॉर्म में वापस आने में काफी समय लगा।
हालांकि, नीरज ने कड़ी मेहनत और लगन से एक बार फिर वापसी की और इसी साल मार्च में हुई इंडियन ग्रांड प्रिक्स में 88.07 मीटर का थ्रो कर अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसके साथ ही टोक्यो के लिए टिकट भी हासिल किया।
टोक्यो ओलंपिक 2020 में आने के बाद नीरज ने अपने पहले ही गेम में वही कमाल करके दिखाया और फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। अब उनका फाइनल मुकाबला 7 अगस्त को होगा।