MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • States
  • Other State News
  • जुगाड़ हो तो ऐसी: मजदूर मां-बाप के बेटे ने बिना इंजीनियरिंग किए बना दी गजब की मशीन

जुगाड़ हो तो ऐसी: मजदूर मां-बाप के बेटे ने बिना इंजीनियरिंग किए बना दी गजब की मशीन

कहते हैं कि असंभव कुछ भी नहीं होता। कबाड़ की जुगाड़ से बनीं ये मशीनें यही बताती हैं। अकसर परेशानियों या मुसीबत के समय लोग थककर बैठ जाते हैं। लेकिन कुछ लोग इन समस्याओं से निपटने का तौर-तरीका निकाल लेते हैं। आइए हम ऐसे ही लोगों से मिलवाते हैं, जिनके आविष्कार चर्चा का विषय बन गए। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वालों को भी जिन्होंने भौंचक्का कर दिया। सबसे पहले मिलवाते हैं यूपी के बांदा की नरैनी तहसील के गांव छतफरा के रहने वाले 23 वर्षीय विनय कुमार से। ये कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर सुर्खियों में आए थे। मजदूर मां-बाप के बेटे ने ग्रेजुएशन किया है। लेकिन जॉब नहीं मिली, तो घर पर ही रहकर कामधंधा करने लगे। एक बार उनका ध्यान किसानों पर गया, जो अनाज छानने में परेशानी का सामना कर रहे थे। अनाज ठीक से साफ भी नहीं हो रहा था और समय भी ज्यादा लग रहा था। बस फिर क्या था.. विनय के दिमाग में आइडिया आया और उन्होंने कबाड़ में पड़े एक ड्रम, हैंडल और जाल की जुगाड़ से बड़ी छलनी बना दी। विनय की इस मशीन में गेहूं, चना, मूंग सहित अन्य फसल आसानी से साफ होती है।  उनकी इस उपलब्धि पर विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद, लखनऊ ने 20 हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया था। जानिए इसकी खूबी...

7 Min read
Asianet News Hindi
Published : Nov 12 2020, 05:26 PM IST| Updated : Nov 12 2020, 05:33 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
111

विनय ने बताया कि उन्होंने ड्रम के दोनों तरफ बेयरिंग लगाकर बेलनाकार आकृति बनाई। इसके ऊपर अलग-अलग साइज की दो जालियां कंस दीं। जब हैंडल घुमाते हैं, तो अनाज एक तरफ से बेलनाकार ड्रम में चला जाता है। इसके बाद हैंडल घुमाने से अनाज और गंदगी जाल से छनकर अलग जाती है।इ स मशीन के निर्माण में सिर्फ साढ़े पांच हजार रुपये खर्च हुए। वहीं, मशीन से दिन भर की मजदूरी का काम दो घंटे में हो जाता है। आगे पढ़ें-बिजली कटौती ने जला दी दिमाग की बत्ती, देसी जुगाड़ से बाइक के जरिये निकाल लिया ट्यूबवेल से पानी

211

यह आविष्कार मध्य प्रदेश के छतपुर जिले के बड़ामलहरा में हुआ था। बाली मोहम्मद नामक युवक ने देखा कि बिजली कटौती से ट्यूबवेल का उपयोग नहीं हो पा रहा है। डीजल पंप का इस्तेमाल महंगा पड़ रहा था। खेतों को सिंचाई और लोगों के लिए पीने के पानी की दिक्कत भी थी। तभी उसे बाइक के जरिये पंप चलाने का आइडिया आया। बाली ने बाइक के इंजन के बगल में लगे मैग्नेट बॉक्स को खोलकर उसके अंदर दो बोल्ट कस दिए। इसमें थ्रेसर की बेल्टों को काटकर यूं फंसाया कि पहिया घूमने पर बेल्ट भी घूमे। दूसरे सिरे पर उसने बेल्ट को डीजल पंप की पुल्ली(रॉड) से कस दिया। अब बाली ने जैसे ही बाइक स्टार्ट की..बेल्ट घूमने से डीजल पंप का चक्का भी तेजी से घूमा। इस तरह पानी ऊपर आने लगा। इस पर खर्चा भी आया सिर्फ 30 रुपए में एक घंटे पानी खींचना। आगे पढ़ें-बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर दौड़ते देखकर लोगों को लगा भूत होगा, लेकिन यह था जुगाड़ का कमाल

311

जयपुर, राजस्थान. राजस्थान के बारां जिले के बमोरी कलां गांव के रहने वाले 20 वर्षीय योगेश नागर ने रिमोर्ट से ट्रैक्टर चलाकर सबको चकित कर दिया था। यह मामला कुछ समय पहले मीडिया की सुर्खियों में आया था। योगेश किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता बीमार रहते थे। लिहाजा योगेश को बीएससी की पढ़ाई पूरी करके अपने गांव लौट आना पड़ा। यहां उन्होंने पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाना शुरू किया। इसी बीच खाली बैठे उन्हें आइडिया आया और ऐसा रिमोट बना दिया, जो ट्रैक्टर को चलाता है।  आगे पढ़ें-साइकिल की जुगाड़ से निकाला किसान ने कई समस्याओं का 'हल'..जानेंगे नहीं इसकी खासियत

411

धनबाद, झारखंड. जुगाड़ से बनी यह साइकिल धनबाद के झरिया उपर डुंगरी गांव से चर्चा का विषय बनी थी। इसे तैयार किया था मैट्रिक पास किसान पन्नालाल महतो ने। आमतौर पर किसान ट्रैक्टर या बैलों से खेतों की जुताई करते हैं। खेत सींचने के लिए बड़ी मोटर लगानी पड़ती हैं। ऐसी तमाम समस्याओं का एक मात्र 'हल' बन सामने आई यह साइकिल। इसमें दो हॉर्स पॉवर के मोटरपंप को लगाया गया है। यानी साइकिल से खेत जोइए और ट्यूबवेल या कुएं से पानी निकालकर सिंचाई भी कीजिए। पन्नालाल ने इस साइकिल का निर्माण महज 10000 रुपए में किया था। इसमें साइकिल के पिछले पहिये को हटाकर उसमें तीन फाड़(खेत जोतने लोहे का फर्सा) लगाया गया है। इस जुगाड़ की साइकिल के चलाने के लिए केरोसिन की जरूरत होती है। अगर केरोसिन खत्म हो जाए, तो साइकिल को धक्का देकर भी खेत जोता जा सकता है। साइकिल का पिछला पार्ट हटाकर उसमें मोटर फिट कर दी गई है। आगे पढ़ें-ऐसी जुगाड़ गाड़ी कभी देखी है, बच्चा है...लेकिन कर लेती है कम खर्च में बड़े ट्रैक्टरों के काम

511

पश्चिम सिंहभूम, झारखंड. कबाड़ की जुगाड़ से हाथ के सहारे चलने वाले इस मिनी ट्रैक्टर का निर्माण करने वाले देव मंजन बैठा के खेत पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर पोटका में हैं। देव मंजन ने इस मिन ट्रैक्टर का निर्माण पुरानी मोटरसाइकिल, पानी के पंप और स्कूटर के पार्ट्स को जोड़कर किया है। वे पिछले 9 सालों से इस मिनी ट्रैक्टर के जरिये खेती-किसानी कर रहे हैं। देव 10वीं पास हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने से वे आगे नहीं पढ़ पाए, तो खेती-किसानी करने लगे। इस मिनी ट्रैक्टर के निर्माण पर मुश्किल से 5000 रुपये खर्च हुए हैं। इससे लागत सीधे 5 गुना कम यानी 70-80 रुपए पर आ गई। आगे पढ़ें-बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली...

611

रांची, झारखंड. इसे कहते हैं  दिमाग की बत्ती जल जाना!  ऐसा ही कुछ रामगढ़ के 27 वर्षीय केदार प्रसाद महतो के साथ हुआ। कबाड़ की जुगाड़ (Desi Jugaad) से नई-नई चीजें बनाने के उस्ताद केदार ने मिनी हाइड्रो पॉवर प्लांट (Mini hydro power plant ) ही बना दिया। टीन-टप्पर से बनाए इस प्लांट को उन्होंने अपने सेरेंगातु गांव के सेनेगड़ा नाले में रख दिया। इससे 3 किलोवाट बिजली पैदा होने लगी। यानी इससे 25-30 बल्ब जल सकते हैं।  केदार कहते हैं कि उनका यह प्रयोग अगर पूरी तरह सफल रहा, तो वो इसे 2 मेगावाट बिजली उत्पादन तक ले जाएंगे। केदार ने 2004 में अपने इस प्रयोग पर काम शुरू किया था। 

711

सोनीपत, हरियाणा.  यह हैं गोहाना के गांव सैनीपुरा के रहने वाले किसान सत्यवान। इन्होंने पुराने थ्रेसर से यह देसी जुगाड़ की मशीन (Desi jugaad machine) बनाई है। इसे ट्रैक्टर से जोड़कर चलाते हैं। सत्यवान के पास 4 एकड़ जमीन है। 8 साल पहले वे मैकेनिक थे। फिर खेती-किसानी करने लगे। पहली बार 2012 में उन्होंने धान की फसल उगाई। पहली बार मजदूर मिल गए। लेकिन 2014 में मजदूर नहीं मिलने से काफी दिक्कत हुई। नुकसान भी उठाना पड़ा। इसके बाद सत्यवान ने एक छोटी-सी मशीन बनाई। यह बिजली की मोटर से चलती थी। यह मशीन उतनी सफल नहीं रही। इसके बाद उन्होंने एक पुराना थ्रेसर खरीदा। उसके अंदर के सभी पार्ट निकालकर धान झाड़ने वाली मशीन का निर्माण किया। इस मशीन के निर्माण पर करीब 4 लाख रुपए खर्च हुए। 

811

भिवानी, हरियाणा. जब बिजली से चलने वाली मशीन से चारा काटा जाता है, तो चारे के कण हवा में उड़ने लगते हैं। यह सिर्फ न पॉल्युशन फैलाते हैं, बल्कि सांस के जरिये चारा काटने वाले के फेफड़ों में जाकर बीमारी भी पैदा कर सकते हैं। यही नहीं, असावधानी से अगर मशीन के ब्लेड के पास आ गए, तो शरीर कटने का डर भी बना रहता है। इस किसान ने इसका देसी जुगाड़ निकाला। उसने मशीन के ब्लेड वाले हिस्से को ट्रैक्टर के पुराने टायर से कवर कर दिया। इससे अब न चारा हवा में उड़ता है और न दुर्घटना का खतरा। इसे बनाया है बलियाली के किसान बलविंद्र ने।

911

धमतरी, छत्तीसगढ़. यह हैं 67 वर्षीय रिक्शा चालक कैलाश तिवारी। ये ई-रिक्शा की बैटरी को लेकर परेशान थे। तिवारीजी ने दिमाग दौड़ाया और रिक्शा के ऊपर सोलर प्लेट (Solar Plate) लगा दी। अब इसके जरिये बैटरी लगातार चार्ज होती रहती है। ई-रिक्शा पर उनके करीब 40 हजार रुपए खर्च हुए। सोलर प्लेट लगने के बाद अब उनकी कमाई बढ़ गई है। 

1011

यह मामला यूपी के चित्रकूट में रहने वाले दो भाइयों सुरेश चंद्र(49) और रमेश चंद्र मौर्य(45) से जुड़ा है। मऊ तहसील के ग्राम उसरीमाफी के रहने वाले इन भाइयों ने ट्रैक्टर का काम करने वाली सस्ती मशीन बनाई है। इसे 'किसान पॉवर-2020' नाम दिया है। ये दोनों भाई मूर्तियां और गमले बनाते थे। फिर किसानों की समस्या देखकर मशीन बनाने का आइडिया आया। जो गरीब किसान ट्रैक्टर नहीं खरीद सकते...उनके लिए यह मशीन फायदेमंद है।

1111

यह मामला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर का है। निंबोला क्षेत्र के एक किसान के तीन बेटों ने बेकार पड़े पाइपों के जरिये धमाका बंदूक बना दी। दरअसल, किसान खेतों में सूअर और अन्य जानवरों के घुसने से परेशान था।  हर साल उसकी लाखों की फसल खराब हो जाती थी। पटाखे आदि काम नहीं करते थे। इस बंदूक से ऐसा धमाका होता है कि जानवर डरके भाग जाते हैं। बता दें कि यह बंदूक बनाने वाले मनोज जाधव 8वीं, पवन जाधव 7वीं  तक पढ़े हैं। सिर्फ जितेंद्र पवार ग्रेजुएट हैं। इसकी आवाज 2 किमी तक सुनाई पड़ती है। 

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved