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NASA पहली बार मंगल ग्रह पर रोवर के साथ भेज रहा इतने किलो का हैलिकॉप्टर, जान लें ये खास बातें
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रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि मार्स रोवर परमाणु ऊर्जा से भेजा जाएगा। यानी, पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है। ये मंगल ग्रह की तस्वीरें, वीडियो और नमूने लेंगे।
परसिवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हैलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाईऑक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का काम करेंगे। मौसम का अध्ययन करेंगे। ताकि, भविष्य में मंगल ग्रह पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स को आसानी हो।
रोवर में लगे मार्स एनवायर्नमेंटल डायनेमिक्स एनालाइजर बताएगा कि मंगल ग्रह पर इंसानों के रहने लायक स्थिति है या नहीं। इसमें तापमान, धूल, वायुदाब, धूल और रेडिएशन आदि का अध्ययन किया जाएगा।
भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी (17) ने हैलिकॉप्टर को इंजीन्यूटी नाम दिया है। हिंदी में इसका मतलब है किसी व्यक्ति का आविष्कारी चरित्र। वनीजा अलबामा नार्थ पोर्ट में हाई स्कूल जूनियर हैं।
मंगल हैलिकॉप्टर के नामकरण के लिए नासा ने 'नेम द रोवर' नाम से एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें 28,000 प्रतियोगी शामिल हुए थे। इसमें वनीजा की ओर से सुझाए गए नाम को फाइनल किया गया। नासा ने बताया कि मंगल के वातावरण में यह छोटा हेलिकॉप्टर सतह से 10 फीट ऊंचा उठकर एक बार में 6 फीट तक आगे जाएगा।
बता दें, पिछले 11 दिनों में दो देशों के मिशन मंगल पर जा चुके हैं। अब अमेरिका अपना मिशन भेजने वाला है। 19 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात ने मिशन होप भेजा था। 23 जुलाई को चीन ने तियानवेन-1 मार्स मिशन भेजा था।