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कौन है ये चीनी महिला, जिसे भारत और नेपाल के संबंधों में खटास आने की अहम वजह बताया जा रहा
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नेपाल ने हाल ही में भारत के तीन इलाकों को अपने नक्शे में शामिल किया। इसके बाद नक्शे के संसोधन वाले बिल को भी दोनों सदनों से मंजूरी दे दी। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए चीनी राजदूत ने प्रेरित किया।
इतना ही नहीं यान्की ने भारतीय सेना प्रमुख मनोज नरवणे के नेपाल और चीन को लेकर दिए बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी।
दरअसल, आर्मी चीफ ने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा था कि नेपाल किसी ओर के इशारे पर काम कर रहा है। अब यान्की ने राइजिंग नेपाल को दिए इंटरव्यू में कहा, नेपाल की सरकार ने अपने संप्रभुता, क्षेत्रीय एकता की सुरक्षा को लेकर जनभावनाओं के तहत ये कदम उठाया।
यान्की ने कहा, नेपाल के चीन के इशारे पर काम करने के आरोप बेबुनियाद हैं। ये गलत मंशा से लगाए गए हैं। ऐसे आरोप नेपाल की महत्वकांक्षाओं का ही अपमान नहीं करते, बल्कि चीन और नेपाल के संबंधों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
चीनी राजदूत नेपाल में काफी सक्रिय हैं। वे सिर्फ कूटनीति तक अपनी पहुंच सीमित नहीं रखती। वे नेपाल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वे स्थानीय लड़कियों के साथ डांस करती भी नजर आई थीं।
यान्की 2018 में नेपाल में चीन की राजदूत बनाई गई थीं। उसके बाद से चीन और नेपाल के संबंध लगातार बेहतर होते चले गए। इतना ही नहीं, यान्की नेपाल की राजनीति में भी काफी दखल देती हैं। वे कई बार ओली सरकार के लिए संकटमोचन भी बन चुकी हैं।
चीन से निकले कोरोना ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। लेकिन इस संक्रमण के दौर में यान्की नेपाल की मदद के लिए आगे रहीं। उन्होंमने कोरोना के सहयोग के नाम पर सेना से लेकर सरकार और आम जनता तक सीधे पहुंच बनाई और संभव मेडिकल साम्रगी भी पहुंचाई।
यान्की नेपाल के विभिन्न मंत्रालयों में नियमित देखी जाती हैं। वे सहयोग के नाम पर इन मंत्रालयों में दखल देती नजर आती हैं। इतना ही नहीं वे कोरोना लॉकडाउन के वक्त राजनीतिक दलों से भी संपर्क में रहीं।
इतना ही नहीं, यान्की ने नेपाल में चुनाव से पहले दोनों कम्युनिस्ट पार्टी के गठबंधन में अहम भूमिका निभाई। इतना हीं नहीं, जब ओली की पार्टी टूटने की कगार पर पहुंची तो उन्होंने इसे टूटने से बचाया।
यान्की 1996 से चीन के विदेश विभाग में काम कर रही हैं। वे दक्षिण एशिया मामलों में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर रह चुकी हैं।
नेपाल से पहले यान्की पाकिस्तान में चीनी राजदूत थीं। उन्होंने अंग्रेजी, चीनी और उर्दू भाषा की अच्छी खासी जानकारी है।
वे नेपाल की भाषा को भी समझकर उसका जवाब देने लगी हैं।