सार
सीएम ने कहा कि नमाज, नमाज की तरह हो। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग सोचते हैं कि इसके जरिए ताकत दिखाएं। अगर कोई इस तरह से नमाज पढ़ना चाहता है तो उसे सबसे पहले प्रशासन से बात करनी चाहिए। इस तरह के कार्यक्रमों के लिए पहले से ही सभी धर्मों के लिए नियम बने हुए हैं।
चंडीगढ़ : सड़क पर नमाज को लेकर हरियाणा (haryana) के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) का एक और बयान सामने आया है। हाल ही में राज्य के अलग-अलग इलाकों से इस तरह की घटनाओं को लेकर जब राज्य से मुख्यमंत्री से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के लिए सड़क पर नमाज अता करना सिर्फ शक्ति प्रदर्शन है और कुछ नहीं। खट्टर ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अता करना अनुचित है। नमाज, नमाज रहनी चाहिए न कि ताकत का प्रदर्शन।
क्या कहा खट्टर ने
सीएम ने कहा कि नमाज, नमाज की तरह हो। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग सोचते हैं कि इसके जरिए ताकत दिखाएं। अगर कोई इस तरह से नमाज पढ़ना चाहता है तो उसे सबसे पहले प्रशासन से बात करनी चाहिए। इस तरह के कार्यक्रमों के लिए पहले से ही सभी धर्मों के लिए नियम बने हुए हैं। इससे पहले वो कह चुके थे कि जो लोग सार्वजनिक जगहों पर नमाज अता करेंगे उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
लोग इबादत-प्रार्थना के लिए स्वतंत्र
मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि सभी लोग इबादत करने और प्रार्थना करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन यह उचित स्थानों पर ही होना चाहिए। उन्होंने इसके लिए अलग-अलग धर्मों के लोगों को मध्यस्थता करने के लिए आगे आने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि अगर इस पर कोई मतभेद है, तो अलग-अलग धर्मों के लोग मध्यस्थता के लिए स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं।
क्रिसमस पर जो हुआ दुर्भाग्यपूर्ण
पिछले दिनों क्रिसमस के मौके पर भी हरियाणा के अलग-अलग इलाकों में कुछ युवाओं नें क्रिसमस समारोहों में बाधा डाली थी। ऐसा ही एक मामला पटौदी में भी सामने आया था, जिससे संबंधित सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने ऐसी घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। ऐसी घटनाओं का समर्थन करने का कोई कारण नहीं है। इस तरह के किसी भी समारोह को बाधित करना सही नहीं है।
गुरुग्राम में 8 जगहों पर नमाज पर रोक
बता दें कि गुरुग्राम जिला प्रशासन ने 37 तय जगहों में से 8 जगहों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी थी। जिला प्रशासन ने अपने फैसले के पीछे तर्क दिया था कि स्थानीय लोगों के विरोध के बाद निर्णय लिया गया था। अलग अलग मौकों पर स्थानीय लोगों ने सार्वजनिक जगहों पर नमाज पर विरोध दर्ज कराया था। स्थानीय लोगों का कहना था कि नमाज के लिए जब मस्जिदें और ईदगाह है तो सार्वजनिक जगहों पर नमाज अता करने की जरूरत है। हालांकि मुस्लिम समाज के लोगों का कहना था कि यह तो धार्मिक आजादी में खलल डालने की कोशिश की जा रही है।
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