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1800 करोड़ में तैयार हुआ दुनिया का सबसे बड़ा यदाद्री मंदिर, 10 फोटो में देखें 4000 मूर्तिकारों ने कैसे संवारा
नई दिल्ली। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में दुनिया का सबसे बड़ा यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर विधि-विधान के साथ भक्तों के लिए खोल दिया गया। इस भव्य मंदिर को बनाने व संवारने में चार हजार से अधिक मूर्तिकारों ने योगदान दिया है। दावा किया जा रहा है कि मंदिर को बनाने में करीब 1800 करोड़ रुपए खर्च हुआ है। इसकी भव्यता और मजबूती का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इसके निर्माण में सीमेंट की जगह काले ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है।
| Published : Mar 29 2022, 07:25 PM IST / Updated: Mar 29 2022, 07:27 PM IST
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भगवान लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर हैदराबाद से लगभग 80 किमी दूर स्थित है। मंदिर का पुनर्निर्माण वर्ष 2016 में हुआ शुरू हुआ था। मंदिर का परिसर लगभग 14.5 एकड़ में फैला हुआ है।
मंदिर के मुख्य डिजाइनर आनंद साइ के मुताबिक, यदाद्री दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है। इसे पूरी तरह से पत्थर से बनाया गया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों यहां भारी संख्या में पर्यटक आएंगे।
इस भव्य मंदिर को काले रंग के ग्रेनाइट का इस्तेमाल कर बनाया गया है। इसके पीछे वजह भी बताई गई है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने यदाद्री स्थित भगवान लक्ष्मी-नृसिंह स्वामी के पुननिर्मित मंदिर का उद्घाटन किया और इसके साथ ही मंदिर अब भक्तों के लिए भी खोल दिया गया है। मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल और परिजनों के साथ विशेष पूजा-अर्चना की।
मंदिर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष किशन राव के मुताबिक, सीमेंट 80 से 100 वर्ष तक रहता है, जबकि कुछ रिसर्च के बाद पता चला कि काला ग्रेनाइट 500 साल तक रहेगा।
इसे बनाने में चार हजार से अधिक मूर्तिकारों ने योगदान दिया है। दावा यह भी किया जा रहा है कि यदाद्री मंदिर को बनाने में लगभग 1800 करोड़ रुपए खर्च हुआ है। मंदिर को इसकी स्थापत्य सुंदरता के लिए सराहा भी जा रहा है।
यदाद्री मंदिर पुनर्निर्माण में द्रविड़, पल्लव, काकतियान शैलियों का समावेश है। पुनर्निर्माण के दौरान मंदिर का जमीन का क्षेत्र 11 एकड़ से बढ़ाकर 17 एकड़ कर दिया गया है।
मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाने वाले थे, लेकिन बाद में उनके जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।
मंदिर की खासियत इसकी उत्कृष्ट वास्तुकला है। इसके निर्माण में ढाई लाख टन काले ग्रेनाइट से किया गया है।
मंदिर काफी भव्य है। इसमें एक बार में 10,000 भक्त बैठ सकते हैं। मंदिर की स्थापत्य सुंदरता के लिए इसे सराहा भी जा रहा है।