- Home
- Viral
- मौत से भी बदतर हो जाती है TB मरीज की जिंदगी, फोटोग्राफर ने अस्पतालों में कैद की ऐसी खौफनाक तस्वीरें
मौत से भी बदतर हो जाती है TB मरीज की जिंदगी, फोटोग्राफर ने अस्पतालों में कैद की ऐसी खौफनाक तस्वीरें
हटके डेस्क: 24 मार्च को दुनियाभर में विश्व ट्यूबरक्युलोसिस डे के तौर पर मनाया जाता है। ट्यूबरक्युलोसिस को आम भाषा में टीबी कहा जाता है। इस बीमारी ने कभी दुनिया में भारी तबाही मचाई थी। 2021 में जब दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है, उस दौरान आए टीबी डे ने लोगों का ध्यान खींचा। अब भले ही टीबी पहले जैसी तबाही नहीं मचाता लेकिन आज भी कई गरीब देशों में इस बीमारी ने हाहाकार मचाया हुआ है। 2022 तक दुनिया को टीबी से मुक्त करवाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2019 में 1 करोड़ लोग टीबी के शिकार हुए थे। इनमें 14 लाख की जान इस बीमारी ने ले ली थी। बिना लोगों की नजरों में आए ये बीमारी धीरे-धीरे अपना शिकार निगल रही है। ये बीमारी काफी खतरनाक होती है। फोटोग्राफर जेम्स नाच्त्वेय ने इस बीमारी को कैमरे में कैद किया था। उन्होंने स्ट्रगल टू लिव नाम की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई। इसमें मरीजों की हालत देख आप भी हैरान रह जाएंगे। मरीज की जान चूस जाता है टीबी...
- FB
- TW
- Linkdin
)
टीबी के शिकार बेटे को गोद में पकड़ी मां की ऐसी इमोशनल तस्वीर किसी की भी रूह कंपा देगी।
भाई-बहन दोनों ही टीबी का शिकार हो गए। अस्पताल में इलाज के दौरान दोनों इस तरह तस्वीर में कैद हुए।
मरीज को हड्डी के ढांचे में बदल देता है टीबी। अस्पताल में टीबी के मरीज को कुछ इस हाल में कैद किया गया।
टीबी में मरीज की हालत बेहद खौफनाक हो जाती है। कुछ सालों पहले इसके शिकार हुए मरीज की जान बचने की कोई संभावना नहीं रहती थी। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, हर दिन आज भी दुनिया में 4 हजार मौतें टीबी से होती है।
साल 2021 में टीबी दिवस का थीम रखा गया है- The clock is ticking यानी समय खत्म होने को है। दरअसल,2022 तक विश्व को टीबी से मुक्त करने लक्ष्य रखा गया है।
लोगों का ध्यान इस समय कोरोना पर है लेकिन टीबी भी अपने शिकार को मौत के मुंह में डालती जा रही है।
पहले अगर कोई टीबी का शिकार हो जाता था तो उसका अंजाम सीधे मौत ही था। वैक्सीन बनने के बाद इसका प्रकोप कम हुआ।
24 मार्च को टीबी दिवस मनाने की ख़ास वजह है। दरअसल, 24 मार्च को ही जर्मन फिजिशियन रोबर्ट कॉच ने इसके बैक्टेरिया Mycobacterium Tuberculosis का पता लगाया था। इसके लिए उन्हें नोबल पुरस्कार भी दिया गया।
इस बैक्टेरिया का पता चलने के बाद ही इसके वैक्सीन को बनाया जा पाया। ये बीमारी सबसे पहले फेंफड़ों को अपने चपेट में लेती है। हालांकि, कई अन्य अंगों पर भी इसका असर होता है।
फोटोग्राफर द्वारा खींची गई ये तस्वीरें दिल दहलाने वाली है। इसमें मरीज की हालत इतनी दर्दनाक हो जाती है कि वो मौत ही मांगने लगता है।