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- जब ये 16 की थीं, तब एक घटना ने गहरा सदमा दिया था, लेकिन 23 साल में IAS बनकर दिखा दी ताकत, लीजिए कुछ टिप्स
जब ये 16 की थीं, तब एक घटना ने गहरा सदमा दिया था, लेकिन 23 साल में IAS बनकर दिखा दी ताकत, लीजिए कुछ टिप्स
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2017 बैच की आईएएस सौम्या शर्मा यह सिखाती हैं कि आपका हौसला ही आपको मंजिल तक पहुंचाएगा। किसी की दया या मदद के जरिये आप मंजिल के आसपास भटकते रहेंगे। जहां तक सौम्या की बात है, तो वे अखबार नियमित पढ़ती थीं। वे कहती हैं कि परीक्षा के लिए सामान्य ज्ञान बहुत जरूरी है। इसमें अखबारों ने उनकी मदद की। यह आदत उन्होंने बचपन से डाल रखी थी। सौम्या के मुताबिक इतिहास और भूगोल में उनके सामान्य ज्ञान ने काफी मदद की।
बता दें कि जब सौम्या 16 साल की थीं, तब उनके सुनने की क्षमता 90 प्रतिशत चली गई थी। तब उन्हें गहरा सदमा लगा था। लेकिन फिर उन्होंने खुद को संभाला। सबसे बड़ी बात, उन्होंने कभी भी किसी एग्जाम फॉर्म में डिसएबल कैटेगरी नहीं चुनी। सौम्या बगैर हीयरिंग एड के न के बराबर ही सुन सकती हैं। सौम्या ने दिल्ली के नेशनल लॉ स्कूल से लॉ किया है। जब वे इसके अंतिम वर्ष का एग्जाम दे रही थीं, तभी उन्होंने यूपीएससी एग्जाम में बैठने की सोच ली थी।
सौम्या ने सिर्फ 4 महीने तैयारी में यूपीएससी एग्जाम क्लियर किया। वे कहती हैं कि आप अपने विषय का चयन सोच-समझकर करें। जिसमें आपकी रुचि हो, पकड़ हो...समझ हो..उसे चुनें। तैयारियों के दौरान नोट़्स बनाते रहें। इससे आपने जो पढ़ा है, वो रिवाइज होता जाएगा। पढ़ने के साथ ही लिखने की प्रैक्टिस भी जारी रखें। इससे याद अच्छे से होता है।
सौम्या कहती हैं कि एग्जाम के पहले का हफ्ता बेहद खराब होता है। इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखें। दरअसल, मेन्स परीक्षा के दिनों में सौम्या को 102 बुखार था। यह अच्छा रहा कि सौम्या के मम्मी-पापा खुद डॉक्टर हैं, लिहाजा वो एग्जाम देने के लिए तैयार रहीं।
सौम्या कहती हैं कि जिंदगी में अगर आपने कुछ करने की ठान ली, तो एक-दो कोशिशों के बाद आपको सफलता जरूर मिलेगी।(नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ सौम्या)
सौम्या अकसर अपने इंटरव्यू में जिक्र करती रही हैं कि हार्डवर्क बहुत जरूरी है। जो भी करें, उसके प्रति निष्ठा रखें। निरंतर कोशिशें एक दिन रंग जरूर लाती हैं।