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चीन ने कोरोना को लेकर बोले कई झूठ, वैक्सीन बनाने में भी नहीं की अन्य देशों की मदद: ऐसे खुली पोल
लंदन. कोरोना वायरस से दुनिया भर में हाहाकार मची है। इसे लेकर चीन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। पश्चिमी देशों का आरोप है कि चीन ही कोरोना वायरस के दुनिया में फैलने के लिए जिम्मेदार है। अमेरिका भी ऐसे ही आरोप लगा रहा है। ऐसे वक्त में चीन को लेकर कुछ और खुलासे हुए हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना को लेकर चीन ने झूठ बोला है कि यह इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता। इसके अलावा चीन ने विसिल ब्लोअर्स को गायब कराया। साथ ही देशों को कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में मदद करने से भी इंकार कर दिया। ये खुलासा 5 देशों की खुफिया एजेंसी के डॉजियर में हुआ है।
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डेली मेल की खबर के मुताबिक, 'फाइव आईस' खुफिया एजेंसी ने कोरोना पर चीन को लेकर 15 पेजों की एक रिपोर्ट बनाई है। इसमें चीन को लेकर तमाम तरह के खुलासे किए गए हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की सरकार ने अपने आलोचकों का मुंह बंद करा दिया, जिन्होंने कोरोना वायरस और हेल्थ सेवाओं के बारे में इंटरनेट पर कोई खुलासा किया।
कोरोना वायरस का कहर दुनिया के शक्तिशाली देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और इटली जैसे देशों पर है। यहां अब तक कोरोना से निपटा नहीं जा सका है। ऐसे में चीन सभी की नजरों में आ गया है।
अब अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड की खुफिया एजेंसियों से बनी संयुक्त 'फाइव आईस' की यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया के टेलिग्राफ में छापा गया है, इसमें चीन के काले कारनामों को उजागर किया गया है।
इससे पहले अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कहा, कोरोना के फैलने को लेकर कुछ सवाल हैं, जिनका चीन को जवाब देना होगा।
साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनके पास इसके सबूत हैं कि चीन के वुहान की लैब से ही कोरोना वायरस फैला।
लेकिन खुफिया एजेंसियों ने अपने रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन सरकार ने किस तरह से कोरोना वायरस के निकलने के सारे सबूतों को लैब और वुहान के मीट मार्केट से खत्म कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चमगादड़ों की रिसर्च करने वाले चीनी रिसर्चर ने दावा किया था कि कोरोना वायरस 2013 के वायरस से 96% तक मिलता है। इस वायरस के बारे में कहा गया था कि यह चमगादड़ों से मनुष्य में फैल सकती है। लेकिन इस बात को लेकर चीनी अधिकारियों से चुप्पी साध ली। साथ ही चीन ने दिसंबर से ही इस वायरस से संबंधित इंटरनेट पर किसी भी सर्च पर रोक लगानी शुरू कर दी।
वहीं, WHO ने भी चीन के सुर से सुर मिलाए और कहा कि यह वायरस मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलता। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने झूठ बोला है कि यह इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता। इसके अलावा चीन ने विसिल ब्लोअर्स को गायब कराया।
इसके अलावा चीन ने अन्य देशों को कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए लाइव वायरस सैंपल देने से भी इनकार कर दिया।
यह पहला मौका नहीं जब चीन पर कोरोना फैलाने के आरोप लगे हों। इससे पहले अमेरिकी चैनल फॉक्स न्यूज ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी में काम करने वाली एक इंटर्न से गलती से लीक हुआ था। इस रिपोर्ट पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी प्रतिक्रिया दी थी।
ट्रम्प ने इस मामले की जांच कराने की बात कही थी। चैनल ने दावा किया था कि जिस इंटर्न की गलती से यह वायरस फैला, उससे वह भी संक्रमित हो गई थी। इसके बाद उसका ब्वॉयफ्रेंड संक्रमित हुआ। बाद में यह फैलता चला गया।
इससे पहले डेली मेल ने खुलासा किया था, चीन के वुहान में स्थित जिस लैब से कोरोना फैलने की बात कही जा रही है, उसमें अमेरिकी सरकार द्वारा दी गई आर्थिक मदद से चीन की गुफाओं से निकाले गए चमगादड़ों पर रिसर्च चल रही थी।
वुहान में यह लैब मांस मार्केट के पास है। इस लैब पर पहले भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि यहीं से कोरोना वायरस निकला। पहले यह वायरस यूंनान की गुफाओं के चमगादड़ों में ही पाया गया था। बाद में ऐसा कहा गया कि वुहान के मांस मार्केट से यह जानवरों से इंसानों में पहुंचा।
हालांकि, वुहान इंस्टिट्यूट अपने ऊपर लगे ऐसे आरोपों को हमेशा से नकारता रहा है। इस इंस्टिट्यूट को चीनी सरकार ने 2003 के बाद बनाया था। तब चीन में सार्स वायरस फैला था। सार्स कोरोना का ही एक वायरस था जिसने 775 लोगों की जान ली थी। दुनियाभर में 8 हजार लोग उससे संक्रमित हुए थे।