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94 साल की उम्र में अपने स्टार्टअप के जरिये लोगों में फेमस हो गईं ये बर्फी वाली दादी, यही है आत्मनिर्भर भारत
चंडीगढ़. आमतौर पर 60 साल में लोग खुद को अनफिट मानकर काम-काज से रिटायरमेंट ले लेते हैं, लेकिन ये बुजुर्ग एक मिसाल हैं..ये बर्फी बनाती हैं। इसकी इतनी डिमांड है कि परिवार के बाकी लोगों को भी मदद करना पड़ती है। इनकी बर्फी के दीवानों में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा तक शामिल हैं। महिंद्रा ने तो इन्हें 'एंट्ररप्रिन्योर ऑफ द इयर' तक घोषित किया है। हरभजन को इसके लिए उनकी बेटी ने प्रेरित किया। हुआ यूं कि एक दिन हरभजन ने बेटी से कहा कि उन्होंने जिंदगी में एक रुपया नहीं कमाया। अब वे कुछ करना चाहती हैं। हरभजन बर्फी बहुत अच्छी बनाती रही हैं। बेटी ने उन्हें इसी में कुछ करने को कहा। बेटी ने कहा कि बचपन से वे अपने मां के हाथों की बनाई बेसन की बर्फी खाती आ रही हैं। उसका स्वाद गजब का होता है। आगे पढ़िए हरभजन कौर की कहानी...
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हरभजन ने सेक्टर-18 के आर्गेनिक बाजार में संपर्क किया था। उन्हें सबसे पहले 5 किलो बेसन की बर्फी का ऑर्डर मिला। लोगों को यह इतनी पसंद आई कि डिमांड लगातार बढ़ती गई।
इस तरह हरभजन का बिजनेस बढ़ता गया। धीरे-धीरे उन्होंने बादाम का शरबत, लौकी की आइसक्रीम, टमाटर की चटनी, दाल का हलवा और टेस्टी अचार भी बनाना शुरू किया। हालांकि बेसन की बर्फी उनकी पहचान है।
आज हालत यह है कि हरभजन के इस बिजनेस में उनकी बेटियां और नातिनों को भी हाथ बंटाना पड़ रहा है। लेकिन चीजें वे ही बनाती हैं। क्योंकि स्वाद उनके हाथों से ही आता है।
हरभजन बताती हैं कि उन्होंने बेसन की बर्फी बनाना अपने पिता से सीखा था। उनके घर में यह परंपरा 100 साल से ज्यादा समय से चली आ रही है।
हरभजन की बेसन की बर्फी सिर्फ पंजाब नहीं, दूसरे अन्य राज्यों में भी मशहूर है। हरभजन सारा काम अपने घर से करती हैं। उन्होंने खुद की कोई दुकान नहीं खोली।
हरभजन कौर कहती हैं कि उन्हें अच्छा लगता है कि वे अपने हाथों से कुछ बनाकर लोगों को खिला रही हैं। आज हरभजन का अच्छा-खासा काम चल रहा है।