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चारों तरफ से दुश्मनों से घिरा है यह देश, हर दिन हमले के बावजूद खूबसूरत पर्यटक स्थलों पर नहीं आती आंच
इजराइल में स्थित येरूसलम यहूदी और इसाई लोगों का प्रमुख धर्म स्थल है। येरूसलम में याद वशेम स्थित है। वहीं येरूसलम के निकट रिमेंब्रेंस पर्वत की ढलान पर 42 सौ स्क्वायर मीटर फैले होलोकॉस्ट संग्रहालय यहूदी लोगों के इतिहास को दर्शाता है। इतिहास की सबसे क्रूर घटनाओं में से एक यहूदियों के नरसंहार पीडि़तों की याद में 1953 में याद वाशेम स्मारक संग्रहालय बनाया गया।
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ट्रेंडिंग डेस्क । इजराइल चारों ओर इस्लामिक देशों से घिरा है। ये यहूदियों का देश है, ज्यादातर पड़ोसी इजराइल के दुश्मन हैं। हर दिन कुछ ना कुछ साजिशें इस मुल्क के खिलाफ होती रहती हैं। बावजूद इसके ये देश पूरे रूआब के साथ तमाम विपरीत हालातों सामना करता है। इस देश के आंख उठाने से उसके दुश्मन भी डरते हैं। फलस्तीन और इजराइल के बीच कट्टर दुश्मनी है। फलस्तीन में मौजूद लड़ाके इजराइल पर बमबारी करते रहते हैं। वहीं इजराइल इसका मुंहतोड़ जवाब देता है। इतने खतरे के बावजूद इजरइल ने अपने पर्यटन स्थलों को सहेज के रखा हैं। इस ताकतवर मुल्क के पर्यटन स्थलों के बारे में हम आपको बताएंगे।
60 लाख यहूदियों का हुआ था नरसंहार
ईसाई धर्म में लोगों के द्वारा ईसा मशीह (Jesus Christ) को पूजा जाता है। ईसा मशीह का जन्म इसराइल (Israel) की राजधानी येरूशलम में हुआ था। येरूशलम (Jerusalem) ईसाई लोगों के साथ साथ यहूदी और मुसलमान लोगों के लिए बहुत ही पवित्र स्थान है। इजराइल में स्थित येरूसलम यहूदी और इसाई लोगों का प्रमुख धर्म स्थल है। येरूसलम में याद वशेम स्थित है। वहीं येरूसलम के निकट रिमेंब्रेंस पर्वत की ढलान पर 42 सौ स्क्वायर मीटर फैले होलोकॉस्ट संग्रहालय यहूदी लोगों के इतिहास को दर्शाता है। इतिहास की सबसे क्रूर घटनाओं में से एक यहूदियों के नरसंहार पीडि़तों की याद में 1953 में याद वाशेम स्मारक संग्रहालय बनाया गया। इस स्मारक में एडॉल्फ हिटलर के नाजी जर्मनी द्वारा दस लाख से अधिक बच्चों समेत 60 लाख यहूदियों का नरसंहार करा दिया था। इस स्मारक को देखने हर साल लाखों लोग पहुंचते हैं।
ओल्ड सिटी ऑफ येरुसलम
ओल्ड सिटी ऑफ येरुसलम दुनिया के सबसे खूबसूरत पर्यटक स्थलों में शुमार किया जाता है। ये यहूदियों का धार्मिक स्थल भी है। यहां पर वेस्टर्न वेलिंग वॉल, चर्च ऑफ द हॉली स्प्यूल्चर और डोम ऑफ द रॉक है। यहां के मार्केट में पारंपरिक वस्तुओं का विक्रय होता है। ये बाजार बेहदत खूबसूरत भी हैं।
इजराइल म्यूजियम
इजराइल म्यूजियम में प्राचीन काल की अनेकों वस्तुएं मौजूद हैं, इजराइल की वास्तुकला और संस्कृति का बेहतरीन नमूना पेश करती हैं । ये खंडित स्थान था, जिसका पुनर्निमाण कियागया है। । यहां पर शरीन ऑफ द बुक, द सेकेंड टेम्पल मॉडल के साथ आपको बिली रोज गार्डन देखने को मिलता है।
टावर ऑफ़ डेविड (Tower Of David)
टावर ऑफ़ डेविड को बुर्ज दाऊद के नाम से भी जाना जाता है। इसे दाऊद का गुंबद भी कहा जाता है। येरूसलम के लोगों का कहना है कि राजा सोलोमन को यहीं पर दफनाया गया था। टावर ऑफ़ डेविड के रास्ते से ही ओल्ड सिटी में प्रवेश कर सकते है। यह पर्यटकों की खास पसंद में आता है।
सोलोमन मंदिर (Solomon Temple)
इसराइल (Israel) के सम्राट सोलोमन ने सोलोमन टेम्पल बनवाया था। सोलोमन मंदिर का निर्माण 10 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। इस टेंपल का संबंध यहूदी संप्रदाय से है। पवित्र पुस्तक बाइबल में इस मंदिर का जिक्र प्रथम प्राथनाले कह कर हुआ है। सोलोमन मंदिर को रोमन लोगो ने लड़ाई के समय पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। यहूदी लोगों के पवित्र स्थल टेम्पल माउंट और अल अक्सा मस्जिद, डोम ऑफ़ दा रॉक सोलोमन मंदिर के स्थान पर स्थित है।
सिटी ऑफ़ डेविड (City Of David)
सिटी ऑफ़ डेविड को ओल्ड सिटी के नाम से भी जाना जाता है। ओल्ड सिटी को इसराइल (Israel) के सम्राट दाऊद के नाम पर उनके बेटे सोलोमन (Solomon) ने बसाया था। पुराने शहर के बारे में ज्यादा जानकारी जियोन पहाड़ी पर मिलती है, जहाँ पर ओल्ड सिटी के बहुत ज्यादा अवशेष देखने को मिलते है। यहां पर जाने के लिए जियोन गेट या दांग गेट से हो कर जाना पड़ेगा। पुरातत्वविदों के हिसाब से ओल्ड सिटी का इतिहास करीब 3000 साल पुराना है। जियोन गेट पर डर्मिश चर्च स्थित है, जहाँ पर सोलोमन की क़ब्र बनी हुई है।
टेम्पल माउंट (Temple Mount)
किवदंतियों के मुताबिक पहले आदम को ईश्वर ने इसी स्थान पर बसाया था। ईश्वर ने मानव को बनाने के लिए यहीं पर मिट्टी का ढेर लगाया था। । टेम्पल माउंट का संबंध यहूदी लोगों से है। यहूदियों के लिए यह स्थान बहुत ही पवित्र जगह है। इस टेम्पल के गुंबद को सोने की परत से ढका गया है। यहाँ पर आने के लिए गोल्डन गेट से आना पर्यटकों के बहुत ही आसान रहता है। टेम्पल माउंट को डोम ऑफ़ दा रॉक (Dom of the rock) भी कहा जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी स्थान पर पहली बार मोहम्मद साहब को नमाज पढ़ने के लिए अज्ञात शक्ति से आदेश प्राप्त हुआ था।