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सैल्यूट कीजिए भारतीय सेना को, जो दुश्मनों से देश की रक्षा करने ऐसे खतरनाक रास्तों से होकर बॉर्डर पर जाती है
श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर. लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के बाद जिस तरह से चीन हेकड़ी दिखा रहा है, उसे देखते हुए भारत युद्धस्तर पर अपनी तैयारियां कर रहा है। दरअसल, चीन को यह बात हजम नहीं हो रही है कि भारत बॉर्डर पर सड़कें बनाए। क्योंकि इससे भारतीय सेना सरलता से बॉर्डर तक पहुंच जाएगी। दरअसल, अभी लद्दाख तक पहुंचना आसान नहीं होता। कश्मीर की द्रास घाटी और लद्दाख को जोड़ने वाला 108 किमी जोजिल दर्रा बेहद खतरनाक है। कुछ जगहों पर तो यह मौत के किसी सरकस से कम नहीं है। यह 443 किमी लंबे श्रीनगर-लेह राजमार्ग का हिस्सा है। यह मार्ग आधे साल बंद रहता है। एक तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, तो दूसरी ओर गहरी खाइयां..इस मार्ग का हिस्सा हैं। यहां चलने वालीं बर्फीली हवाएं अच्छे-खासों का जोश ठंडा कर देती हैं। लेकिन यह भारतीय सेना का ही साहस है, जो वे बॉर्डर तक अपनी रसद पहुंचाने इस मार्ग का इस्तेमाल करती है। यह तस्वीर 22 अगस्त, 2014 की है। जब भारतीय सेना का काफिला रसद लेकर लद्दाख को निकला था। अब इस रास्ते को लद्दाख से 12 महीनों जोड़ने के लिए एशिया की सबसे लंबी टनल की योजना पर तेजी से काम शुरू हो गया है। खासकर चीन की हरकतों को देखते हुए टनल के निर्माण को जल्द पूरा करने की योजना है। इसके लिए नेशनल हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने चौथी बार टेंडर मांगे हैं। करीब 6000 करोड़ की इस परियोजना में देरी न हो, इसलिए डिजाइन में भी थोड़ा बदलाव किया गया है। यह टेंडर 24 जुलाई को खुलेगा। इसका ठेका किसी भारतीय कंपनी को ही दिया जाएगा। करीब 14.150 किमी लंबी इस टनल के निर्माण के बाद भारी बर्फबारी के बावजूद लद्दाख पहुंचना आसान होगा। जिस मार्ग को पार करने में अभी 3.30 मिनट लगते हैं, उसे सिर्फ 15 मिनट में पार किया जा सकेगा। आइए देखते हैं जोजिला दर्रा की कुछ तस्वीरें...
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तस्वीर में देख सकते हैं कि यहां गाड़ियां चलाना कितना जोखिमपूर्ण काम होता है।
संकरी-सी कच्ची सड़क पर धीरे-धीरे ही गाड़ियां आगे निकाली जाती हैं।
यहां गाड़ी वही ड्राइव कर सकता है, जो दिल से मजबूत हो।
इस तरह कश्मीर से लेह पहुंचा जाता है।
इस रास्ते को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय सेना को बॉर्डर तक पहुंचने कितने जोखिम उठाने पड़ते हैं।
ऐसे रास्तों से गुजरना बेहद जोखिमपूर्ण होता है।
संकरे रास्ते से गुजरते वाहन।
इस दुर्गम रास्ते पर भी भारतीय सेना सीमा सुरक्षा बल मुस्तैदी से ड्यूटी करते हैं।
अकसर भूस्खलन से रास्ते बंद हो जाते हैं।
देखिए कैस धुंध के बीच से रास्ता तलाशना पड़ता है।
बर्फीले रास्तों से गुजरना पड़ता है।
इस तरह ऊबड़-खाबड़ हो जाते हैं रास्ते।
देखिए कितना खतरनाक है लेह-लद्दाख रास्ता
जरा-सी लापरवाही का मतलब है गाड़ी सीधे खाई में जाना।
इस कठिन परिस्थिति में भी भारतीय सैनिक सीमा की सुरक्षा करते हैं।
इन मजदूरों की मेहनत से ही यह रास्ता जाने योग्य रहता है।
आमतौर पर यह रास्ता छह महीने बंद रहता है।
भारतीय सेना बॉर्डर तक इसी रास्ते से जाती है।
भूस्खलन से यह दुर्गम रास्ता अकसर बंद हो जाता है।
इस तरह के रास्ते हैं यहां।